India Digital Economy: 5 साल 11 महीने 30 दिन यानी 2190 दिन पहले भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा सबसे बड़ा फैसला किया गया था. 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान हुआ. 8 नवंबर को रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोट को देश में बैन कर दिया गया. इस फैसले के आज 6 साल पूरे हो गए और अब इस फैसले का सीधे-सीधे असर दिखने लगा है.


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नोटबंदी को जब लागू किया गया था तो बार-बार इस फैसले पर सवाल उठाए गए, ये नैरेटिव बनाया गया कि इससे देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी, हम कई दशक पीछे चले जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. 


नोटबंदी के बाद देश ने कोरोना जैसे बड़े संकट का भी सामना किया और आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली बन चुकी है. इसके लिए देश में डिजिटल पेमेंट क्रांति को भी एक बड़ी वजह बताया जा रहा है. IMF जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था भी भारत की डिजिटल क्रांति की आज तारीफ कर रही है.


क्या कहती है एसबीआई की रिपोर्ट


SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल क्रांति का असर ये हुआ कि 20 साल में पहली बार दिवाली के हफ्ते में करेंसी सर्कुलेशन (Currency Circulation) में गिरावट देखने को मिली है. और इसकी वजह डिजिटल पेमेंट है. SBI की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष दिवाली में करेंसी सर्कुलेशन में 7600 करोड़ रुपये की गिरावट आई है जबकि 2020 में 43800 करोड़ रुपये और 2021 में 44000 करोड़ रुपये की बढ़त हुई थी. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में बुनियादी बदलाव हो रहा है यानी डिजिटल पेमेंट की ओर अर्थव्यवस्था अब तेजी से बढ़ रही है.


इस रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआत में भले ही सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया, लेकिन बाद में धीरे-धीरे लोगों ने इसे अपनाना शुरू किया दिया और आज लोगों के लिए ये पेमेंट का पसंदीदा तरीका बन चुका है. नए-नए बदलाव और सुविधाएं इससे जुड़ने से डिजिटल पेमेंट का और विस्तार हुआ.


अपनी रिपोर्ट में SBI ने जो सबसे अहम जानकारी दी है, उसके मुताबिक देश में करेंसी सर्कुलेशन की ग्रोथ में लगातार कमी देखने को मिल रही है.नोटबंदी से पहले और उसके बाद के वर्षों का SBI ने अपने रिपोर्ट में विश्लेषण किया है.


आंकड़ों से जानें पूरी कहानी


इसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2016 में करेंसी ग्रोथ 14.9 प्रतिशत थी, वहीं फाइनेंसियल इयर 17 में करेंसी ग्रोथ निगेटिव में रहा क्योंकि इसी वर्ष नोटबंदी को लागू किया गया था, जबकि वित्त वर्ष 2018 में ये हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा 37 प्रतिशत था क्योंकि नोटबंदी के बाद का ये पहला वर्ष था. 


इसके बाद लगातार करेंसी सर्कुलेशन के ग्रोथ में गिरावट देखने को मिली. वहीं वर्ष 2019 में ये 16.8 प्रतिशत, वर्ष 2020 में 14.5 प्रतिशत था. जबकि वित्त वर्ष 2021 में फिर से करेंसी सर्कुलेशन बढ़ा और ये 16.6 प्रतिशत हुआ. वजह कोरोना था. लेकिन उसके बाद फिर से गिरावट आई है. और 2023 में इसके घटकर 9 प्रतिशत होने का अनुमान है. सीधे तौर पर ये संकेत है कि नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट को काफी बढ़ावा मिला है .


पानीपुरी खाइए डिजिटल पेमेंट कीजिए, सैलून में बाल कटवाइए ई वॉलेट से पेमेंट कीजिए. देश के किसी छोटे से गांव में जाइए और ढाबे पर खाना खाइए या दुकान से कोई सामान खरीदिए और बिना कैश, डिजिटल पेमेंट कीजिए. फाइवस्टार होटल में खाइए, किसी बड़े ज्वैलरी शो रूम में जाइए, सिनेमा का टिकट खरीदिए या किसी नुक्कड़ पर चाय पीजिए या आइस्क्रीम खाइए. पेमेंट के लिए कैश की जरूरत नहीं है, ई वॉलेट से सबकुछ हो जाएगा. 


क्योंकि देश में अब हर कोई यही कहता है- कैश नहीं है, ई वॉलेट से पेमेंट कर देता हूं. ये है भारत में डिजिटल क्रांति की सबसे बड़ी सफलता है और ये है UPI और ई वॉलेट की सफलता की कहानी. आज DNA में हम UPI की इसी सफलता की कहानी के बारे में बताएंगे साथ ही आपको दिखाएंगे कैसे ये डिजिटल क्रांति दुनिया भर में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए एक चुनौती बन गई है.


अक्टूबर में हुए 730 करोड़ UPI ट्रांजेक्शन्स


इस साल अक्टूबर में 730 करोड़ UPI ट्रांजेक्शन किए गए और ये इसके लॉन्च के बाद का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. वहीं सितंबर में 678 करोड़ UPI ट्रांजेक्शन हुए. मतलब देश में छोटे-छोटे गांव से लेकर बड़े-बड़े शहरों में अब डिजिटल पेमेंट हो रही है और लोगों के लिए ये बेहद आसान हो चुका है. प्रधानमंत्री लगातार कहते रहे हैं कि आज डिजिटल क्रांति ने देश में पेमेंट का तरीका ही बदल दिया है.  


लेकिन क्या ये सबकुछ इतना आसान था. अब आपको वो बयान सुनाते हैं जो संसद में विपक्ष की ओर दिया गया जिसमें साफ तौर पर UPI पेमेंट पर सवाल खड़े किए गए थे और प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने भाषणों में इन बयानों पर व्यंग्य करते हैं.


लेकिन अब शंका, आलोचना सबकुछ बीते दिनों की बात हो चुकी है क्योंकि आज हिंदुस्तान अपनी डिजिटल पेमेंट के जरिए पूरी दुनिया में उदाहरण पेश कर रहा है. पूरी दुनिया भारत में डिजिटल पेमेंट की तारीफ कर रही है और इसके प्लेटफॉर्म UPI यानी Unified Payment Interface को अपने-अपने देश में शुरू करना चाहती है.


हर दिन होते हैं 22 करोड़ ऑनलाइन ट्रांजेक्शन्स


भारत में हर दिन करीब 22 करोड़ ऑनलाइन ट्रांजैक्शन होते हैं . दरअसल जैसे ही UPI 2.O को शुरू किया गया तो ऑनलाइन पेमेंट में सबसे बड़ी क्रांति शुरू हो गई. क्योंकि इसमें पेमेंट के लिए इंटरनेट की जरूरत ही नहीं थी और यही इसकी सफलता का सूत्र बना.


 इसलिए इस साल त्योहारों के महीने अक्टूबर में ऑनलाइन पेमेंट का रिकॉर्ड बन गया. सबसे बड़ी बात 700 करोड़ से ज्यादा ट्रांजेक्शन वो भी पूरे देश में एक महीने में हुईं लेकिन कोई दिक्कत नहीं हुई. ना तो सर्वर की कोई दिक्कत हुई ना ही पेमेंट Delay हुआ. आज देश के तकरीबन हर बैंक में UPI पेमेंट की सुविधा है और कई ऑनलाइन पेमेंट कंपनी भी काम कर रही है. देश के छोटे से गांव से लेकर मुंबई-दिल्ली जैसे महानगर में आज डिजिटल पेमेंट हो रही है.


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