नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा संचालित सिविल सेवा परीक्षा में आयु सीमा और परीक्षा के प्रारूप में बदलाव के बाबत सुझाव देने के लिए गठित बासवन समिति की रिपोर्ट मिलने के करीब आठ महीने बाद केंद्र सरकार इस पर विचार कर रही है. यह जानकारी सरकार ने दी. समिति ने यह रिपोर्ट नौ अगस्त, 2016 को यूपीएससी को सौंपी थी.


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एक आरटीआई अर्जी के जवाब में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने कहा, ''बासवन समिति की रिपोर्ट और उस पर यूपीएससी की सिफारिशें हमें 20 मार्च 2017 को प्राप्त हुए और उन पर विचार किया जा रहा है.'' यूपीएससी की ओर से हर साल आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में हजारों अभ्यर्थी शामिल होते हैं. इस परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को उनकी रैंक के आधार पर भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय विदेश सेवा सहित अन्य केंद्रीय सेवाएं आवंटित की जाती हैं.


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यूपीएससी ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव एवं सेवानिवृत आईएएस अधिकारी बीएस बासवन की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया था और उसे अगस्त 2015 में आयोजित हुई सिविल सेवा परीक्षा के प्रारूप के निरीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी थी.


आधिकारिक सूत्रों की मानें तो समिति ने इस परीक्षा में बैठने के लिए 32 वर्ष की अधिकतम सीमा को घटाने की सिफारिश की है.


कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पिछले वर्ष नवंबर में राज्यसभा में लिखित जवाब दिया था, ''सिविल सेवा परीक्षा के प्रारूप और आयु सीमा संबंधी समिति की सिफारिशों पर फिलहाल यूपीएससी विचार कर रहा है.'' इससे पहले यूपीएससी ने विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सवालों में किसी विसंगति अथवा गलती की खबर देने की समयसीमा सात दिन तय की थी.