नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट (Uttrakhand High Court) ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) के खिलाफ गंभीर आरोपों को देखते हुए सीबीआई जांच (CBI Probe) के आदेश दे दिए हैं. हाई कोर्ट ने ये आदेश पत्रकार उमेश शर्मा (Journalist Umesh Kumar) व अन्य के खिलाफ राजद्रोह मामले में सुनवाई के बाद दिया, और पत्रकार के खिलाफ चल रहे राजद्रोह के मामले को रद्द कर दिया.


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क्या था पूरा मामला
उमेश पक्ष की तरफ से सोशल मीडिया में एक खबर चलाई थी. इसे गलत मानते हुए उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 469, 471 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया था. बाद में सरकार की तरफ से इन लोगों के खिलाफ राजद्रोह का भी मुकदमा दायर किया गया था. राजद्रोह के मामले को खारिज करने की मांग को लेकर उमेश कुमार ने हाई कोर्ट में अर्जी दी थी. इस मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी (Justice Ravindra Maithani) ने मामले को खारिज कर दिया और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ उमेश के आरोपों की जांच के लिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए.


मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप
पत्रकार उमेश कुमार ने फेसबुक पोस्ट लिखकर मुख्यमंत्री पर आरोप लगाए थे कि झारखंड में प्रभारी रहने के दौरान उन्‍होंने पैसे लिए हैं. उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में खबर चलाई की प्रो. हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबन्दी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैसे जमा किये और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा था. इस पर अमृतेश चौहान ने पत्रकार उमेश शर्मा व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. इस बीच सरकार ने आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर (Gangster Act) भी लगा दी थी. इसी एफआईआर को रद्द करने के लिए पत्रकारों ने हाई कोर्ट की शरण ली थी और अब कोर्ट ने एफआईआर को रद्द कर सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.


सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी राज्य सरकार
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख करेगी. मुख्यमंत्री के मीडिया कॉर्डिनेटर ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेगी.