Delhi Katra Expressway: दिल्ली से अमृतसर और फिर कटरा को जोड़ने वाला 650 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे फिर चर्चा में है. प्रधानमंत्री की नजर भी इस पर है. आठ साल बीत जाने के बाद भी, ये चार लेन वाला हाईवे अभी भी बन नहीं पाया है. ये हाईवे जम्मू के उत्तर में कटरा को दिल्ली के पास झज्जर जिले के जसौर खेड़ी से जोड़ने वाला था. इसे बनाने में बहुत देरी हो रही है. इस देरी की वजह से इस हाईवे की लागत भी बढ़ गई है. पहले इसकी लागत 25,000 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर 35,406 करोड़ रुपये हो गई है.


काम अभी तक पूरा नहीं हुआ


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असल में ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस हाईवे को बनाने का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है. इस हाईवे को दो तरह से बनाया जा रहा है, कुछ हिस्सा पहले से मौजूद सड़कों को चौड़ा करके बनाया जाएगा और कुछ हिस्सा बिल्कुल नई सड़क बनाकर तैयार किया जाएगा. इस पूरे प्रोजेक्ट में कुल 17 पार्ट और 3 छोटी सड़कें शामिल हैं, लेकिन अभी तक इनमें से किसी का भी काम पूरा नहीं हुआ है.


प्रधानमंत्री ने बैठक बुलाई


दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे एनएचएआई की एक बड़ी परियोजना है, लेकिन ये कई राज्यों में जमीन अधिग्रहण की समस्या में फंसी हुई है. किसानों को ज्यादा मुआवजा न मिलने की वजह से वो अपनी जमीन नहीं दे रहे हैं. इसी समस्या को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री ने 31 जुलाई को नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में वो देखेंगे कि अभी तक का क्या हाल है और आगे क्या किया जाए. उससे पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी आज और कल पंजाब में रुकी हुई एनएचएआई परियोजनाओं का जायजा लेंगे.


एक्सप्रेसवे के 11 हिस्से पंजाब में ही


एनएचएआई और मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री और गडकरी के सामने पेश करने के लिए एक प्रस्तुति तैयार की है. इस प्रजेंटेशन में हर परियोजना की मौजूदा स्थिति को रिपोर्ट किया गया है, जिसमें लागत और पूरा होने की लक्षित तिथि शामिल है. प्रेजेंटेशन के अनुसार, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे की प्रगति सबसे खराब है. इस एक्सप्रेसवे के अलग-अलग हिस्सों का काम पूरा होने का प्रतिशत सिर्फ 3 से 90 के बीच है. गौर करने वाली बात ये है कि इस एक्सप्रेसवे के 11 हिस्से पंजाब में ही आते हैं.


पंजाब में ज्यादा हिस्सा: ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे 650 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे में से 361.656 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में बनना है. इस एक्सप्रेसवे के नए बनने वाले हिस्से (ग्रीनफील्ड सेक्शन) को 15 पैकेज में बांटा गया है. इनमें से 12 पैकेज 397 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गुरदासपुर सेक्शन पर हैं और 3 पैकेज 99 किलोमीटर लंबे नाकोदर-अमृतसर स्पर पर हैं.


प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में बनने वाला 650 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का हिस्सा पटियाला के पास गांव गलोली से शुरू होकर गुरदासपुर बाईपास पर खत्म होगा. अमृतसर को जोड़ने वाला नया बनने वाला रास्ता (ग्रीनफील्ड कनेक्टिविटी) नाकोदर से शुरू होकर अमृतसर-अजनाला रोड पर नहर के पास जाकर खत्म होगा.


पंजाब में बनने वाले एक्सप्रेसवे का रास्ता लुधियाना, पटियाला, संगरूर, जालंधर, कपूरथला और गुरदासपुर जिलों से होकर गुजरेगा. वहीं अमृतसर को जोड़ने वाले नए रास्ते का रास्ता जालंधर, कपूरथला, तरनतार और अमृतसर जिलों से होकर जाएगा.


इस एक्सप्रेसवे के बन जाने से दिल्ली, अमृतसर और कटरा के बीच की दूरी करीब 40 किलोमीटर कम हो जाएगी. साथ ही दिल्ली से अमृतसर तक का सफर समय 4-4.5 घंटे और दिल्ली से कटरा तक का सफर समय 6-6.5 घंटे का रह जाएगा.


बनाने में एक खास तरीका इस्तेमाल


यह जो बन रहा है चार लेन वाला हाईवे, इसे आगे आठ लेन तक चौड़ा किया जा सकता है. इसे बनाने में एक खास तरीका इस्तेमाल किया जा रहा है जिसे हाइब्रिड एन्युएटी मॉडल (HAM) कहते हैं. ये हाईवे पंजाब, हरियाणा और जम्मू से होकर गुजरेगा. इससे कई बड़े शहरों को आपस में जोड़ने में आसानी होगी.


पुराने नेशनल हाईवे से गाड़ियों का आना-जाना कम हो जाएगा, क्योंकि ज्यादातर गाड़ियां इस नए एक्सप्रेसवे पर चलेंगी. इससे पुराने रास्तों पर जाम कम लगेगा और गाड़ी चलाने में कम पैसा खर्च होगा (ईंधन की बचत होगी) और कम समय भी लगेगा. इस नए रास्ते से सामान भी तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकेगा और पूरे इलाके में ट्रैफिक ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा.


साथ ही, ये रास्ता सुल्तानपुर लोदी, गोइंदवाल साहिब, खडूर साहिब, तरनतार और हाल ही में बने डेरा बाबा (नानक) - करतारपुर साहिब अंतरराष्ट्रीय गलियारे जैसे महत्वपूर्ण सिख धर्मस्थलों को जोड़ने के लिए एक तेज रास्ता भी प्रदान करेगा.