PM Modi Likely To Launch 5 Vande Bharat Trains On June 26: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के पिछले 9 सालों के कार्यकाल में भारतीय रेलवे (Indian Railways) कई बदलावों और उपलब्धियों का गवाह बनी है. इसके कुछ नए आयामों की बात करें तो वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat Trains) की लोकप्रियता इसका सबसे बड़ा जीता जागता उदाहरण है. पिछले कुछ समय से देश के अलग-अलग रूटों पर वंदे भारत ट्रेनों की लॉन्चिंग हो रही है. इस कड़ी में अब नए राज्यों को वंदे भारत ट्रेनों की सौगात मिलने वाली है. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी 26 जून को पांच नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखा सकते हैं.


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इन शहरों के करोड़ों लोगों को होगा फायदा


रेलवे के सूत्रों के मुताबिक संभावना जताई जा रही है कि पीएम मोदी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इन सभी वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखा सकते हैं. गौरतलब है कि इससे पहले अब तक एक दिन में अधिकतम दो वंदे भारत ही लॉन्च हुई थीं. लेकिन यह पहला मौका होगा, जब भारत में एक साथ पांच वंदे भारत ट्रेनों की लॉन्चिंग होगी. जिन रूटों पर वंदे भारत ट्रेनों को लॉन्च किया जाएगा, उसमें मुंबई गोवा, बेंगलुरु हुबली, पटना रांची, भोपाल इंदौर और भोपाल जबलपुर शामिल हैं. बिहार के लिए यह पहली वंदे भारत ट्रेन होगी, जोकि पटना और रांची के बीच चलेगी. 


देश के कोने कोने में कब तक पहुंचेगी वंदे भारत?


ओडिशा की पहली वंदे भारत ट्रेन के लॉन्च के बाद केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि पीएम मोदी ने लक्ष्य रखा है कि वंदे भारत इस साल जून तक लगभग सभी राज्यों में पहुंच जाए. इसके बाद माना जा रहा था कि बहुत जल्द नए-नए रेल रूटों पर वंदे भारत ट्रेनों की लॉन्चिंग का ऐलान हो सकता है.


वंदे भारत की खासियत


हाइटेक सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत सभी बेहतरीन यात्री सुविधाओं से लैस है. इसमें यात्रियों को तमाम तरह के फायदे मिलते हैं. यहां रेलवे पैसेंजर्स को कम पैसे में ही हवाई जहाज जैसी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मिलती हैं, वहीं अन्य ट्रेनों के मुकाबले इसमें एक शहर से दूसरी जगह जाने में लगने वाला ट्रैवल टाइम भी बचता है. देश की पहली वंदे भारत देश की राजधानी दिल्ली से पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीच शुरू हुई थी. ये ट्रेन नई दिल्ली से सुबह 6 बजे चलकर 8 घंटे में यानी दोपहर दो बजे आपको वाराणसी पहुंचाती है, जबकि इससे पहले दिल्ली से बनारस जाने में कम से कम 15 घंटे लग जाते थे.