Varun Gandhi Praised Grandmother Indira Gandhi: पार्टी हाई कमान से लंबे वक्त से खफा- खफा चल रहे बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने अपनी दादी और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की तारीफ की है. उन्होंने जनरल मानेकशॉ को लिखा इंदिरा का एक पत्र पोस्ट किया है, जिसे उन्होंने बांग्लादेश युद्ध में जीत के बाद लिखा था. वरुण गांधी ने लिखा कि वे (इंदिरा गांधी) एक महान नेता थी और किसी उपलब्धि का क्रेडिट अकेले लेने के बजाय उसे टीम के साथ बांटती थी.  


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इंदिरा ने मानेकशॉ को लिखा था पत्र


वरुण गांधी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर शेयर किए गए इंदिरा गांधी के लेटर के साथ लिखा, 'वर्ष 1971 के बांग्लादेश युद्ध में जबरदस्त जीत के बाद उस वक्त की पीएम इंदिरा गांधी ने तब के आर्मी चीफ जनरल सैम मानेकशॉ को पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने तीनों सेनाओं के शौर्य और युद्ध में शानदार जीत के लिए उनका आभार जताया था. साथ ही उनकी बेहरीन लीडरशिप की भी जमकर तारीफ की थी.' 



'भारत दोनों नेताओं को करता है सैल्यूट'


वरुण गांधी ने आगे लिखा, 'वे जानती थी कि कोई भी सफलता टीम के सामूहिक प्रयासों से आती है. वे इस बात से भी अच्छी तरह परिचित थी कि कब बड़ा दिल दिखाना चाहिए और किसी भी उपलब्धि का क्रेडिट अकेले नहीं लेना चाहिए. बांग्लादेश युद्ध की जयंती पर भारत अपने इन दोनों महान नेताओं को सैल्यूट करता है.' 


वरुण के लेटर से शुरू हुई कयासबाजी


वरुण गांधी के इस पत्र से राजनीतिक जगत में कयासबाजियों का दौर तेज हो गया है. कई लोग इसे चचेरे भाई राहुल गांधी और बहन प्रियंका गांधी के साथ वरुण गांधी की दोबारा नजदीकी से जोड़ रहे हैं. मोदी सरकार के दूसरे टर्म में भी पीलीभीत से अच्छी खासी वोटों से जीतने के बावजूद कैबिनेट में मंत्रिपद या संगठन में कोई बड़ी भूमिका न मिलने से वरुण गांधी लगातार खफा-खफा से रहे हैं. 


क्या फिर कांग्रेस में लौटेंगे वरुण गांधी?


वे केंद्र और यूपी सरकार के फैसलों पर लगातार उंगली उठाकर अपनी इस नाराजगी का भी इजहार करते रहे हैं. कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि बीजेपी में रहकर राजनीति में आगे बढ़ने का वरुण का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता. वे उन्हें गांधी परिवार के खिलाफ औजार के रूप में तो इस्तेमाल करती रहेगी लेकिन राजनीति में कभी आगे नहीं बढ़ाएगी. ऐसे में उन्हें एक न एक दिन फिर अपनी मूल पार्टी कांग्रेस में वापस लौटना ही होगा.


यूपी के कई इलाकों में खासा प्रभाव


कई राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि वरुण गांधी का अपने संसदीय क्षेत्र पीलीभीत समेत सुल्तानपुर, रायबरेली समेत मध्य यूपी में अच्छा खासा जनाधार है. उनकी अपनी एक बड़ी फैन फॉलोइंग है, जो उनकी बातों का अनुसरण करती है. इसके साथ ही उन्हें अपने दिवंगत पिता संजय गांधी के नाम का भी काफी फायदा मिलता है. ऐसे में अगर वे अपने चचेरे भाई राहुल गांधी के साथ एकजुट हो जाते हैं तो वर्ष 2024 के आम चुनावों में बीजेपी को यूपी समेत कई राज्यों में अच्छा खासा नुकसान हो सकता है.


क्या मेनका गांधी दूर कर पाएंगी मतभेद?


वहीं इस विचार के विरोधी नेताओं का कहना है कि ऐसा होना कम से कम मेनका गांधी के रहते मुश्किल है. इसकी वजह मेनका की अपनी जेठानी सोनिया गांधी से अदावत है. दोनों में इस कदर मतभेद हैं कि उनकी आपसी बातचीत भी न के बराबर है. ऐसे में अपनी मां को अकेली छोड़कर वरुण गांधी शायद ही कांग्रेस में दोबारा जाना चाहेंगे, जहां पर उन्हें राहुल- प्रियंका के तहत काम करना होगा. फिलहाल इस कयासबाजी का अंजाम क्या होगा, यह तो भविष्य ही बताएगा लेकिन इससे राजनीतिक गपबाजों को टाइम पास का एक बड़ा मुद्दा जरूर मिल गया है.