नई दिल्ली: अयोध्या में विवादित स्थल के मालिकाना हक के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्‍यक्ष आलोक कुमार ने Zee News डिजिटल के ओपीनियन एडिटर पीयूष बबेले से खास बातचीत में राम मंदिर मुद्दे, अमेरिका द्वारा विहिप को धार्मिक आतंकवादी संगठन घोषित करने और विहिप से प्रवीण तोगड़िया की विवादित विदाई पर विस्तार से चर्चा की. पेश हैं खास अंश:


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सवाल: अयोध्या में विवादित स्थल के मालिकाना हक के मुकदमे की सुनवाई जल्द शुरू होगी, इसे आप किस रूप में देखते हैं?
जवाब: हम उम्मीद कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को तेजी से सुनेगा. इतिहास का दुर्भाग्य है कि यह मामला अदालतों में इतने साल चल गया. अगर सुप्रीम कोर्ट जल्दी सुनवाई करेगा तो अच्छा होगा. हमारे वकीलों का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद का केस यानी रामलला का केस बहुत मजबूत है. हम लोग विजयी होंगे, ऐसा वह हमें विश्वास दिलाते हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जल्दी आता है तो बाकी सब कानूनी बाधाएं पार करके इस साल के अंत तक मंदिर का निर्माण शुरू किया जा सकता है.


सवाल: आप मंदिर निर्माण की बात कर रहे हैं, लेकिन देश के ज्यादातर राजनैतिक दल यही कहते रहे हैं कि इस बारे में वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे? दूसरी तरफ बाबरी मस्जिद गिराए जाने का आपराधिक मुकदमा अभी चल ही रहा है. ऐसे में मंदिर निर्माण कैसे होगा?
जवाब: दोनों मुकदमों का आपस में कोई संबंध नहीं है. किसी ने कहा भी नहीं कि कोई संबंध है. वह कुछ लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा है. यह स्वामित्व का मुकदमा है. और अगर यह तय हुआ कि स्वामित्व रामलला का है, तो मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा.


सवाल: कहा जा रहा है कि अदालत में रोजाना सुनवाई होगी, रोजाना सुनवाई का मतलब क्या रोज सुनवाई होता है?
जवाब: रोजाना का मतलब है हफ्ते में कम से कम तीन बार सुनवाई. अगर यह होता है तो सितंबर तक फैसला आ सकता है.


 


सवाल: आप विहिप के नेता होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के वकील भी हैं. आपको क्या लगता है कि फैसला कब तक आएगा?
जवाब: मेरा ये सिचुएशनल असेसमेंट है. हो सकता है कि जुलाई के अंत तक सुनवाई शुरू हो जाए. अगर सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई शुरू नहीं होती, तो विश्व हिंदू परिषद संतों के पास जाएगी. उनसे परामर्श मांगेगी और जैसा वे आदेश देंगे उस ढंग की लड़ाई या उस ढंग का काम आगे चलेगा.


सवाल: अगर आपको याद हो तो हाल ही में अयोध्या में संतों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि अब तो नगर निगम से लेकर प्रधानमंत्री तक भाजपा की सरकार है. मंदिर निर्माण अभी नहीं होगा तो कब होगा?
जवाब: मैं ये मानता हूं कि कानून भी हमारे पक्ष में है. इसीलिए मैं बार-बार कह रहा हूं कि सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करके फैसला दे. मुझे पूरा भरोसा है कि बाधाओं का दूर करते हुए इसी वर्ष के अंत में हम वहां मंदिर का निर्माण शुरू कर सकेंगे.


ये भी पढ़ें- भीड़ की हत्या का ठीकरा Whatsapp पर फोड़कर कौन अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है


सवाल: इस केस को 60-70 साल हो गए हैं. अगर सुनवाई में दो-चार साल और लग गए तो?
जवाब: दो-चार साल रुकने के लिए किसी के पास समय नहीं है. अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई जल्दी नहीं करता है, अपने कर्तव्य में कोताही करता है तो हम संतों के पास जाएंगे. संत जैसा आदेश देंगे वैसा करेंगे. आवश्यकता पड़ी तो सांसदों के पास जाएंगे. उनसे कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं कर रहा है, आप कानून बनाकर मंदिर बनवाइए. राम मंदिर का निर्माण टलने वाला नहीं है.


सवाल: आप संतों और सांसदों के पास जाने की बात कर रहे हैं, लेकिन अब तक तो विहिप अपने कार्यकर्ताओं के पास जाता रहा है. आपके कार्यकर्ता क्या कह रहे हैं?
जवाब: राम जन्मभूमि के विषय में विहिप और बीजेपी का यह स्टैंड रहा है कि संत समाज इसे लीड कर रहा है. यह हमारे लिए राजनीति और सत्ता का आंदोलन नहीं है. जो संत तय करेंगे वही हम करेंगे.


सवाल: इस बारे में प्रधानमंत्री या सरकार से आपने कोई बात कही है या कोई संवाद हुआ है?
जवाब: जो लोग सरकार में हैं, उनसे हमारा मिलना-जुलना होता रहता है. देश के लिए सबसे अच्छा होगा कि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करे, टाले नहीं और निर्णय करे. सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा तो राजनीतिक दल भी उसके विरोध में खड़े नहीं होंगे. आज देश का माहौल भी ऐसा है कि शांति से यह मंदिर बने.



सवाल: आपने बीच में कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोताही बरतता है तो हम सांसदों के पास जाएंगे.. संतों के पास जाएंगे. क्या आपको सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है? और मान लीजिए अदालती प्रक्रिया में समय लगता है तो यह क्या यह शांत शब्दों में आपकी धमकी है?
जवाब:
नहीं, जिन मामलों में सुप्रीम कोर्ट को जरूरत लगती है उन मामलों में वह आधी रात को भी सुनवाई करता है. हम तो यही मांग कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट समझे कि यह कितना नाजुक मुद्दा है और वे यह समझेंगे. इसलिए यह धमकी नहीं है. हम उनसे उनके कर्तव्य के पालन की अपेक्षा कर रहे हैं.


सवाल: प्रवीण तोगड़िया लंबे समय तक विहिप का चेहरा रहे. अब आप उस पद पर बैठे हैं. नए नेतृत्व के पास क्या एजेंडा है?
जवाब: विश्व हिंदू परिषद का नेतृत्व बदला है, एजेंडा नहीं बदला है. अगर मुझसे पूछा जाए कि राम जन्मभूमि के अलावा दूसरा कौन सा बड़ा मुद्दा है, तो मैं कहूंगा सामाजिक समरसता. अनुसूचित समाज के लोगों के साथ भीमा कोरेगांव और इस तरह की दूसरी घटनाओं में मुसलमानों की, कम्युनिस्टों की प्रत्यक्ष उपस्थिति देखी गई. यह भी सच है कि आजादी के बाद भी अभी तक हमारे अनुसूचित समाज का बड़ा हिस्सा आर्थिक-सामाजिक और शैक्षणिक स्तर पर पिछड़ा हुआ है. इस बारे में हमें सहभोज और मंदिर एंट्री से आगे बढ़ना होगा. सेवा कार्य तेज कर यह अंतर घटाने का प्रयत्न करेंगे.


सवाल: आप हर दलित व्यक्ति को सम्मान दिलाने की बात कर रहे हैं. आपने शायद पिछले दिनों का वाकया सुना होगा, जो देश के महामहिम राष्ट्रपति के साथ हुआ. ऐसे में हालात कैसे सुधरेंगे?
जवाब:
इस घटना के अलग-अलग वर्जन हैं. राष्ट्रपति के साथ कुछ होता है तो मैं उतना ही आहत होता हूं, जितना आहत अनूसूचित वर्ग के किसी दूल्हे को घोड़ी से उतारे जाने पर होता हूं. साधारण से साधारण दलित व्यक्ति के साथ ऐसी घटना देश के मानस को आहत करती है.


सवाल: चूंकि विहिप एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, ऐसे में अफगानिस्तान में जिस तरह पिछले दिनों कई सिख आतंकवादी हमले में मारे गए, उस पर आपकी प्रतिक्रिया?
जवाब: वहां मारे गए लोगों में सिख और हिंदू दोनों थे. इस तरह की घटनाएं बहुत दुख पहुंचाने वाली हैं. फिर भी मुझे इस बात का संतोष है कि अफगानिस्तान की सरकार और जनता हमारे साथ आकर खड़ी हो गई. अकाली दल के प्रदर्शन के दौरान अफगान डिप्लोमेट बाहर आए और प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि हम आपके साथ खड़े हैं. अफगानिस्तान के राजदूत ने भी अंदर बुलाकर चर्चा की. पाकिस्तान के समर्थन से हो रही आतंकवादी घटनाएं पूरे विश्व के सभ्य समाज के लिए चुनौती हैं. पाकिस्तान अपने देश में और अफगानिस्तान में यह जो कर रहा है, वह आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए घातक है.


सवाल: आप पाकिस्तान के आतंकवाद की बात कर रहे हैं. उधर अमेरिकी एजेंसी सीआईए ने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल को ही धार्मिक आतंकवादी संगठन की सूची में डाल दिया है. इसका कोई मुखर विरोध आपकी तरफ से नहीं आया?
जवाब:
आपने कहा कि मुखर आवाज नहीं सुनी. इसका मतलब है कि हम आतंकवादी नहीं है. ऐसा है कि पश्चिम का एक क्रिश्चियन पूर्वाग्रह है, हिंदू के प्रति. उसमें ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं. सीआईए यहां रख देती है, वहां रख देती है, इसकी हमें बहुत चिंता नहीं होती. भारत सरकार अपने डिप्लोमेटिक चैनल से इस बात को आगे रखे. अमेरिका ने ऐसा किया है तो सब जानते हैं कि ऐसा ठीक नहीं है. इस बात को हमें बढ़ाने की ज्यादा जरूरत नहीं है.


सवाल: आप भले ही यह कहते हों कि आप राजनैतिक संगठन नहीं, सामाजिक संगठन हैं, लेकिन राजनीतिक सक्रियता किसी से छुपी नहीं है. 2019 चुनाव में आपकी क्या भूमिका होगी?
जवाब:
अभी कहना बहुत मुश्किल है कि क्या होगा. विहिप चुनाव में भाग नहीं लेगी. विहिप कार्यकर्ता नागरिक होने के नाते अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे. उसमें उनको विचार करना चाहिए कि कौन से दल हिंदुत्व के पक्षधर हैं. उनके प्रति समर्थन जुटाने में हमें कोई संकोच नहीं है.


सवाल: चार साल में मोदी सरकार को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कितने नंबर देंगे?
जवाब: मोदी सरकार का इवैल्यूएशन हमारा एजेंडा नहीं है. इस विषय पर कुछ नहीं कहना है.


सवाल: तोगड़िया लंबे समय तक उस पद पर रहे, जिस पद पर आप बैठे हैं. उन्हें इस तरह से विहिप से निकाल देना क्या जायज है?
जवाब: उनको निकाला नहीं है. उन्होंने चुनाव लड़वाया और उनका व्यक्ति चुनाव हार गया. उसके 10 मिनट बाद उन्होंने प्रेस के लोगों से कहा कि वह विहिप से इस्तीफा दे रहे हैं. अगर वे विहिप में रहते तो शीर्ष स्थान पर रहते, आदरणीय रहते. हमने उन्हें निकाला कहा है, यह तो उन्होंने तलाक लिया है.


सवाल: लेकिन तलाक के बाद वे अलग घर बसा रहे हैं. उनके नए संगठन से विहिप का टकराव नहीं होगा क्या?
जवाब: टकराव की कोई जरूरत नहीं है. उनका सारा आंदोलन किसी एक व्यक्ति के विरोध और ईर्ष्या से बंधा है. ऐसे काम चिरंजीवी नहीं होते.


सवाल: अगर राम मंदिर का मुद्दा सुलझ जाता है तो क्या मथुरा और काशी के मुद्दे शुरू होंगे?
जवाब: अभी वरीयता में राम मंदिर है, उसके बाद बाकी विषयों पर विचार करेंगे.


सवाल: राम मंदिर पर कितना इंतजार करेंगे?
जवाब: हम थोड़ा इंतजार करने वाले हैं, लेकिन थोड़ा ही, ज्यादा नहीं.


सवाल: थोड़ा मतलब कितना, अगस्त, सितंबर, दिसंबर, कब तक?
जवाब: अब वह स्थिति है कि सुनेंगे. अगर अब भी सुप्रीम कोर्ट नहीं सुनता है तो हम मानेंगे कि उनके द्वारा अपने कर्तव्य की अनुपालना नहीं हो रही है और तब संतों के आदेश पर जो होगा हम तय करेंगे.