Asaduddin Owaisi: वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठकें हाल ही में विवादों का केंद्र बन गई हैं. इसका मुख्य कारण वक्फ संपत्तियों को लेकर कई सरकारी एजेंसियों और वक्फ बोर्डों के बीच उभरता हुआ संपत्ति विवाद है. सरकारी एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्डों ने उनकी संपत्तियों पर अवैध कब्जा किया हुआ है, जबकि वक्फ बोर्डों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए विपरीत दावे किए हैं.


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इस विवाद में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की भूमिका महत्वपूर्ण है. उन्होंने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और संरक्षण के पक्ष में तर्क दिए हैं, और साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जैसी सरकारी एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ओवैसी ने समिति के समक्ष दिल्ली की 172 वक्फ संपत्तियों की एक सूची प्रस्तुत की, जो उनके अनुसार एएसआई के "अनधिकृत" कब्जे में हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि वक्फ बोर्डों की संपत्तियों को बिना कानूनी आधार के कब्जा किया गया है, और इसे तुरंत खाली किया जाना चाहिए.


दूसरी ओर, एएसआई ने अपने पक्ष में दलील दी है कि 120 से अधिक संरक्षित स्मारकों पर विभिन्न वक्फ बोर्डों ने अवैध रूप से दावा किया है. एएसआई ने इन स्मारकों पर अनधिकृत निर्माण कार्यों का भी आरोप लगाया है, जो वक्फ बोर्डों द्वारा किया गया है. एएसआई का कहना है कि ये स्मारक ऐतिहासिक धरोहर हैं और इनका संरक्षण उनकी प्राथमिकता है. इसके बावजूद वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों पर दावा कर रहे हैं, जो न केवल अवैध है, बल्कि ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए भी खतरा है.


इस विवाद में केवल एएसआई ही नहीं, बल्कि रेलवे बोर्ड और अन्य सरकारी मंत्रालय भी शामिल हो गए हैं. रेलवे बोर्ड और शहरी मामलों तथा सड़क परिवहन मंत्रालयों ने भी वक्फ बोर्डों पर इसी तरह के आरोप लगाए हैं. इन मंत्रालयों ने वक्फ संपत्तियों से संबंधित मौजूदा कानून में प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन किया है, ताकि इस तरह के विवादों को भविष्य में रोका जा सके.


जेपीसी समिति के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य जगदम्बिका पाल ने इस विवाद पर गंभीरता से ध्यान दिया है. उन्होंने समिति के सदस्यों को निर्देश दिया है कि सभी पक्षों की बातों को ध्यानपूर्वक सुना जाए और न्यायसंगत समाधान निकाला जाए. समिति की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जा रही हैं ताकि सभी हितधारकों की बात सुनी जा सके और संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह तक अपनी सिफारिशें पूरी की जा सकें.


इस बीच, विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध करने वालों की दलीलों में उठाए गए कुछ विवाद एक जैसे रहे हैं. विरोधी पक्ष का कहना है कि वक्फ संपत्तियों को संरक्षण देना जरूरी है और किसी भी संशोधन से पहले वक्फ बोर्डों की चिंताओं को सुना जाना चाहिए.


इस पूरे मामले में यह स्पष्ट है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर निर्णय लेते समय समिति को संतुलित और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाना होगा. सरकारी एजेंसियों और वक्फ बोर्डों के बीच इस संपत्ति विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के दावों और तथ्यों की गहराई से जांच करना आवश्यक है. यह भी महत्वपूर्ण है कि वक्फ संपत्तियों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाए, ताकि वे भविष्य में भी समुदाय की सेवा कर सकें.