Waqf Amendment Bill 2024 News: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ बिल के मसले पर धमकी भरा रुख अपनाया है. बेंगलुरु में AIMPLB के 29वें अधिवेशन के दौरान, मंच से कई पदाधिकारियों ने कथित रूप से मुसलमानों को भड़काने की कोशिश की. मौलाना अबू तालिब रहमानी, सैयद तनवीर हाशमी व अन्य AIMPLB सदस्यों ने कहा कि अब वे अदालतों से भीख नहीं मांगेंगे. रहमानी ने कहा कि सरकार को यह कानून वापस लेना ही होगा. AIMPLB नेताओं ने कहा कि 'संसद उनकी तो सड़क हमारी है.' हालांकि, बाद मे AIMPLB प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास कहा कि 'सड़क हमारी है' कहने का मतलब यह है कि अगर हम संसद में अपनी आवाज नहीं उठा सकते, तो सड़कों पर अपनी आवाज उठाएंगे.


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बेंगलुरु में बना वक्फ बिल के विरोध का प्लान


बेंगलुरु में AIMPLB के मंच से मौलाना रहमानी ने कहा, 'हिंदू भाइयों, आपसे कहना चाहता हूं कि आपके और हमारे बीच में ये कोई तीसरा लैंड ब्रोकर आ गया... क्या समझ रखा है? हमें अपने दीन की भी हिफाजत करनी है और अपने हिंदुस्तान की भी... अगर लोकतंत्र में शक्ति तंत्र का हुंकार चलेगा तो मैं भी कह देना चाहता हूं कि अब हम अदालतों के दरवाजे पर भीख नहीं मांगेंगे... अब ये कह देंगे कि अगर संसद तुम्हारी है तो सड़क हमारी है...'



वक्फ की जमीन हड़पने का जरिया है यह बिल: AIMPLB


AIMPLB ने आरोप लगाया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 देशभर की वक्फ संपत्तियों को 'हड़पने' के इरादे से तैयार किया गया है. इलियास ने कहा, 'बोर्ड के सम्मेलन में महसूस किया गया कि वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को पूरे देश में फैली वक्फ संपत्ति को हड़पने के लिए चतुराई से तैयार किया गया है.' AIMPLB का 29वां अधिवेशन रविवार को बेंगलुरु में संपन्न हुआ. इलियास ने कहा कि प्रस्तावित सभी 44 संशोधन और उनकी उप-धाराएं वक्फ संपत्ति के दर्जे को 'खत्म करने और हेरफेर करने'के इरादे से तैयार की गई हैं. उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि जेपीसी अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रही है.'


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AIMPLB के मंच से कहा गया कि अगर तमाम कोशिशों के बावजूद बिल पास हो जाता है, तो वे संशोधनों को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार पर हरसंभव तरीके से दबाव बनाएंगे. बोर्ड ने कहा कि सबसे पहले ये निर्णय लिया गया है कि उसका पूरा नेतृत्व और सभी पदाधिकारी संसद के समक्ष धरना देंगे. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को 'अस्वीकार्य' AIMPLB ने कहा कि यह संविधान में मौलिक अधिकारों के तहत प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता के खिलाफ है. AIMPLB के प्रवक्ता ने कहा कि बोर्ड स्पष्ट शब्दों में यह कहता है कि यह मुस्लिम समुदाय को अस्वीकार्य है, क्योंकि वे शरिया कानून से कभी समझौता नहीं करेंगे. (एजेंसी इनपुट्स)