वायनाड जिले में भीषण भूस्खलन ने ऐसी तबाही मचाई है कि शवों का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर भी सिहर उठे हैं. स्थानीय अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए तैनात एक डॉक्टर ने त्रासदी का दिल दहला देने वाला विवरण पेश करते हुए कहा कि हमारे सामने यह ऐसा दृश्य था जिसे में शायद ही जीवन में कभी भूल पाऊंगी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

'दृश्य ऐसा था, जिसकी कल्पना तक नहीं थी'


उन्होंने रूंधे गले से कहा, 'मैं तो पोस्टमॉर्टम करने की आदी हो चुकी हूं, लेकिन यहां ऐसा (दृश्य) था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.' एक शव के पोस्टमॉर्टम के बारे में बताते हुए डॉक्टर ने कहा, 'शव इतनी बुरी तरह कुचला जा चुका था कि मैं दोबारा देखने की हिम्मत नहीं जुटा पाई. ऐसा मैंने पहले कभी नहीं देखा था.'


उन्होंने कहा कि इस भयावह तबाही ने उन्हें अंदर तक हिला दिया है. इस क्षेत्र में वर्षों का अनुभव रखने वाली डॉक्टर ने अपनी पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर बताया, 'मैंने अपने करियर में कई शव देखे हैं लेकिन ये (शव) उससे अलग था. (भूस्खलन का) इतना भयंकर असर था कि ऐसा लगा कि उस इंसान को चकनाचूर कर दिया गया हो.'


पहला शव देखते ही हिल गई डॉक्टर


इस बीच वहां और ज्यादा शव लाए जाने लगे, जिनमें से अधिकतर बुरी तरह क्षत-विक्षत थे. उन्होंने कहा, "जब मैंने पहला शव देखा तो मैंने खुद से कहा कि मैं यह नहीं कर सकती. यह बुरी तरह कुचला हुआ था और दूसरा शव एक साल के बच्चे का था. मैंने महसूस किया मैं यह (पोस्टमॉर्टम) नहीं कर पाउंगी और मैं वहां से भागकर किसी ऐसे अस्पताल में चले जाना चाहती थी, जहां हम बच गए लोगों की देखभाल कर सकें. लेकिन उस दिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था और हमने 18 पोस्टमॉर्टम किए.' जब वह और उनके साथी डॉक्टर पहले दिन आए शवों को संभालने में मुश्किल में पड़े तो राज्य के विभिन्न हिस्सों से कई अपराध विज्ञान डॉक्टर पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पहुंचने लगे. 


93 शवों का किया पोस्टमॉर्टम


महिला डॉक्टर ने कहा, 'पोस्टमार्टम करने के लिए आठ मेजें थीं और शाम तक हमारे पास इतने अपराध विज्ञान डॉक्टर आ गए कि हर मेज पर एक ऐसा डॉक्टर सर्जन था. शाम साढ़े सात बजे तक हमने 53 पोस्टमॉर्टम किए.' अपराध विज्ञान डॉक्टरों की टीम ने आपदा के पहले दिन रात साढ़े 11 बजे तक अपना काम जारी रखा और 93 से अधिक शवों का पोस्टमॉर्टम पूरा किया.


इस व्यवस्था ने कुशलता से काम किया और पोस्टमॉर्टम की प्रक्रियाओं को पूरा करने में विलंब नहीं हुआ. डॉक्टर ने कहा कि स्थिति बेहद दिल दहला देने वाली थी. हमने इससे पहले ऐसी स्थिति में शव नहीं देखे थे. यहां तक की इस काम को अंजाम देने वाले डॉक्टरों के लिए भी ये बेहद कठिन था. 


भूस्खलन (मलबे) के तीव्र प्रहार ने लोगों को कुचल दिया, उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिये. डॉक्टरों को शरीर के अंगों को संभालना पड़ा, कभी-कभी पीड़ितों के केवल आंतरिक अंगों को. शवों की पहचान करने के लिए उन्होंने डीएनए विश्लेषण के लिए इन अंगों के नमूने लिए.


राहुल बोले- ये राष्ट्रीय आपदा है


वहीं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि वायनाड में हुए भीषण भूस्खलन में अपने परिजनों और घरों को खोने वाले लोगों को देखकर बहुत दुख हुआ. उन्होंने इसे राष्ट्रीय आपदा करार दिया. वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने कहा कि यह वायनाड, केरल और देश के लिए भयावह त्रासदी है. उन्होंने कहा, 'मेरे लिए तो यह निश्चित रूप से एक राष्ट्रीय आपदा है, लेकिन देखते हैं कि सरकार क्या कहती है.' राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र चूरलमाला का दौरा किया. गांधी ने कहा, "हम यहां स्थिति देखने आए हैं. यह देखना काफी दर्दनाक है कि लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों और घरों को खो दिया है. इन परिस्थितियों में लोगों से बात करना बहुत मुश्किल है क्योंकि वास्तव में आपको पता नहीं होता कि उनसे क्या कहना है.'