नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में 14 साल पहले उद्योग के लिए कृषि भूमि अधिग्रहित करने के खिलाफ खूनी आंदोलन हुआ, जिसने राज्य की राजनीतिक तस्वीर बदल दी थी. अब वही नंदीग्राम (Nandigram) चाहता है कि इलाके में उद्योगों का विकास हो ताकि काम की तलाश में लोगों को बाहर न जाना पड़े.


नंदीग्राम में चुनावी लड़ाई का मैदान तैयार


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नंदीग्राम (Nandigram) में चुनावी लड़ाई का अखाड़ा फिर से तैयार है. इससे पहले इसी इलाके ने 34 साल पुरानी शक्तिशाली वाम सरकार को हिला दिया था और वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के लिए सत्ता में आने का रास्ता साफ किया था. इस बार एक अप्रैल को यहां मतदान होगा. इस सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का उनके कभी भरोसेमंद रहे और अब विरोधी बने शुवेंदु अधिकारी से मुकाबला है. इस विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक और सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है. हालांकि पार्टियों और स्थानीय लोगों की इस मामले पर एक राय है कि इस इलाके में उद्योगों का खुले दिल से स्वागत किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि अब उद्योगों को वर्ष 2007 की तरह कड़े विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा.


रोजगार न मिलने से लोग परेशान


अधिकारपाड़ा के रहने वाले बुजुर्ग अजित जना कहते हैं, ‘यहां औद्योगिक केंद्र स्थापित करने से न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि हमारे बच्चे हमारे साथ रहेंगे. अगर नंदीग्राम में नहीं तो आसपास के इलाकों में भी औद्योगिक विकास से भी यहां के लोगों को मदद मिलेगी. युवाओं को रोजगार की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा.’गुरुग्राम की फैक्टरी में काम करने वाले और गोकुलनगर निवासी जॉयदेब मंडल भी ऐसी ही राय रखते हैं. वे कहते हैं कि अगर लोगों को अधिग्रहित जमीन का उचित दाम दिया जाए तो वे औद्योगिक विकास का विरोध नहीं करेंगे. मंडल (32 वर्षीय) कहते हैं, ‘नंदीग्राम आंदोलन इतिहास की बात है. अगर लोगों को अच्छा मुआवजा मिलेगा और स्थानीय निवासियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा तो कोई समस्या नहीं आएगी.’


इलाके में केवल ही फसल हो पाती है


नंदीग्राम (Nandigram) पूर्वी मिदनापुर जिले के तटीय इलाके में आता है. यहां पर पानी में लवणता अधिक होने की वजह से केवल एक फसल ही हो पाती है. पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत समिति सदस्य ने कहा, ‘इस इलाके में केवल एक फसल होती है. जमीन बंटी हुई है इसलिए लोग चाहते हैं कि यहां उद्योग लगें. ये उद्योग कपड़ा या कृषि आधारित हो सकते हैं.’


नंदीग्राम में 14 साल पहले हुई थी हिंसा


बताते चलें कि वर्ष 2007 में भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमिटी (BUPC) के नेतृत्व में विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किए थे. इन प्रदर्शनों को नियंत्रित करने की कोशिश में पुलिस की गोली से 14 लोगों की मौत हो गई थी. इन प्रदर्शनों की वजह से इंडोनेशिया की सलीम समूह की कंपनी ने एक हजार एकड़ क्षेत्र में केमिकल हब बनाने की योजना रद्द कर दी थी. इन प्रदर्शनों के बाद इलाके में विशेष आर्थिक जोन बनाने की योजना भी स्थगित कर दी गई. तृणमूल कांग्रेस (TMC) हर साल पुलिस गोलीबारी में मारे गए 14 प्रदर्शनकारियों की याद में 14 मार्च नंदीग्राम दिवस मनाती है. उसके बाद से इलाके में औद्योगिक विकास की स्पीड वहीं रूक गई. यही कारण है कि नंदीग्राम आज भी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर है और चावल, सब्जी और मछली की आसपास के इलाके में आपूर्ति करता है.


अधिकतर परिवारों की मासिक आय 6 हजार रुपये


पिछले 14 सालों में आए बदलाव के बारे में पूछे जाने पर BUPC की पूर्व नेता बाबनी दास ने कहा कि नंदीग्राम को बदलाव का इंतजार है. यहां पर अधिकतर परिवारों की मासिक आय 6000 रुपये से अधिक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘अधिकतर परिवारों में कम से कम एक सदस्य दूसरे राज्य में कमाने गया है. यहां रोजगार का मतलब खेती, झींगा पालन या मनरेगा योजना के तहत मजदूरी है. युवाओं के पास डिग्री तो है लेकिन उनकी रुचि खेती में नहीं है.’बाबनी दास इस बार नंदीग्राम (Nandigram) दिवस के अवसर पर आयोजित रैली से भी दूर रहीं. बाबनी दास कहती हैं कि कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन से भी लोगों की आंख खुली हैं. दूसरे शहरों से सैकड़ों प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव लौटे हैं और अब यहां पर काम न होने पर चिंतित हैं. 


ये भी पढ़ें- West Bengal Election: Mamta Banerjee का बड़ा ऐलान, Nandigram से लड़ेंगी चुनाव


'तृणमूल कांग्रेस ने लोगों को गुमराह किया'


पूर्वी मिदनापुर में माकपा के जिलाध्यक्ष निरंजन सिही कहते हैं,‘लोग समझ चुके हैं कि तृणमूल (TMC) ने उन्हें भ्रमित किया. बिना उद्योग कोई विकास नहीं हो सकता.’बीजेपी की तामलुक जिला इकाई के अध्यक्ष नबरुण नायक कहते हैं,‘हम सुनिश्चित करेंगे कि जेल्लीनगाम शिपयार्ड परियोजना शुरू हो. तृणमूल ने गत दस साल में स्थानीय लोगों के लिए कुछ नहीं किया. हम राज्य में औद्योगिक विकास के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.’ वहीं स्थानीय तृणमूल नेता अबू ताहिर ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने जेल्लीगाम परियोजना के लिए कुछ नहीं किया है.


LIVE TV