Bullet Train Project: मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट पर कार्य अच्छी गति से चल रहा है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले हफ्ते साइट का दौरा करके उसकी समीक्षा भी की थी. रेल मंत्री ने जून में ऐलान किया था देश की पहली बुलेट ट्रेन साल 2026 से पटरी पर दौड़ने लगेगी. 


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बढ़ गई अनुमानित लागत


अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि कार्य अच्छी प्रगति से चल रहा है. हालांकि प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन में देरी ने देश की पहली हाई-स्पीड रेल की अनुमानित लागत को 1.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक कर दिया है. इसमें जीएसटी शामिल नहीं है. प्रोजेक्ट में देरी की वजह कोविड-19 को बताया जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की कुल अनुमानित लागत 1.1 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 1.6 लाख करोड़ हो गई.



इस बीच, टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट ने परियोजना कार्यान्वयन एजेंसी - नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के हवाले से कहा कि संशोधित लागत केवल भूमि अधिग्रहण के पूरा होने के बाद आ सकती है. मूल्य वृद्धि भूमि अधिग्रहण पर बढ़े हुए खर्च, सीमेंट, स्टील और अन्य कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण दी गई है. 


रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि अब तक दादर और नागर हवेली में ही 100 फीसदी भूमि अधिग्रहण की गई है, जबकि गुजरात में 98.9 फीसदी और महाराष्ट्र में सिर्फ 73 फीसदी भूमि अधिग्रहण हुई है. केंद्र सरकार का कहना है कि महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण परियोजना को पूरा होने में समय लग रहा है.  508 किलोमीटर लंबी अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड रेल परियोजना 14 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पूर्व जापानी समकक्ष शिंजो आबे द्वारा शुरू की गई थी.


कितना होगा बुलेट ट्रेन का किराया?


बुलेट ट्रेन को लेकर केंद्र सरकार का दावा है कि ये लोगों की पहुंच में होगा. बुलेट ट्रेन का किराया फ्लाइट से कम और फस्र्ट एसी के बराबर रखा जाएगा. रेल मंत्री ने बीते दिनों कहा था कि 2026 में गुजरात के सूरत और बिलिमोरा के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन चलाने का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा क्योंकि इस दिशा में अच्छी प्रगति हो रही है. 


मुंबई और अहमदाबाद के बीच 320 किमी की रफ्तार से बुलेट ट्रेन चलाने का प्रस्ताव है. दोनों शहरों के बीच कुल 508 किमी की दूरी है और इसमें 12 स्टेशन होंगे. इस ट्रेन से दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय घटकर तीन घंटे रह जाएगा. अभी इसमें छह घंटे का समय लगता है. इसमें से 81 फीसदी फंडिंग जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी कर रही है.


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