Isha Foundation Row: सदगुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. एक बुजुर्ग दंपति ने आरोप लगाया है कि उनकी दोनों बेटियों को ईशा फाउंडेशन में कैद कर रखा गया है और उन्हें बाहर नहीं आने दिया जाता. आरोप है कि आश्रम में आने वाली महिलाओं को सन्यासी बनने के लिए ब्रेनवॉश किया जाता है.


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पुलिस की टीम ने ईशा फाउंडेशन का दौरा किया


इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद, पुलिस की टीम ने ईशा फाउंडेशन का दौरा किया. याचिका में कहा गया है कि बेटियों को परिवार से मिलने नहीं दिया जाता. हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि सदगुरु, जिनकी खुद की बेटी की शादी हो चुकी है, दूसरों की बेटियों को सन्यासी बनने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं.


..अपनी मर्जी से आश्रम में रहने का निर्णय लिया


हालांकि, दोनों बेटियों ने हाईकोर्ट में मौजूद रहकर कहा कि उन्होंने अपनी मर्जी से आश्रम में रहने का निर्णय लिया है. ईशा फाउंडेशन ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे किसी को भी शादी करने या सन्यासी बनने के लिए नहीं कहते. सभी व्यस्क व्यक्तियों को अपनी पसंद का रास्ता चुनने की स्वतंत्रता है.


ईशा फाउंडेशन का बयान


- उनके मुताबिक ईशा फाउंडेशन लोगों को शादी करने या सन्यासी बन जाने के नहीं कहता है.
- ईशा फाउंडेशन लोगों को योग और आध्यात्मिकता की ओर ले जाने के बना है.
-  व्यस्क व्यक्ति अपनी रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र है.
- ईशा फाउंडेशन में हजारों ऐसे लोग हैं जो साधु नहीं हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें सन्यास लिया है.


करीब एक दशक पुराना मामला


यह मामला करीब एक दशक पुराना है. जब तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की दो बेटियों ने योग सीखने के लिए ईशा फाउंडेशन का रुख किया. लेकिन धीरे-धीरे वे सन्यासी बन गईं और परिवार से संबंध समाप्त कर लिया.