Romio Juliet Law: क्या है रोमियो-जूलियट कानून, जिसे लेकर पूरे देश में चल रही बहस
Supreme Court: रोमियो-जूलियट कानून में लड़के के लिए प्रोटेक्शन की मांग की गई है. अर्जी में कहा गया है कि 16 से 18 साल के टीनएजर्स के बीच मर्जी से बने संबंधों को क्राइम की कैटेगरी से बाहर कर देना चाहिए. इससे कम उम्र पर यह सजा होनी चाहिए.
Narendra Modi & Supreme Court: देश की सबसे बड़ी अदालत में एक अर्जी दाखिल हुई है, जो रोमियो-जूलियट कानून से जुड़ी है. इसमें किशोरों को इम्युनिटी देने की मांग की गई है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये रोमियो-जूलियट कानून क्या है, चलिए आपको बताते हैं.
अकसर ऐसे मामले आते हैं, जिसमें किशोर यानी टीएजर्स ने आपसी सहमति से संबंध बनाए और लड़की प्रेग्नेंट हो गई. इसके बाद लड़की के परिजन यही आरोप लगाते हैं कि उनकी बेटी को लड़के ने ही बहलाया-फुसलाया है. जब केस दर्ज होता है तो उसको जेल भेज दिया जाता है. बहस इस बात पर होती रही है कि अगर संबंध सहमति से बने हैं तो लड़के को रेप की सजा मिलना गलत है.
अभी क्या है कानून?
फिलहाल कानून कहता है कि अगर 18 साल से कम उम्र का टीनएजर मर्जी से शारीरिक संबंध बनाए और लड़की प्रेग्नेंट हो जाए तो लड़के पर रेप का केस दर्ज होता है. यौन अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए देश में POCSO एक्ट लागू है. इस कानून के मुताबिक सहमति से कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर किसी किशोर के साथ शारीरिक संबंध बनाए गए हैं तो वह अपराध ही माना जाएगा. वहीं बात करें धारा 376 की तो उसमें लिखा है कि भले ही 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की ने संबंध मर्जी से बनाए हों लेकिन उससे कोई मतलब नहीं. माता-पिता की कंप्लेंट पर लड़के पर दुष्कर्म का मामला दर्ज होता है.
रोमियो-जूलियट कानून क्या है?
इस कानून में लड़के के लिए प्रोटेक्शन की मांग की गई है. अर्जी में कहा गया है कि 16 से 18 साल के टीनएजर्स के बीच मर्जी से बने संबंधों को क्राइम की कैटेगरी से बाहर कर देना चाहिए. इससे कम उम्र पर यह सजा होनी चाहिए.
अर्जी में कहा गया है कि आजकल के टीनएजर्स इतने समझदार हैं कि सोच-विचारकर ही काम करते हैं. लिहाजा सिर्फ लड़का पक्ष को परेशान करना ठीक नहीं. हालांकि रोमियो-जूलियट कानून के तहत लड़के को कुछ विशेष परिस्थितियों में ही राहत मिलती है. अगर लड़के और लड़की की उम्र में ज्यादा फर्क हो, जैसे लड़की 13 साल की हो और लड़का 18 साल का हो. इसका मतलब उम्र में 4 साल का फासला. तब ऐसी स्थिति में रेप का केस बनेगा.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी कह चुके हैं कि सहमति से संबंधों में भी POCSO कानून के कारण एक पक्ष को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जबकि एक उम्र के बाद टीनएजर्स रिस्क को देखते हुए फैसला ले लेते हैं.