DNA with Sudhir Chaudhary: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने बागी विधायकों को मनाने के लिए एक नया ऑफर दिया है. आज शाम को Facebook Live के दौरान उन्होंने कहा कि वो मुख्यमंत्री पद से हटने के लिए तैयार हैं लेकिन वो चाहते हैं कि नया मुख्यमंत्री कोई शिवसैनिक ही होना चाहिए. यानी वो एकनाथ शिंदे को ये ऑफर दे रहे हैं कि अगर वो वापस आ जाएंगे तो उद्धव ठाकरे उन्हें महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री बना देंगे. दूसरा वो उनके मन में ये लालच भी पैदा कर रहे हैं कि अगर वो बीजेपी के साथ जाते हैं तो भी उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.


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शिंदे ने रखी ये डील


उद्धव ठाकरे का ऑफर तो आपने जान लिया. लेकिन अब आपको एकनाथ शिंदे की शर्तों के बारे में भी जानना चाहिए. एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को ये कह कर फंसा दिया है कि सारे बागी विधायक वापस आने को तैयार हैं, बशर्ते शिवसेना कांग्रेस और NCP के साथ अपने रिश्ते तोड़ ले. अब स्थिति ये है कि उद्धव ठाकरे के पास शिवसेना के 55 में से सिर्फ 16 विधायक ही बचे हैं और बाकी सारे विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं. अब एकनाथ शिंदे ये कह रहे हैं कि शिवसेना के असली नेता वो हैं और अब वो पूरी पार्टी को ही Take Over करके ठाकरे परिवार को उससे बाहर कर देना चाहते हैं.


महाराष्ट्र में जारी है सियासी खेल


यानी महाराष्ट्र में इस समय राजनीति का सबसे रोचक मैच खेला जा रहा है. इस खेल में सबकुछ है. इसमें नम्बर गेम भी है. इसमें छल-कपट भी है. इसमें धोखा भी है और इसमें ईर्ष्या भी है. ये पूरा राजनीतिक खेल एक फिल्मी कहानी के जैसा है. जिसमें आपको Tragedy के साथ Comedy भी मिल जाएगी और Comedy ये है कि उद्धव ठाकरे अब तक तो सिर्फ अपनी सरकार बचा रहे थे. लेकिन अब शायद वो अपनी पार्टी यानी शिवसेना को भी नहीं बचा पाएंगे. क्योंकि एकनाथ शिंदे अब एक तरह से शिवसेना पर ही अपना दावा ठोक दिया है.


शिंदे ने किया पार्टी पर टेकओवर


एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के उस फैसले को सीधी चुनौती दी है, जिसमें उद्धव ठाकरे ने उन्हें विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया था और अजय चौधरी को शिवसेना के विधायकों का नेता घोषित कर दिया था. लेकिन एकनाथ शिंदे ने अब महाराष्ट्र के विधानसभा उपाध्यक्ष को एक चिट्ठी लिखी है और इसमें उन्होंने बताया है कि उनके पास शिवसेना के दो तिहाई विधायकों का समर्थन है और इन सभी विधायकों ने उन्हें अपना विधायक दल का नेता चुन लिया है. यानी एकनाथ शिंदे ने सीधे तौर पर शिवसेना पार्टी को ही Take Over कर लिया है और अब वो ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे के पास नहीं है, बल्कि इस पार्टी पर अब उनका दावा बनता है.


शिवसेना के बागी विधायकों ने एक Resolution भी पास किया है. जिसमें दो बड़ी बातें कही गई हैं. पहला ये कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार में बहुत भ्रष्टाचार है और उसके दो पूर्व मंत्री इस समय जेल में बन्द हैं. ये नेता हैं, अनिल देशमुख और नवाब मलिक और शिवसेना के बागी विधायक ऐसी सरकार का हिस्सा नहीं बने रह सकते है, जिसमें भ्रष्टाचार है और दूसरा इसमें ये लिखा है कि, शिवसेना ने कांग्रेस और NCP के साथ गठबन्धन करके वैचारिक समझौता किया है, जो सही नहीं है और शिवसेना ने इसके लिए हिन्दुत्व को छोड़ दिया है. 


दिन का बड़ा उलटफेर


इस खबर से जुड़ा एक Latest अपडेट ये है कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच अब से कुछ देर पहले एक घंटे की लंबी मुलाकात हुई है और आज आदित्य ठाकरे ने भी अपने Twitter Bio से मंत्री पद की जानकारी हटा दी है. उद्धव ठाकरे ने जो ऑफर दिया है और इसके जवाब में एकनाथ ने जो शर्त रखी है, उसके बाद महाराष्ट्र में चार राजनीतिक परिस्थितियां बनती हुई दिख रही हैं.


पहला अगर एकनाथ शिंदे और बाकी विधायक उद्धव ठाकरे के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं तो सम्भव है कि महाराष्ट्र में सरकार गिरने से बच जाए और शिवसेना भी ना टूटे. क्योंकि इस स्थिति में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री के पद से हट जाएंगे और एकनाथ शिंदे को नया मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि, यहां सवाल वही है कि, क्या कांग्रेस और NCP इसके लिए तैयार होंगे.


दूसरा एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की सरकार गिराकर शिवसेना पर अपना दावा कर सकते हैं और राज्य की सबसे बड़ी पार्टी, बीजेपी के साथ सरकार बना सकते हैं.


क्या कहता है कि दलबदल कानून?


Anti Defection Law के तहत अगर किसी पार्टी के दो तिहाई विधायक बागी हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में उनकी विधानसभा और पार्टी की सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती. जैसे शिवसेना के पास कुल 55 विधायक हैं और इस हिसाब से दो तिहाई विधायकों की संख्या होती है 36 और एकनाथ शिंदे का दावा है कि उन्हें शिवसेना के 39 विधायकों का समर्थन हासिल है. यानी उनके पास दो तिहाई से ज्यादा विधायक हैं. इस वजह से ये सभी विधायक Anti Defection Law के दायरे में नहीं आते और उनकी विधानसभा की सदस्यता भी रद्द नहीं की जा सकती.


अब अगर ऐसा ही होता है तो एकनाथ शिंदे के पास तीन विकल्प होंगे या तो वो शिवसेना में ही बने रहें और पार्टी अपना दावा ठोक दें. दूसरा वो इन विधायकों को साथ लेकर एक नई पार्टी भी बना सकते हैं और तीसरा वो इस पार्टी का किसी दूसर दल में विलय भी कर सकते हैं.


क्या कहता है नंबर गेम?


अब जैसा हम बता रहे हैं, अगर वैसा ही होता है तो बीजेपी एकनाथ शिंदे के साथ मिल कर महाराष्ट्र में आसानी से सरकार बना लेगी. क्योंकि बीजेपी के पास 106 विधायक हैं और एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 39 और 7 निर्दलीय विधायक हैं और इस तरह ये आंकड़ा होता है. 152 और बहुमत के लिए चाहिए 144 विधायक क्योंकि महाराष्ट्र में अभी मौजूदा विधायकों की संख्या 287 है.


इसके अलावा अगर उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे की शर्त मान ली और कांग्रेस और NCP से अपने रिश्ते तोड़ लिए तो ऐसी स्थिति में शिवसेना और बीजेपी मिल कर सरकार बना सकते हैं.


तीसरा अगर एकनाथ शिंदे शिवसेना के दो तिहाई विधायकों का समर्थन नहीं जुटा पाते. यानी उन्हें शिवसेना के पूरे 36 विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तो ऐसी सूरत में इन सभी विधायकों की विधान सभा की सदस्यता रद्द हो सकती है. राज्य में फिर से फ्लोर टेस्ट हो सकता है. जिसमें उद्धव ठाकरे अपनी सरकार बचा लेंगे. क्योंकि ऐसा होने पर विधानसभा की Strength 287 से कम हो जाएगी. ऐसी स्थिति में शिवसेना, कांग्रेस और NCP कुछ निर्दलीयों के साथ मिल कर अपनी सरकार बचा लेंगे.


चौथी बात ये कि अगर उद्धव ठाकरे विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करते हैं और बीजेपी भी इसका विरोध नहीं करती और राज्यपाल इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा. फिर वहां सभी पार्टियों को चुनावों में जाना पड़ेगा.


हालांकि एकनाथ शिंदे का दावा है कि इसकी नौबत नहीं आएगी. क्योंकि उद्धव ठाकरे के पास अब शिवसेना के 55 में से सिर्फ 16 विधायक ही बचे हैं. आज उन्होंने सुबह जो कैबिनेट मीटिंग बुलाई थी. उसमें भी उनके चार कैबिनेट मंत्री नहीं आए. महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के कुल 11 मंत्री हैं, जिनमें से चार मंत्री आज की बैठक में अनुपस्थित रहे.


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