Jagannath Temple Ratna Bhandar: ओडिशा (Odisha) के जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri ) में स्थित 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर (Jagannath temple) में भगवान का रत्न भंडार (खजाना) मरम्मत के लिए 46 साल बाद 14 जुलाई को खोला गया था. भगवान के खजाने की (Jagannath Puri Khajana) पड़ताल से जुड़ी लंबी कवायद के बाद क्या कुछ सामने आया, उसे लेकर अधिकारिक जानकार सामने आई है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

'रत्न भंडार में सुरंग नहीं'


श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में एक गोपनीय सुरंग होने को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच, पुरी के राजा एवं गजपति महाराजा दिव्य सिंह देव ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) जांच के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है. देव ने रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में सुरंग या गुप्त कक्षों की संभावना के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही. कई स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में एक गुप्त सुरंग है.


देव ने कहा, ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कक्ष की स्थिति का आकलन करने के लिए ‘लेजर स्कैन’ जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग कर सकता है. ऐसी तकनीक का उपयोग कर सर्वेक्षण करने से सुरंगों जैसी किसी भी संरचना के बारे में जानकारी मिल सकती है.’ वहीं, पर्यवेक्षण समिति के अध्यक्ष एवं उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ ने कहा, ‘हमारे निरीक्षण के दौरान हमें सुरंग जैसी किसी विशेष चीज का कोई साक्ष्य नहीं मिला.’ उन्होंने अन्य 10 सदस्यों के साथ भीतरी कक्ष में सात घंटे से अधिक समय बिताया.



सोशल मीडिया पर फैली फेक न्यूज़


उन्होंने लोगों से सोशल मीडिया पर और मीडिया से इस बारे में गलत सूचना फैलाने से बचने का आग्रह किया. समिति के एक अन्य सदस्य और सेवादार दुर्गा दासमहापात्रा ने कहा, ‘हमें रत्न भंडार में कोई गुप्त कक्ष या सुरंग नहीं दिखी. रत्न भंडार लगभग 20 फुट ऊंचा और 14 फुट लंबा है.’ उन्होंने निरीक्षण के दौरान सामने आईं कुछ छोटी-मोटी समस्याओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘छत से कई छोटे पत्थर गिरे थे और रत्न भंडार की दीवार में दरार आ गई. सौभाग्य से, फर्श में उतनी नमी नहीं थी जितनी आशंका थी.’


रत्नभंडार खुलने से लेकर बंद होने तक की टाइम लाइन


  • भीतर (आंतरिक) रत्न भंडार में रखे गए श्रीजगन्नाथ के सभी आभूषणों और आभूषणों को श्रीजगन्नाथ मंदिर के अंदर अस्थायी रूप से बनाए गए रत्न भंडार में सुरक्षित रूप से स्थानांतरित कर दिया गया है.

  • जस्टिस बिस्वनाथ रथ समिति ने सफलतापूर्वक काम पूरा कर लिया है.

  • आभूषण 4 अलमारियों (3 लकड़ी और 1 स्टील) और 3 बक्सों (1 स्टील, 2 लकड़ी) में रखे गए थे. 

  • सभी आभूषणों को एसओपी के अनुसार 11 सदस्यीय समिति की देखरेख में भंडार सेवकों द्वारा अस्थायी रूप से निर्मित भंडार में स्थानांतरित कर दिया गया है.

  • कोई सांप या अतिप्राकृतिक चीजें नहीं मिलीं.

  • केवल प्लास्टर में कुछ दरारें पाई गईं.

  • समिति लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार को विशेषज्ञों द्वारा सुरंगों या किसी अन्य गुप्त कक्षों की खोज करने का सुझाव देगी.

  • सदस्यों ने आभूषण देने और विशिष्टता देने से इनकार कर दिया.

  • पूरे काम में लगभग 7.30 घंटे लगे. समिति ने ज्योतिषियों (मंदिर पंडितों) द्वारा दिए गए शुभ मुहुर्त के अनुसार सुबह 9.51 बजे ताले खोले और शाम 5.15 बजे ताला लगा दिया.

  • दोनों भंडारों (अस्थायी सहित) पर ताला लगा दिया गया है और चाबियां कलेक्टर के खजाने में स्थानांतरित कर दी गई हैं.