Whatsapp Status: सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले अपना व्हाट्सऐप स्टेटस भी लगभग रोज अपडेट करते हैं. अगर आप भी ऐसा करते हैं तो अब सोच समझकर ही व्हाट्सऐप स्टेटस लगाइयेगा. किसी की भावना को ठेस पहुंचा तो आपके लिए मुश्किल बढ़ सकती है. व्हाट्सऐप स्टेटस से जुड़े एक मामले में बंबई हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. आइये आपको बताते हैं कोर्ट ने अपने फैसले में किन बातों का ध्यान रखने के लिए कहा है.


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बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक धार्मिक समूह के खिलाफ कथित तौर पर नफरत फैलाने वाली सामग्री पोस्ट करने के आरोपी के विरूद्ध प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए कहा है कि व्हाट्सऐप ‘स्टेटस’ के माध्यम से दूसरों तक कुछ संदेश पहुंचाते समय जिम्मेदारी की भावना से व्यवहार करना चाहिए. न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी एसए मेनेजिस की खंडपीठ ने 12 जुलाई को अपने आदेश में कहा कि आजकल व्हाट्सऐप स्टेटस का उद्देश्य अपने परिचितों को कुछ चीजों से अवगत कराना होता है और लोग अक्सर अपने परिचितों का व्हाट्सऐप स्टेटस देखते हैं.


किशोर लांडकर (27) नामक व्यक्ति के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत करने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं, अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम और सूचना प्रौद्योगकी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. लांडकर ने प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.


अदालत ने कहा, “व्हाट्सऐप स्टेटस...आप क्या कर रहे हैं, क्या सोच रहे हैं या आपने जो कुछ देखा है उसकी तस्वीर या वीडियो हो सकता है. यह 24 घंटे के बाद हट जाता है. व्हाट्सऐप स्टेटस का उद्देश्य किसी व्यक्ति द्वारा परिचितों तक कुछ बात पहुंचाना होता है. यह और कुछ नहीं, बल्कि परिचित व्यक्तियों से संपर्क का एक तरीका है. दूसरों को कोई बात बताते समय जिम्मेदारी की भावना से व्यवहार करना चाहिए.”


शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि मार्च 2023 में आरोपी ने अपना व्हाट्सऐप स्टेटस अपलोड किया, जिसमें उसने एक प्रश्न लिखा और स्टेटस देखने वालों से चौंकाने वाले परिणाम जानने के लिए गूगल पर इसे (प्रश्न को) ‘सर्च’ करने को कहा. शिकायत में कहा गया है कि जब शिकायतकर्ता ने सवाल को गूगल पर ‘सर्च’ किया, तो उसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली आपत्तिजनक सामग्री नजर आई.


(एजेंसी इनपुट के साथ)