नई दिल्ली: आज पर्वतारोही बछेंद्री पाल (1954) का जन्‍मदिन है. देश की पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) के पर्वतारोहण का पहला अनुभव उन्हें मात्र 12 साल की उम्र में  ही मिल गया था. दरअसल एक बार वह अपनी क्लास छोड़कर पहाड़ की चढ़ाई करने निकल गई थीं. इस दौरान बछेंद्री अपने 10 सहपाठियों के साथ करीब 4 हजार मीटर की चढ़ाई की थी. 


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बचपन में बछेंद्री ने एक दिन क्लास छोड़कर, अपने दोपहर का खाना लेकर पहाड़ पर जाने का फैसला किया. पर वह अपने साथ पानी ले जाना भूल गईं. इस दौरान बछेंद्री ने बर्फ खाकर अपनी प्यास बुझाई थी. हालांकि उनकी असल परेशानी तब शुरू हुई, जब उन्हें नीचे वापस आना था, जब उन्होंने धीरे-धीरे नीचे उतरना शुरू किया, तो बर्फ की फिसलन के कारण यह काफी मुश्किल होता जा रहा था. ऑक्सीजन की कमी के कारण बछेंद्री को घुटन महसूस होने लगी और उन्हें एक बार बिना खाना-पानी के ही गुजारनी पड़ी थी. अगली सुबह जब बछेंद्री अपने घर पहुंची तो उनकी पिटाई भी हुई थी.


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 बछेंद्री को बचपन से ही हार मानना पसंद नहीं था. बछेंद्री छोटे बच्चों की प्रधानमंत्री संग तस्वीर देखकर उन्होंने अपने घर वालों से कहा था कि वह एक दिन इंदिरा गांधी से मिलेंगी. इतना ही नहीं घर के पास से कोई कार गुजरती तो वह कहती कि बड़े होकर मैं कार खरीदूंगी. हेलीकॉप्टर को आसमान में देखकर उसमें सफर करने का भी सपना बछेंद्री ने बचपन में ही देख लिया था.


वह 1984 में माउंट एवरेस्‍ट पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बनीं. आपको बता दें कि 1993 में पाल ने एवरेस्ट जाने वाले भारत के पहले महिला अभियान की अगुवाई की थी. इसमें नेपाल और भारत की कुल 16 महिला पर्वतारोही शामिल थीं, जिन्होंने चोटी फतेह की थी. इस अभियान में संतोष यादव भी थीं, जो दुनिया की पहली ऐसी महिला बनीं, जिन्होंने एक ही साल में दो बार एवरेस्ट की चोटी फतेह की.