...जब बंदरों ने बंगले में मचाया था कोहराम, तब Pranab Mukherjee ने क्या दिया जवाब, बेटी ने सुनाया किस्सा
Pranab Mukherjee Death Anniversary: मुखर्जी 25 जुलाई 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति बने थे. जुलाई 2017 में 81 वर्ष की आयु में वह रिटायर हो गए थे. तीन साल बाद 31 अगस्त 2020 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.
Pranab Mukherjee Biography: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर बुधवार को उनकी बेटी ने उनसे जुड़ा एक किस्सा याद किया. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उस वक्त को याद किया जब रिटायर होने के बाद प्रणब मुखर्जी का हरा-भरा बंगला एक बार 'बंदरों से भरा' था. लेकिन उन्होंने बंदरों की इस घुसपैठ का बचाव करते हुए कहा था कि इंसानों ने उनकी प्राकृतिक जगह ले ली है.
बेटी ने सुनाया ये किस्सा
प्रणब मुखर्जी की याद में आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह किस्सा साझा किया. शर्मिष्ठा ने कहा, 'मेरे पिता एक पशु प्रेमी थे. जब वे राष्ट्रपति पद से रिटायर हुएतो हम 10, राजाजी मार्ग बंगले में चले गए थे. एक बार 50-60 बंदरों का एक झुंड घर के परिसर में घुस गया और कहर बरपाया. उन्होंने आम के पेड़ को बर्बाद कर दिया और बाकी सब अस्त-व्यस्त कर दिया, लेकिन इस बारे में जब पिता को बताया, तो उन्होंने कहा, 'हमने उनकी जगह ले ली है'. उन्होंने बताया कि पिता जी ने आगे कहा, 'हम सब्जियां खरीद सकते हैं, लेकिन क्या वे बंदर बाजार से सब्जियां खरीद सकते हैं.'
11 दिसंबर 1935 को बंगाल के बीरभूम इलाके के मिराटी में जन्मे प्रणब मुखर्जी के बचपन का नाम पोल्टू था. उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था. मुखर्जी 25 जुलाई 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति बने थे. जुलाई 2017 में 81 वर्ष की आयु में वह रिटायर हो गए थे. तीन साल बाद 31 अगस्त 2020 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. प्रणब मुखर्जी बचपन से पढ़ने-लिखने में बेहद होशियार थे. जब वे रिटायर हुए तो 11,776 वर्ग फुट में फैले 10 राजाजी मार्ग वाले बंगले में शिफ्ट हो गए. ग्राउंड फ्लोर पर यहां एक लाइब्रेरी और पढ़ने की जगह थी.
प्रणब मुखर्जी ने कौन-कौन से मंत्रालय संभाले
2004-06 तक मुखर्जी रक्षा मंत्री रहे.
2006-2009 तक विदेश मंत्रालय संभाला.
2009-12 तक वित्त मंत्रालय का कामकाज देखा
इनके साथ-साथ नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग समेत कई अहम मंत्रालयों का प्रभार भी उनके जिम्मे आया.
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