ZEE NEWS TIME MACHINE: ज़ी न्यूज़ आपको वक्त के अनोखे सफर पर लेकर चल पड़ा है. ये है TIME MACHINE जहां बीता कल दोबारा जिंदा होगा, इतिहास के पीले पड़ चुके पन्ने खुलेंगे और उसमें से अनगिनत किरदार आपके सामने दिखेंगे. जो वक्त गुजर चुका है, उसे आप दोबारा घटते हुए देखेंगे, आपके सामने तस्वीरें बनेंगी.. बिगड़ेंगी, दिन, महीने और साल बीतेंगे, History जैसे दोबारा लिखी जाएगी. मुमकिन है TIME MACHINE में आप भारत के विभाजन की दर्दनाक तस्वीरें देखें, महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू का झगड़ा महसूस करें, किशोर कुमार की पहली फिल्म का गीत सुनें, आप देखें किसने नक्शे पर चाकू रखकर भारत के दो टुकड़े कर दिए, इमरजेंसी के दौर में पुलिस के डंडे किसपर चले. ऐसी सैकड़ों हजारों ब्लैक एंड वाइट घटनाएं ट्रेन के डिब्बों की तरह आपके सामने से धड़धड़ाते हुए निकल जाएंगी. आजादी के 75 साल पर हर साल की ऐसी 10 कहानियां अगले 75 दिनों तक TIME MACHINE में दिखने वाली हैं. आइये आपको TIME MACHINE से ले चलते हैं 1947 में, वो साल जब भारत आजाद हुआ.


किसने बांटा भारत-पाकिस्तान?


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15  अगस्त 1947- भारत विभाजित हो गया, कल तक एक…मगर उस दिन दो देशों में बंट गया. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच उस दिन कोई सीमारेखा नहीं थी. बस इतना पता था कि कौन सा शहर किस मुल्क के खाते में गया. जिस इंसान ने दोनों देशों को बांटा वो पहले कभी भारत आया ही नहीं था. भारत के दो टुकड़े करने के लिए ब्रिटेन से अचानक सिरील रेडक्लिफ नाम के शख्स को बुलाय गया. रेडक्लिफ न तो पहले कभी भारत आए थे न उन्हें यहां की सभ्यता, संस्कृति और लोगों की जानकारी थी. इस जीते-जागते मुल्क को उन्होंने नक्शा खोल कर दो हिस्सों में बांटा, उन्हें ये तक पता नहीं था कि नक्शे पर पंजाब कहां है और बंगाल कहां? नक्शे पर छुरी चलाने वाले उन्हीं Radcliff के नाम पर 17 अगस्त 1947 यानी आजादी मिलने के तीसरे दिन भारत-पाकिस्तान की विभाजन रेखा या बॉर्डर का नाम Radcliff line पड़ा. सिरिल रेडक्लिफ बंटवारे के बाद काफी विचलित रहे, क्योंकि देश में हिंसा शुरू हो चुकी थी, वो तुरंत ही ब्रिटेन लौट गए और कभी वापस नहीं लौटे, 30 साल बाद, 1977 में उनकी मौत हुई.


ब्रिटिश आर्मी का 'आखिरी' पैगाम!


स्वतंत्र भारत की घोषणा करने के 2 दिन बाद से ही यानी 17 अगस्त 1947 से ब्रिटिश आर्मी ने भारत छोड़ना शुरू कर दिया. ब्रिटिश आर्मी की second battalion, the Royal Norfolk Regiment अपनी सेना के साथ सबसे पहले भारत से इंग्लैंड रवाना हुई, उससे ठीक 2 दिन पहले ब्रिटिश इंडियन आर्मी के फील्ड मार्शल क्लाउड ओचिनलेक ने एक अपना आखिरी संदेश भेजा. एक लाइन का वो आदेश इंडियन आर्मी के नाम से ही लिखा गया था, उसमें लिखा था- (इंडियन आर्मी के आदेश आज से निरस्त हो जाएंगे. ये इंडियन आर्मी का आखिरी आदेश है) इस आदेश के आने के बाद से ही ब्रिटिश आर्मी की जगह ले ली भारतीय फौज ने.


कैसे हुआ 4 लाख सैनिकों का बंटवारा?


1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, ये बात तो हर कोई जानता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उस ब्रिटिश इंडियन आर्मी में मौजूद 4 लाख सैनिकों का बंटवारा कैसे हुआ था? भारत-पाकिस्तान विभाजन के वक्त ब्रिटिश इंडियन आर्मी में कुल मिलाकर 4 लाख भारतीय सैनिक थे. लेकिन जब 17 अगस्त 1947 के दिन सेनाएं बंटी तो 2.6 लाख हिंदू व सिख सैनिक भारतीय सेना में भेजे गए. 1.4 लाख मुस्लिमों ने पाकिस्तान को चुना. बाकि जो ब्रिटिश आर्मी थी वो इंग्लैंड की तरफ रवाना हो गई.


जब जारी हुआ स्वतंत्र भारत का पहला डाक टिकट!


15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो देश में बदलाव का दौर भी शुरू हो गया. आजादी मिलने के बाद स्वतंत्र भारत की सरकार ने अपना पहला डाक टिकट 21 नवंबर को जारी किया जिसकी कीमत साढ़े तीन आने तय की गई. जय हिंद’ के नाम से जारी इस डाक टिकट पर बीचो-बीच लहराते हुए तिरंगे की तस्वीर बनी थी, जबकि बाईं ओर अंग्रेजी में इसकी कीमत लिखी थी. जो कि साढ़े तीन आने थी. तिरंगे के ठीक नीचे ‘इंडिया’ लिखा था और तिरंगे के बगल में 15 अगस्त 1947 लिखा हुआ था. ये डाक टिकट कहने को नीले रंग का एक कागज का छोटा सा टुकड़ा था. लेकिन ये इतिहास के पन्नों पर स्वतंत्र भारत का पहला हस्ताक्षर था, जो सारी दुनिया के सामने भारत की विजयपताका को लहरा रहा था.


जब भिड़ गए गांधी-नेहरू!


देश में आजादी के वक्त एक समय ऐसा आया जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के बीच काफी गर्मागर्मी हुई थी और ये बात शायद ही आप जानते होंगे. दरअसल राममनोहर लोहिया की पुस्तक ‘विभाजन के दोषी’ में दावा किया गया है, कि नेहरू और महात्मा गांधी के बीच विभाजन के मुद्दे पर असहमति थी. दोनों के बीच 14 जून 1947 को कांग्रेस समिति की बैठक में इतनी गरमागरमी हुई थी कि गांधी बैठक छोड़कर चले गए थे. राम मनोहर लोहिया इस बैठक में मौजूद थे. उनका कहना था, गांधी को किसी तरह मनाकर वापस लाया गया.


सोमनाथ मंदिर का कायाकल्प!


12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर आज गुजरात टूरिज्म का एक विश्वविख्यात केंद्र है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश स्वतंत्र भारत की सरकार के पहले कुछ आदेशों में से एक था. भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने 1947 में सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का आदेश दिया था. आजाद भारत के लिए जरूरी था कि इस मंदिर को अपनी भव्यता दोबारा दिलवाई जाए, इसी के लिए सरदार पटेल ने खुद समुद्र का जल अपने हाथ में लेकर ये निश्चय किया. दर्जनों बार तोड़े गए सोमनाथ मंदिर की कायाकल्प बदलने का आदेश दिया.


भारत में आया जम्मू-कश्मीर


15 अगस्त, 1947 को आजादी मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ और भोपाल ऐसी रियासतें थी जिन्होंने खुद को, भारत या पाकिस्तान का हिस्सा मानने से साफ इनकार कर स्वतंत्र रहने की घोषणा की थी. लेकिन पाकिस्तान ने ताकत के बल पर जम्मू-कश्मीर को हड़पने की योजना बना डाली. पाकिस्तान ने महाराजा हरि सिंह से जम्मू-कश्मीर को छीनने के लिए हजारों पठानी कबायलियों को 24 अक्टूबर, 1947 के दिन जम्मू-कश्मीर पर हमला करने के लिए भेज दिया, संकट की इस घड़ी में महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद ली. भारत ने 24 अक्टूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर में फौज उतार कर पाकिस्तानी कबायलियों को खदेड़ना शुरू कर दिया, भारतीय सेना के आगे वे कहीं नहीं टिके और जम्मू-कश्मीर छोड़ कर भाग गए. इसी के बाद महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाने के लिए तैयार हो गए.


भारत ने चुना अपना 'मानक समय'


पृथ्वी पर हर समय कहीं ना कहीं सूरज ऊग रहा होता है तो कहीं सूरज डूब रहा होता है. पृथ्वी के लिए अलग-अलग टाइम जोन्स हैं, इन मानकों के लिए पृथ्वी को पूरब और पश्चिम से लेकर गोलाई में 24 घंटों में बांटा गया है. इनके आधार पर दुनिया के देश अपना मानक समय चुनते हैं.1884 में ब्रिटिश राज के दौरान, भारत में दो -दो समय क्षेत्र यानी टाइम जोन्स हुआ करते थे, बॉम्बे टाइम और कलकत्ता टाइम. लेकिन जब भारत आजाद हुआ था तो उसने Indian Standard Time यानी IST अपनाया. ब्रिटिश गुलामी की जंजीरों से बाहर निकले भारत ने 1 सितंबर 1947 के दिन अपना मानक समय चुना. यूटीसी+5:30 को, भारत का आधिकारिक समय 1 सितंबर 1947 को घोषित किया गया. यूटीसी का मतलब होता है कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम यानि IST यूटीसी से 5 घंटे और 30 मिनट आगे है.


नेहरू की RSS से नाराजगी


1947 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS और जवाहरलाल नेहरू के बीच आपसी अनबन काफी बढ़ गई थी. दिसंबर, 1947 में नेहरू ने संघ को एक ऐसी 'निजी सेना' बता दिया, जो 'नाज़ियों के पदचिह्नों पर पूरी तरह चल रही है. लेकिन संघ  को लेकर महात्मा गांधी की भावनाएं मिली जुली थीं, इसका प्रमाण दिल्ली में सितंबर, 1947 में संघ के कैंप में गांधी जी के भाषण से चलता है. उन्होंने कहा था, 'मैंने सुना है कि मुसलमानों के प्रति हिंसा के लिए ये संगठन जिम्मेदार है. संघ को 'संगठित और अच्छी अनुशासित इकाई' बताते हुए गांधी ने आगे कहा था कि 'इसकी ताकत भारत के हित में अथवा इसके खिलाफ इस्तेमाल की जा सकती है.'


आजादी वाले दिन गूंजी 'शहनाई'!


एक तरफ देश आजाद, तो दूसरी ओर गूंजी किशोर कुमार की शहनाई! 14 अगस्त की मध्य रात्रि को देश आजाद हुआ तो 15 अगस्त 1947 से सब लोग जश्न में डूब गए लेकिन उसी वक्त मशहूर सिंगर एक्टर किशोर कुमार की शहनाई भी देश में गूंजने लगी. 15 अगस्त 1947 का दिन शुक्रवार का था और उसी दिन किशोर कुमार की नई फिल्‍म 'शहनाई' रिलीज हुई थी. खास बात ये है कि आजादी के दिन रिलीज हुई ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट साबित हुई. देश आजाद हो चुका था. TIME MACHINE में आपने इस सेगमेंट के जरिये सफर किया 75 साल पहले के भारत का, 1947 का.. और देखी उस दौर की 10 अनसुनी कहानियां.



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