Abbas Bhai: मिल गए `अब्बास भाई`! जिनके साथ बचपन में ईद मनाते थे PM मोदी, ब्लॉग में किया जिक्र
Who is Abbas Bhai: पीएम मोदी ने अपनी मां हीरा बेन के 100वें जन्मदिन पर एक ब्लॉग लिखा. इसमें उन्होंने अपने बचपन के दोस्त अब्बास का जिक्र किया. ब्लॉग के सामने आते ही सोशल मीडिया पर अब्बास ट्रेंड करने लगे. आइए बताते हैं कि कौन हैं पीएम मोदी के बचपन के साथी अब्बास?
PM Modi Letter to His Mother: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की मां हीरा बेन मोदी (Heera Ben) का कल (19 मई को) 100वां जन्म दिन था. इस मौके पर पीएम मोदी गुजरात के वडनगर में अपने घर पहुंचे. पीएम मोदी ने वहां अपनी मां के चरण धो कर आशीर्वाद लिया. इसी के साथ ही उन्होंने एक ब्लॉग लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी मां के संघर्ष की कहानी बताई. उन्होंने उन दुखद दिनों का भी वर्णन किया जो उनके परिवार और उनकी मां ने देखे थे. इसी ब्लॉग में उन्होंने अब्बास (Abbas) नाम के एक मुस्लिम युवक का जिक्र किया. लोग इस समय सोशल मीडिया पर अब्बास की चर्चा कर रहे हैं. आइए बताते हैं कि ये अब्बास कौन हैं?
ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं अब्बास
जानकारी के मुताबिक, अब्बास पीएम मोदी के मित्र हैं. वो बचपन में मोदी परिवार के साथ ही रहते थे. इस वक्त अब्बास ऑस्ट्रेलिया में हैं. वो वहां अपने बेटे के साथ रहते हैं. अब्बास के दो बेटे हैं. उनका बड़ा बेटा गुजरात के कासीम्पा गांव में रहता है, वहीं छोटा बेटा ऑस्ट्रेलिया में रहता है. अब्बास गुजरात सरकार में फूड एंड सप्लाई विभाग में काम करते थे. लेकिन अब वो रिटायर हो चुके हैं.
पीएम मोदी ने ब्लॉग में किया था जिक्र
पीएम मोदी ने ब्लॉग में लिखा कि उनके पिता के दोस्त की मौत हो गई, इसके बाद पीएम मोदी के पिता अपने दोस्त के बेटे अब्बास को अपने घर ले आए. अब्बास का पालन-पोषण मोदी परिवार में हुआ. मोदी की मां हीरा बेन उन्हें अपने बेटे की तरह प्यार करती थीं. पीएम मोदी ने लिखा, 'मेरी मां ईद पर अब्बास के लिए व्यंजन बनाती थीं. दूसरों को खुश देखकर मेरी मां हमेशा खुश रहती थीं. घर में जगह भले ही छोटी थी, लेकिन उनका दिल बड़ा था.
'त्योहारों में मां सबको खिलाती थीं खाना'
मोदी की मां हीरा बेन ने अब्बास और अपने बच्चों में कभी भेदभाव नहीं किया. पीएम मोदी ने ब्लॉग में लिखा, 'अब्बास मेरे घर में रहकर, पढ़ते-लिखते बड़े हुए हैं. उन्होंने लिखा, 'त्योहारों के वक्त आसपास के कुछ बच्चे हमारे यहां ही आकर खाना खाते थे. उन्हें भी मेरी मां के हाथ का बनाया खाना बहुत पसंद था. हमारे घर के आसपास जब भी कोई साधु-संत आते थे तो मां उन्हें घर बुलाकर भोजन अवश्य कराती थीं. जब वो जाने लगते, तो मां अपने लिए नहीं बल्कि हम भाई-बहनों के लिए आशीर्वाद मांगती थीं. उनसे कहती थीं कि मेरी संतानों को आशीर्वाद दीजिए कि वो दूसरों के सुख में सुख देखें और दूसरों के दुख से दुखी हों. मेरे बच्चों में भक्ति और सेवाभाव पैदा हो उन्हें ऐसा आशीर्वाद दीजिए.'
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