दुनिया के हर कोने में रिश्तों को निभाने के अपने अलग नियम और कानून होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा शहर भी है, जहां पार्टनर के साथ बेवफाई को कोई जुर्म नहीं माना जाता?
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दुनिया के हर कोने में रिश्तों को निभाने के अपने अलग नियम और कानून होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा शहर भी है, जहां पार्टनर के साथ बेवफाई को कोई जुर्म नहीं माना जाता? जी हां, अगर आप इस शहर में अपने रिश्ते में ईमानदार नहीं रहते, तो आपको किसी भी कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ेगा.
न्यूयॉर्क ने 116 साल पुराने तलाक कानून (divorce law) में बड़ा बदलाव करते हुए एडल्टरी को अपराध मानने वाले कानून को आखिरकार खत्म कर दिया है. 22 नवंबर को न्यूयॉर्क के गवर्नर कैथी होचुल ने इस कानून को निरस्त करने वाले कानून पर साइन कर इसे खत्म कर दिया. 1907 में बनाए गए इस कानून के तहत, शादीशुदा व्यक्ति को अगर बेवफाई का दोषी पाया जाता था, तो उसे तीन महीने तक की जेल हो सकती थी. हालांकि, यह कानून बेहद कम इस्तेमाल हुआ और इसे लंबे समय से अप्रासंगिक माना जा रहा था.
गवर्नर ने क्यों किया ऐसा?
गवर्नर कैथी होचुल ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हालांकि, मैं खुद एक खुशहाल वैवाहिक जीवन जी रही हूं और मेरे पति के साथ 40 वर्षों का खूबसूरत सफर रहा है. यह मेरे लिए थोड़ा व्यंग्यपूर्ण है कि मैं एडल्टरी को अपराध मुक्त करने वाले बिल पर साइन कर रही हूं. लेकिन मैं यह समझती हूं कि लोगों के रिश्ते कॉम्प्लिकेटेड होते हैं. ये मामले अदालतों में जाने के बजाय पर्सनल रूप से ही सुलझने चाहिए. यह समय इस पुराने और बेमानी कानून को खत्म करने का है.
1907 में पहली बार लागू हुआ था कानून
न्यूयॉर्क का यह कानून पहली बार 1907 में लागू हुआ था, जिसके तहत किसी व्यक्ति को ऐसे समय में किसी और के साथ यौन संबंध बनाने का दोषी ठहराया जा सकता था, जब वह खुद या दूसरा व्यक्ति पहले से विवाहित हो. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस कानून के लागू होने के कुछ ही हफ्ते बाद इसे पहली बार एक शादीशुदा पुरुष और 25 वर्षीय महिला के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था.
हालांकि, पिछले कुछ दशकों में इस कानून के तहत दोषी पाए गए लोगों की संख्या काफी कम थी. 1960 के दशक में भी इस कानून को खत्म करने की बात उठी थी, लेकिन कुछ नेताओं का मानना था कि इसे खत्म करने से ऐसा लगेगा कि स्टेट एक्सट्रामैरिटल अफेयर को प्रोत्साहित कर रहा है. यह फैसला न केवल पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को खत्म करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह पर्सनल फ्रीडम को भी प्रायोरिटी देता है.