Harda Factory Blast News: मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले हरदा में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 150 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. अचानक इतनी बड़ी घटना होने से पूरे प्रदेश का शासन- प्रशासन हिला हुआ है. पीएम मोदी ने भी पोस्ट करके इस घटना पर दुख जताया है. सवाल ये उठता है कि आखिरकार इस आदिवासी इलाके में इतनी बड़ी मात्रा में बारूद कैसे जमा हुआ. पुलिस- प्रशासन को वक्त रहते इसकी भनक क्यों नहीं मिल पाई. आखिर उसकी नाक के नीचे इतना बारूद कैसे इकट्ठा हो गया. यह सवाल आम इंसान ही नहीं बल्कि विपक्षी नेता भी उठा रहे हैं. हरदा की पटाखा फैक्‍ट्री में धमाके (Harda Pataka Factory) से जुड़े सभी अपडेट्स देखिए.


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धमाके का मुख्य आरोपी गिरफ्तार 


राजगढ़ पटाखा फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल और उसके भाई सोमेश अग्रवाल को राजगढ़ जिले की सारंगपुर पुलिस ने पकड़ा लिया है. हरदा पटाखा फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल आपने भाई के साथ दिल्ली जाने की कोशिश कर रहा था. पुलिस दोनों भाइयों से पूछताछ कर इस फैक्ट्री और आग के कारणों की तह में जाने की कोशिश करेगी. 


 


हरदा हादसे का गुनहगार कौन?


मध्य प्रदेश में विपक्षी कांग्रेस के बड़े नेता उमंग सिंघार की पहचान एक प्रमुख आदिवासी नेता के रूप में रही है. उन्होंने हरदा की अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट ((Harda Pataka Factory Blast) पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा, पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के बिना बारूद का इतना बड़ा जखीरा इकट्ठा नहीं हो सकता! सवाल ये है कि आखिर रहवासी इलाके में बारूद का भंडार कैसे जमा हो गया? पुलिस और प्रशासन को क्या इसकी जानकारी नहीं थी? 


'इस अवैध फैक्ट्री को किसकी शह थी'


उन्होंने सवाल उठाया, 'इस अवैध फैक्ट्री को किसकी शह थी, जो प्रशासन ने अनदेखी की? उन्होंने कहा कि मामले की जांच करवाकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. इस मामले में शामिल सभी चेहरे बेनकाब किए जाएं. घटना के समय वहां काम करने वाले करीब 30 लोगों का कोई पता नहीं!'


'बेगुनाहों की मौत पर राजनीति न हो'


वहीं सीएम मोहन सिंह यादव ने कहा कि बेगुनाहों की मौत पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने बचाव कार्य के लिए अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य के नेतृत्व में कमेटी बना दी है. हताहतों को इलाज देने के लिए हरदा समेत आसपास के जिलों में बड़े अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है, जहां ग्रीन कॉरिडोर बनाकर आग में जले घायलों को भेजा जा रहा है. 


वर्ष 1998 में हुआ जिले का निर्माण


अगर हरदा जिले की बात की जाए तो यह मध्य प्रदेश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित है. इस जिले का निर्माण वर्ष 1998 में हरदा जिला 1998 में होशंगाबाद जिले को विभाजित करके किया गया था. यह एमपी का दूसरा छोटा जिला है, जो नर्मदापुरम संभाग के अन्तर्गत आता है. इस जिले का क्षेत्रफल 2644.32 वर्ग किमी है. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक हरदा जिले की आबादी 5 570,302 थी. 


गोंड और कोरकू जनजाति का बाहुल्य


यह मुख्य रूप से एक आदिवासी क्षेत्र है, जहां पर गोंड और कोरकू जनजाति के आदिवासी रहते हैं. यह जिले की कुल जनसंख्या का दो-तिहाई हिस्सा हैं. इस क्षेत्र को मुख्यधारा में लाने और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने के लिए लोकमान्य तिलक ने वर्ष 1916 में हरदा का दौरा किया था. इसके बाद महात्मा गांधी ने भी वर्ष 1933 में वहां पर हरिजन कल्याण के कार्य करने के लिए दौरा किया था. 


इतनी बड़ी मात्रा में कैसे इकट्ठा हुआ बारूद?


इस जिले में कभी नक्सलवाद गतिविधियों की आहट महसूस नहीं की गई और न ही यह क्षेत्र कभी जिहादी गतिविधियों की वजह से चर्चा में आया. ऐसे में सब हैरान हैं कि जिले में इतनी बड़ी मात्रा में बारूद कैसे इकट्ठा हुआ. क्या यह बारूद वाकई अवैध पटाखा फैक्ट्री के लिए लाया गया था या इसे स्टोर करने के पीछे कोई और मकसद था. इतनी बड़ी मात्रा में बारूद लगातार इकट्ठा किए जाने के बावजूद पुलिस-प्रशासन को इसका पता क्यों नहीं चला. ये सब ऐसे चुभते सवाल हैं, जिनका पुलिस-प्रशासन के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं है और वह जांच शुरू होने की बात कहकर अपना पिंड छुड़ा रहा है.


पीएमओ ने घटना पर जताया अफसोस


बहरहाल सरकार का पूरा फोकस अभी हताहतों को मदद पहुंचाने पर है. यह कार्य पूरा होने के बाद इस घटना की पड़ताल शुरू होगी. तभी पता चल पाएगा कि इस भीषण अग्निकांड के असली मास्टरमाइंड कौन हैं. हालांकि इस घटना ने शांत माने जाने वाले हरदा जिले को अप्रिय चर्चा का केंद्र जरूर बना दिया है.


उधर इस घटना पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी पोस्ट करके घटना पर दुख जताया है. पीएमओ की ओर से जारी पोस्ट में हरदा की पटाखा फैक्ट्री में लगी आग और उसमें कई लोगों के हताहत होने की जानकारी से पीएम मोदी बेहद दुखी हैं. वे घटना के पीड़ितों को अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं. साथ ही घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं. स्थानीय प्रशासन लोगों की मदद कर रहा है. जो लोग घटना में मारे गए हैं, उनके परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से 2-2 लाख रुपये और घायलों के नजदीकी परिजनों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है.