Nanaji Deshmukh: PM मोदी ने सुनाया किस्सा-लाठी खाकर जेपी को बचाया...कैबिनेट मिनिस्टर का ऑफर ठुकराया
Jaiprakash Narayan: पटना में जेपी आंदोलन करते वक्त नानाजी देशमुख ने लाठियां खाकर जय प्रकाश नारायण को बचाया था. इसमें उनके हाथ में गंभीर चोट आई थी.
Narendra Modi and Nanaji Deshmukh: जनसंघ के संस्थापकों में शुमार नानाजी देशमुख की आज जयंती है. नानाजी का असली नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था. उन्होंने यूपी और मध्य प्रदेश के 500 से अधिक गांवों की तस्वीर भी बदली. 11 अक्टूबर 1916 को नानाजी का जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव कडोली में हुआ था. बचपन में उनके ऊपर से माता-पिता का साया उठ गया था. इसके बाद उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए काफी मुश्किल भरे दौर से भी गुजरना पड़ा था. बताया जाता है कि शिक्षा के लिए पैसे जुटाने की खातिर नाना जी ने सब्जी बेचने का भी काम किया. उन्होंने सीकर से हाई स्कूल और बिड़ला कॉलेज (अब बिड़ला स्कूल, पिलानी) में पढ़ाई की थी.
लाठी खाकर जेपी को बचाया
उसी समय वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़े. तत्कालीन आरएसएस प्रमुख एमएस. गोलवलकर ने नाना जी को प्रचारक के रूप में गोरखपुर भेजा. वह बाल गंगाधर तिलक और उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा से काफी प्रेरित थे. शुरुआत से ही उनकी दिलचस्पी सामाजिक सेवा में रही. नाना जी देशमुख की जिदंगी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं. दरअसल, पटना में जेपी आंदोलन करते वक्त नानाजी देशमुख ने लाठियां खाकर जय प्रकाश नारायण को बचाया था. इसमें उनके हाथ में गंभीर चोट आई थी. ये संयोग ही है कि जेपी और नानाजी का जन्मदिन एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को है.
Hizb ut-Tahrir: इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने लेबनान के संगठन को क्यों किया बैन?
1977 में नाना जी उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से लोकसभा सांसद भी बने. 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्हें मोरारजी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. लेकिन, उन्होंने यह कहकर मंत्री पद का ऑफर ठुकरा दिया था कि 60 साल से अधिक आयु के लोग सरकार से बाहर रहकर समाजसेवा करें. 1980 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर अपना सारा जीवन सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित कर दिया.
1997 में उन्होंने वसीयतनामा लिखकर अपना शरीर मेडिकल शोध के लिए दान कर दिया था. उन्हें समाज सेवा के लिए 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी ने नानी जी देशमुख को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था. 1950 में नाना जी देशमुख ने यूपी के गोरखपुर में देश का पहला सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय खोला था. जिसकी आज पूरे देश में 30 हजार से अधिक शाखाएं है.
इसके अलावा वो दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के संस्थापक भी कहे जाते हैं. इसी चित्रकूट में मानवता की मिसाल 27 फरवरी 2010 को बुझ गई. 94 साल की उम्र में नाना जी देशमुख ने आखिरी सांस ली.
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धांजलि दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण और भारत रत्न से सम्मानित विचारक नानाजी देशमुख की जयंती पर शुक्रवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा देश के प्रति उनके योगदान की सराहना की. प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर मेरी आदरपूर्ण श्रद्धांजलि. उन्होंने देश और समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनका व्यक्तित्व और आदर्श हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा.’’
प्रधानमंत्री ने नानाजी देशमुख को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ‘‘भारत रत्न नानाजी देशमुख को उनकी जयंती पर देशवासियों की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि. देश के ग्रामीणों, विशेषकर वंचित समाज के सशक्तीकरण के लिए उनके समर्पण और सेवा भाव को हमेशा याद किया जाएगा.’’ ‘जेपी’ और लोकनायक के नाम से लोकप्रिय जयप्रकाश नारायण का जन्म 1902 में आज ही के दिन हुआ था. वहीं देशमुख का जन्म आज ही के दिन 1916 में हुआ था.