नई दिल्ली: लाल चंदन को रक्त चंदन के नाम से भी जाता है. चंदन तीन तरह का होता है सफेद, रक्त यानि लाल और पीत यानि पीला चंदन. पूजा पाठ में चंदन के इस्तेमाल का महत्व सभी जानते हैं. लेकिन भारत में उगने वाले लाल चंदन यानी रक्त चंदन की बात ही कुछ और है. रक्त चंदन में सफेद चंदन की तरह सुगंध नहीं होती है. दुनिया में इसकी भारी मांग की वजह ये भी है कि भारत का ये 'लाल सोना' आयुर्वेद में औषधि के रूप में अनगिनत तरीकों से उपयोग में लाया जाता है. 


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भारत को मिला प्राकतिक वरदान
रक्त चंदन के ये पेड़ दक्षिण भारत के शेषाचलम को छोड़ कहीं नहीं उगते. ये सिर्फ तमिलनाडु (Tamil Nadu) की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश के चार जिलों- नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर, कडप्पा में फैली शेषाचलम की पहाड़ियों में ही रक्त चंदन (Red sandal) के पेड़ उगते हैं. लाल चंदन के पेड़ की औसत ऊंचाई 8 से लेकर 12 मीटर तक होती है. इसकी लकड़ी पानी में डूब जाती है. जो इसकी सबसे प्रमुख पहचान है.


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रक्त चंदन के अनगिनत फायदे
लाल चंदन अधिक गुणकारी होता है. लाल चंदन का उपयोग सुंदरता निखारने में होता है. यह स्‍किन पिगमेंटेशन और मुंहासे जैसी कई त्वचा से जुड़ी परेशानियों का इलाज करता है. एक्जिमा के कारण होने वाली सूजन, जलन और खुजली से राहत पाने के लिए लाल चंदन पाउडर को कपूर के साथ मिलाकर पेस्ट बना कर इस्तेमाल करें तो इसके चमत्कारी परिणाम देखने को मिलते हैं.


गंध को सूंघने की क्षमता केवल नाक में ही नहीं होती. त्वचा की कोशिकाओं में चंदन की खुशबू सूंघने के तत्व मौजूद होने की खोज हुई है. यानी लाल चंदन हर तरह से अनमोल और सहेज कर रखने योग्य है. 


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महंगे फर्नीचर, सजावट के काम के लिए भी रक्त चंदन की लकड़ियों (Sandalwood) की काफी डिमांड है. इसके साथ ही शराब और कॉस्मेटिक्स में भी इसका इस्तेमाल होता है. इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमत करोड़ों तक पहुंचती है. इसलिए भारत पर रक्त चंदन के पेड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. 


इसलिए तड़पता है चीन
लाल चंदन की लकड़ी की विदेशों में खासकर चीन में भारी मांग है जिसके चलते इनको निर्यात करके तस्कर एक अच्छी खासी रकम कमा लेते हैं. यह कीमती लकड़ी तिरुमाला और तिरुपति सहित चित्तूर जिले में बड़े पैमाने पर पाई जाती है. आंध्र प्रदेश में पिछले कई दशकों से लाल चंदन की तस्करी में इजाफा हुआ है. इन पेड़ों की सुरक्षा के लिए STF तक की तैनाती की गई है.
भारत में इसकी तस्करी को रोकने के लिए कड़े कानून हैं. 


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