Waqf Amendment Bill 2024: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने लोकसभा में वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक पेश किया और फिर इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का प्रस्ताव दिया. विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि विधेयक में किसी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है तथा संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है.


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उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ संशोधन पहली बार सदन में पेश नहीं किया गया है. आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक लाया गया. इसके बाद कई संशोधन किए गए.’’रीजीजू ने कहा कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन विधेयक लाया गया है जिससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा. उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के समय बनी सच्चर समिति और एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का उल्लेख किया और कहा कि इनकी सिफारिशों के आधार पर यह विधेयक लाया गया.


 इससे पहले विपक्षी दलों ने विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान और संघवाद पर हमला है तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ है. इसकी मुखालफत करते हुए कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर हमला है. उन्होंने सवाल किया, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में मंदिर बोर्ड का गठन किया गया. क्या कोई गैर हिंदू इसका सदस्य हो सकता है. फिर वक्फ परिषद में गैर मुस्लिम सदस्य की बात क्यों की जा रही है?’’


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वेणुगोपाल ने दावा किया कि यह विधेयक आस्था और धर्म के अधिकार पर हमला है. उन्होंने कहा, ‘‘अभी आप मुस्लिम पर हमला कर रहे हैं, फिर ईसाई पर करेंगे, उसके बाद जैन पर करेंगे.’’ कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि यह विधेयक महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव के लिए लाया गया है, लेकिन देश की जनता अब इस तरह की विभाजन वाली राजनीति पसंद नहीं करती. वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संघीय ढांचे पर भी हमला है. 


समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्ला नदवी ने कहा कि मुस्लिमों के साथ यह अन्याय क्यों किया जा रहा है? उन्होंने दावा किया, ‘‘संविधान को रौंदा जा रहा है...यह आप (सरकार) बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं. इसका खामियाजा हमें सदियों तक भुगतना पड़ेगा.’’ सपा सांसद ने कहा, ‘‘अगर यह कानून पारित हुआ तो अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे... कहीं ऐसा नहीं हो जनता दोबारा सड़कों पर आ जाए.’’ 


तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह विधेयक अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है तथा असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाला तथा सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है. 


डीएमके सांसद के. कनिमोझी ने कहा, ‘‘यह दुखद दिन है. आज देख रहे हैं कि यह सरकार संविधान के खिलाफ सरेआम कदम उठा रही है. यह विधेयक संविधान, संघवाद, अल्पसंख्यकों और मानवता के खिलाफ है.’’ 


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जनता दल (यूनाइटेड) ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं है और इसे सिर्फ वक्फ संस्थाओं के कामकाज में पारदर्शिता के लिए लाया गया है. जद(यू) के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में कहा, ‘‘कई (विपक्षी) सदस्यों की बातों से लग रहा है कि यह विधेयक मुसलमान विरोधी है. यह कैसे मुसलमान विरोधी है?’’


उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने मंदिरों की बात की है, लेकिन मंदिर और संस्था में अंतर है. ललन सिंह ने कहा कि मस्जिदों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. जद (यू) सांसद ने कहा, ‘‘वक्फ संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए यह संशोधन लाया जा रहा है.’’