BJP organize CM Conclave: हरियाणा में बीजेपी की तीसरी बार सरकार बनी. नायाब सिंह सैनी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.सीएम नायब सैनी के साथ 13 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली. लेकिन शपथ ग्रहण समारोह कई मामलों में बेहद खास रहा. शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत एनडीए के कई नेता मौजूद रहे. दरअसल शपथ ग्रहण समारोह के जरिए बीजेपी ने NDA की ताकत और एकजुटता को दिखाने की कोशिश की है.


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 एनडीए के लगभग सभी मुख्यमंत्री और उनके उपमुख्यमंत्री


इस शपथ ग्रहण समारोह में करीब 20 राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम भी शामिल हुए. एनडीए के लगभग सभी मुख्यमंत्री और उनके उपमुख्यमंत्री चंडीगढ़ में आयोजित होने वाले आधे दिन के सम्मेलन में भाग लिए. यह कई वर्षों के बाद अपनी तरह का पहला सम्मेलन था. महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव से पहले ये बीजेपी का शक्ति प्रदर्शन भी था. दरअसल हरियाणा चुनाव में जीत लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के लिए एक बहुत बड़ा बूस्टर माना जा रहा है.


इस जीत के मायने बीजेपी के लिए क्या है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस बार केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को हरियाणा का ऑब्जर्वर बनाया गया था. शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी ने शक्ति प्रदर्शन के साथ-साथ जाति की राजनीति को साधने की कोशिश की है. हरियाणा में बीजेपी की फिर से सरकार बनी और आज ही वाल्मीकि जयंती भी है.


 हरियाणा में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 


पंचकूला में शपथ ग्रहण से पहले नायब सिंह सैनी ने वाल्मीकि मंदिर में पूजा-अर्चना की...और वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं दी. बीजेपी बीते 10 वर्षों से हरियाणा में सत्ता में और इसके बावजूद इस बार हरियाणा में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. राज्य की 90 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की.


इस जीत में बड़ा योगदान दलित समुदाय का भी रहा है. हरियाणा में दलित समुदाय की आबादी करीब 20 फीसदी है. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने 17 अनुसूचित जाति सीटों में से 8 पर जीत हासिल की है. अगले महीने महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने वाले हैं. महाराष्ट्र विधानसभा में 33 सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है जबकि झारखंड में विधानसभा की 37 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं. 28 सीटें आदिवासी बहुल हैं, जबकि 9 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं. इसीलिए दलित वोट ना केवल हरियाणा में बल्कि महाराष्ट्र और झारखंड में भी बेहद अहम है.