खत में छलका बाप का दर्द, जिसको पढ़कर अचानक हाथरस पहुंचे राहुल गांधी
Rahul Gandhi in Hathras: 2020 में हाथरस गैंगरेप ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. गुरुवार को अचानक राहुल गांधी सुबह-सुबह घर हाथरस के लिए निकल जाते हैं और सियासी पारा हाई कर देते हैं. हालांकि शुरू में समझ नहीं आया कि राहुल गांधी कहां जा रहे हैं लेकिन बाद में सामने आया कि वो हाथरस गैंगरेप की पीड़िता के परिवार से मिलने गए हैं. लेकिन सवाल उठ रहा है कि अचानक क्यों?
Rahul Gandhi in Hatras: एक तरफ संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और हर दिन सदन में हंगामा देखने को मिल रहा है, लेकिन अचानक लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सुबह-सुबह घर से निलकते हैं और हाथरस पहुंच जाते हैं. उनके अचानक हाथरस दौरे से सभी हैरान हैं और सियासत भी तेज हो गई है. साल 2020 में राहुल गांधी हाथरस के अंदर उस दलित युवती के परिवार से मिलने गए हैं, जिसकी सितंबर 2020 में कथित तौर पर गैंग रेप के बाद मौत हो गई थी.
अचानक हाथरस क्यों गए राहुल?
इससे पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने 3 अक्टूबर 2020 को परिवार से मुलाकात की थी और घोषणा की थी कि वे मृतका को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ेंगे. हालांकि आज अचानक उनके हाथरस चले जाने पर सभी के ज़हन में सवाल उठ रहा है कि राहुल क्यों चले गए? इस सवाल को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि खुद पीड़िता के पिता ने जुलाई में पत्र लिखकर राहुल गांधी से मांग की थी कि वो उनसे मिलना चाहते हैं. इसके अलावा एक दावा यह भी है कि पीड़ित परिवार का कहना है कि सरकार की तरफ से किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. पीड़िता के पिता का कहना है कि 4 वर्ष से बेरोजगार हूं और सरकार की तरफ से किए गए वादे भी पूरे नहीं हुए.
ब्रजेश पाठक ने राहुल को बताया भ्रमित
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी 'भ्रमित हैं' और 'मामले की स्थिति से अवगत नहीं हैं'. पाठक ने कहा,'सीबीआई पहले ही इस मामले की जांच कर चुकी है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन में किसी भी अपराधी को बरी होने की इजाजत नहीं है.' वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा,'चाहे संभल हो या हाथरस, वह (गांधी) सिर्फ सुर्खियों में रहने के लिए वहां जाते रहते हैं, किसी और वजह से नहीं.'
क्या है 2020 का हाथरस कांड?
2020 के हाथरस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. और महिला सुरक्षा व सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीर बहस छिड़ गई थी. 14 सितंबर, 2020 को हाथरस के एक गांव में एक 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. युवती को गंभीर हालत में अलीगढ़ के एक अस्पताल ले जाया गया लेकिन हालत में सुधार ना होता देख बेहतर इलाज के लिए पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल शिफ्ट किया गया. यहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई. इस घटना को लेकर खूब राजनीती भी हुई और विपक्षी दलों ने सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया.
आधी रात में पुलिस ने किया दाह संस्कार
विवाद सिर्फ यहीं खत्म नहीं होता बल्कि देशभर में गुस्सा तब और बढ़ जाता है जब पीड़िता के शव का आधी रात में पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया था. पीड़ित परिवार का आरोप था कि पुलिस ने उनकी इच्छा के खिलाफ जाकर यह कदम उठाया है. आधी रात को किए गए अंतिम संस्कार की तस्वीरें आज भी लोगों के ज़हन में ताज़ा हैं. इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस घटना में जातिगत भेदभाव का भी हाथ था. देशभर के लोगों का गुस्सा देखते हुए सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले कर दी थी.