`बलात्कारी बाबा` पर क्यों इतनी मेहरबान है मनोहर सरकार, `सर्दियों की छुट्टियों` में आया बाहर
DNA Analysis: पता नहीं..बलात्कारी बाबा गुरमीत राम रहीम ने हरियाणा सरकार पर ऐसा कौन सा जादू किया हुआ है कि राम रहीम जब चाहता है जेल से बाहर आ जाता है!
DNA Analysis: अभी अगस्त में ही 30 दिन की परोल का आनंद उठाकर राम रहीम जेल लौटा था. अब तीन महीने बाद राम रहीम एक बार फिर 21 दिन की छुट्टियों पर जेल से बाहर आ गया है. इस बार राम रहीम फरलो पर बाहर आया है. ये वैसे ही जैसे गर्मी या सर्दियों की छुट्टियों में लोग. घूमने जाते हैं. वैसे ही गुरमीत राम रहीम छुट्टियों में जेल से बाहर घूमने आता है. इस बार भी बलात्कारी राम रहीम 21 दिन की छुट्टियां बिताने जेल से निकलकर सीधे अपने आश्रम पहुंच गया है.
अगर हरियाणा की मनोहर सरकार की कृपा किसी पर बरस रही है तो वो गुरमीत राम रहीम ही है. मानो गुरमीत राम रहीम अलादीन हो और हरियाणा सरकार अलादीन का चिराग. राम रहीम जब भी जेल से बाहर आने की इच्छा का इजहार करता है. मनोहर सरकार उसकी ये इच्छा तुरंत पूरी कर देती है.
ये बात सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर एक बलात्कारी बाबा पर हरियाणा सरकार इतनी मेहरबान क्यों है? आखिर एक सजायाफ्ता कैदी से हरियाणा सरकार को इतनी मोहब्बत कैसे है कि उसे परोल देने के लिए हमेशा तैयार रहती है? ऐसी क्या मजबूरी है कि हरियाणा सरकार बाकी कैदियों की परोल भूलाकर एक बलात्कारी और हत्यारे राम रहीम पर ही कृपा बरसाती है वो भी बार-बार लगातार.
हरियाणा सरकार के मंत्रियों से लेकर संतरी तक यहां तक कि विपक्षी नेता भी जेल से छुट्टी मनाने बाहर आए बलात्कारी बाबा राम रहीम की चरण वंदना में मग्न है. जेल से 21 दिन की छुट्टियां लेकर आश्रम में पहुंचते ही राम रहीम ने अपनी आदत से मजबूर होकर प्रवचन बाजी भी शुरु कर दी है. चेहरे की दमक आंखों में तैरता Confidence आवाज में खनक, कहीं से नहीं लगता कि ये शख्स हत्या और बलात्कार का कोई दोषी है और जेल की सजा काट रहा है.
हर वर्ष गर्मियों में बच्चों की छुट्टी पड़ती है. छुट्टी पड़ते ही बच्चे खुश हो जाते है. 60 दिन फुल मस्ती लेकिन बच्चों से भी ज्यादा छुट्टी जेल में बंद राम रहीम को मिलती है. हरियाणा सरकार टीचर बनती है और राम रहीम को हर तीसरे महीने छुट्टियों की सौगात देती है.
- राम रहीम अब तक हरियाणा सरकार की मेहरबानी से 8 बार परोल और फरलो पर बाहर आ चुका है.
- वर्ष 2017 से जेल में बंद राम रहीम अबतक कुल 184 दिन परोल और फरलो पर जेल से बाहर रहा है.
गुरमीत राम रहीम वर्ष 2017 से जेल की सजा काट रहा है, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम दो शिष्याओं से बलात्कार और एक पत्रकार की हत्या का दोषी है, लेकिन इन दिनों वो परोल पर जेल से बाहर आकर सत्संग कर रहा है.
- जून 2022 में राम रहीम 30 दिन के लिए परोल पर बाहर आया.
- इसके 4 महीने बाद अक्टूबर में राम रहीम पर फिर कृपा बरसी और बलात्कारी बाबा फिर 40 दिनों की परोल पर बाहर आया.
- 4 महीने बाद फिर जादू हुआ और हरियाणा सरकार ने जनवरी 2023 में राम रहीम को 40 दिनों की परोल दी.
- इसके 5 महीने बाद यानी जुलाई में राम रहीम फिर 30 दिन के लिए सलाखों से बाहर आया.
- 5 महीने बाद यानि इसी वर्ष नवंबर में राम रहीम फिर 21 दिनों के लिए जेल से बाहर आया.
परोल पर जेल से बाहर आना हर कैदी का अधिकार है, जो उसे मिलना ही चाहिए, लेकिन लगता है कि हरियाणा सरकार की नजरों में बलात्कारी राम रहीम की कुछ ज्यादा ही इज्जत है. पिछले 5 वर्षों में राम रहीम को 8 बार परोल या फरलो पर रिहा किया जा चुका है. इस वर्ष ही बलात्कारी बाबा तीन बार जेल से बाहर आ चुका है. अब आप परोल और फरलो के बीच का अंतर समझ लीजिए.
- परोल और फरलो दोनों ही जेल से एक तरह की अस्थाई छूट है.
- परोल एक कैदी का हक नहीं होता. ये पूरी तरह से जेल में कैदी के व्यवहार पर निर्भर करती है. इसको लेकर जेल प्रबंधन मना भी कर सकता है.
- परोल किसी खास परिस्थिति में दी जाती है. जैसे शादी, परिवार के सदस्य की मृत्यु या स्वास्थ से जुड़ा मामला.
- एक कैदी को साल में 70 दिन की परोल मिल सकती है. परोल के समय कैदी जो समय जेल से बाहर बिताता है उसे सजा का हिस्सा नहीं माना जाता.
- अब फरलो के बारे में आपको बताते है. फरलो आमतौर पर लंबी अवधि के लिए कैद, कैदियों को दी जाती है और फरलो में कोई वजह बताना जरूरी नहीं है.
- फरलो को आमतौर पर कैदी का हक माना जाता है.
- फरलो इसलिए भी दी जाती है ताकी एक इंसान अपने सामाजिक रिश्तों और जिम्मेदारियों को निभा सके. यानी इसके लिए किसी खास अवसर की जरूरत नहीं है.
- फरलो एक साल में अधिकतम 21 दिनों के लिए दी जाती है.
- फरलो के समय कैदी जो समय जेल से बाहर बिताता है वो समय उसकी सजा का हिस्सा होता है.
यानी परोल और फरलो मिलाकर अधिकतम से अधिकतम एक कैदी एक वर्ष में 90 दिनों तक जेल से बाहर रह सकता है, अबतक राम रहीम परोल के 70 दिन जनवरी और जुलाई में पहले ही खत्म कर चुका है. अब रहीम को 21 दिन की फरलो भी मिल गई है यानी कानून के तहत एक कैदी को जो अधिकतम राहत मिल सकती थी वो राम रहीम को पिछले वर्ष भी मिली और इस वर्ष भी मिली. वैसे ये राहत अगर सभी कैदियों को समान रूप से मिले तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन जब ये राहत कुछ शक्तिशाली और प्रभावशाली लोगों को दी जाती है तो इस पर सवाल उठना लाजमी है.
वर्ष 2021 के आंकडों के अनुसार
- हरियाणा की जेलों में करीब 25 हजार कैदी हैं.
- वर्ष 2021 में सिर्फ 2915 कैदियों की परोल एप्लीकेशन पर हरियाणा सरकार ने अपनी मोहर लगाई थी.
ये खास रवैया सिर्फ राम रहीम तक ही सीमित नहीं है. इससे पहले मनु शर्मा और संजय दत्त जैसे प्रभावशाली जैसे कैदियों को भी लगातार जेल से छुट्टी मिलती रही है. सरकार के इसी रवैये को देखते हुए न्यायपालिका भी इस पर नाराजगी जाहिर कर चुकी है. वर्ष 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि ये साफ है कि सिर्फ अमीर और शक्तिशाली कैदियों को ही परोल मिल पाती है. ऐसे लोगों की मदद करने के लिए पुलिस अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनका फेवर करती है और जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उन्हें जेल से छुट्टी नहीं मिल पाती है. दिल्ली हाईकोर्ट की ये टिप्पणी हमारे देश के जेल सिस्टम की असली सच्चाई है.
राम रहीम के साथ भी यही हो रहा है. कृपा की ये सप्लाई ना रूके इसके लिए हरियाणा सरकार ने कानून तक बदल दिया था. 1 अप्रैल 2022 को हरियाणा सरकार ने नया कानून बनाया जिसमें कहा गया कि अब जेलों में बंद कुख्यात अपराधी भी कुछ शर्तों के साथ पैरोल ले सकते हैं. जबकि साल 1988 से लेकर नए कानून के बनने तक यानी 34 सालों के बीच किसी कुख्यात अपराधी को परोल या फरलो देने के लिए कानून नहीं था.
नए कानून के बाद ही राम रहीम को जल्दी-जल्दी परोल मिलने लगी और आगे भी जल्दी-जल्दी परोल मिलती रहेगी. ऐसे बाबा सियासत के लिए फायदे का सौदा साबित होते रहे हैं. ये बातें सरकार अच्छी तरह से जानती भी है और समझती भी है.
हमारे देश में बाबा तरह-तरह की चमत्कारी शक्तियों से लैस होते हैं. ऐसी ही चमत्कारी शक्ति है - सिस्टम और सरकार को अपनी उंगलियों पर नचाना. बाबाओं की इस चमत्कारी शक्ति की मारक क्षमता चुनाव के दिनों में सबसे ज्यादा होती है. इसी चमत्कारी शक्ति का प्रयोग करके बलात्कारी और हत्यारा गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आया है. अब आप जरा राम रहीम के जेल से बाहर आने की टाइमिंग भी चेक कर लीजिए.
- गुरमीत राम रहीम को वर्ष 2022 में तीसरी बार 7 से 27 फरवरी तक 21 दिन की फरलो मिली. तब पंजाब में 20 फरवरी को विधानसभा चुनाव था.
- गुरमीत राम रहीम को वर्ष 2022 में चौथी बार 17 जून से 17 जुलाई तक 30 दिन की परोल मिली. तब हरियाणा में 19 जून को निगम के चुनाव थे.
- पांचवी बार वो 14 अक्टूबर 2022 को 40 दिन की परोल पर बाहर आया. तब 3 नवंबर को हरियाणा की आदमपुर सीट पर उपचुनाव थे और 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव थे.
सियासत चीज ही ऐसी होती है कि उसके आगे नेता सब कुछ भूल जाते हैं. जैसे हरियाणा के नेता राम रहीम के गुनाह भूल चुके हैं. वरना ये वही राम रहीम है. इसको सजा सुनाए जाने के बाद डेरा समर्थकों ने पंचकूला और सिरसा में हिंसा फैला दी थी जिसमें 41 लोगों की मौत हो गई थी. हरियाणा पुलिस के दो SSP समेत 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे और करोड़ों रुपये की सार्वजनिक संपत्ति बर्बाद कर दी गई थी.
ये सब बीजेपी के ही शासनकाल में हुआ था और मनोहर लाल ही तब भी हरियाणा के मुख्यमंत्री थे लेकिन इतने गंभीर अपराधों में दोषी राम रहीम पर हरियाणा सरकार कृपा बरसा रही है. उसे देखकर एक ही सवाल मन में आता है कि हरियाणा सरकार राम रहीम की सजा माफ करके हमेशा के लिए जेल से बाहर क्यों नहीं निकाल लेती?