Shah Jahan's plate and poisonous food: माना जाता है कि मिट्टी के बर्तनों की शुरुआत सैकड़ों साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता से हुई. तब से लेकर आज के आधुनिक युग तक अलग-अलग धातुओं के बर्तन बनाए जाते हैं. पर क्या आपको मालूम है कि मुगल काल के दौरान बादशाह किन बर्तनों में खाना खाते थे. मुगल काल के शाही बावर्चियों और उनकी रेसिपी की बहुत सी कहानियां आपने सुनी और पढ़ी होंगी लेकिन आज आपको मुगल बादशाह शाहजहां (Mughal Emperor Shah Jahan) के बारे में जो बात बताने जा रहे हैं, उससे बहुत से लोग अबतक अनजान होंगे.


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शाहजहां की जान बचाती थी ये प्लेट


इतिहासकारों के मुताबिक मुगल शासकों की दुनिया भी अजीब साजिशों से भरी हुआ करती थी. कुछ लोग राजगद्दी के लिए अपनों का कत्ल करवाने से भी नहीं कतराए. औरंगजेब ने तो राजपाट के लिए भाई दारा शिकोह का सिर तक कलम करा दिया था, जबकि अपने पिता शाहजहां को कैदखाने में बंद कर रखा था. यानी अपनों से ही अपनी जान का अनजान खतरा होने की आशंका से मुगल शासक खास सावधानी बरतते थे.


सलमा युसूफ हुसैन की किताब- द मुगल फीस्ट: रेसिपीज फ्रॉम द किचन ऑफ एम्परर शाहजहां’. इसमें उन्होंने बताया है कि भोजन में कहीं जहर मिलाकर न दे दिया जाए, इसे लेकर जमकर सावधानी बरती जाती थी.


ऐसे में मुगल बादशाहों की सिक्योरिटी के लिए कई तरह के इंतजाम किए जाते थे. इतिहासकारों ने लिखा है कि उनके लिए बनाया जाने वाला खाना पहले फूड टेस्टर खाते थे, उसके बाद ही वो खाना उन्हें दिया जाता था. ऐसा करने के पीछे मकसद ये था कि ये पता चल सके कि उस खाने में कहीं जहर तो नहीं है. अलग-अलग कालखंड में ऐसे कई सुरक्षा उपाय होते थे जिनसे मुगल बादशाहों को गुजरना पड़ता था. शाहजहां जब गद्दी पर था तब उसने अपनी सुरक्षा के लिए ऐसी खास प्लेटें मंगवाई गई थीं, जिनमें जहरीला खाना डालते ही या तो उसका रंग बदल जाता था या वो प्लेट चटक कर टूट जाती थी.


आगरा में रखी है ऐसी एक प्लेट


इस तरह की एक प्लेट आज भी आगरा (Agra) स्थित ताज म्यूजियम में रखी है. इस प्लेट को शीशे के फ्रेम में मढाकर कई सुरक्षा इंतजाम और CCTV कैमरों की निगरानी में रखा गया है. इस प्लेट के ठीक ऊपर एक निर्देश पट्टिका पर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में इस प्लेट की खूबी लिखी है- 'जहर परख रकाबी (तश्तरी) यानी एक खास तरह की चीनी मिट्टी से बना बर्तन (प्लेट) जो उसमें जहरीला भोजन परोसते ही रंग बदलती या टूट जाती है.'


शाही किचन में था हकीमों का दखल


मुगलों के किचन में शाही बावर्चियों का रसूख किसी दरबारी से कम नहीं था. वो हकीम साहब के बताए नुस्खों पर पकवान पकाते थे. उदाहरण के लिए, पुलाव के चावल के हर दाने को चांदी के वर्क से लपेटा जाता था. ऐसा करने के पीछे माना जाता था कि चांदी के लेप लगे चावलो को खाने से हाजमा दुरुस्त रहता है वहीं उसी चावल से बना व्यंजन कामोत्तेजक के रूप में भी कार्य करता है. आपको बताते चलें कि कई बादशाह सेक्स पावर बढ़ाने के लिए कई तरह की जड़ी बूटियों और खास मसालों से बना खाना खाते थे.


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