हर घंटे 15 लोग करते हैं खुदकुशी, बीते साल 5650 किसानों ने खत्म की अपनी जीवनलीला
देश में पिछले साल कुल 5,650 किसानों ने खुदकुशी की और महाराष्ट्र इस मामले में सबसे ऊपर रहा। आधिकारिक आंकड़ों से यह खुलासा हुआ। महाराष्ट्र के बाद तेलंगाना और छत्तीसगढ़ से सर्वाधिक किसानों द्वारा खुदकुशी के मामले सामने आए।
नई दिल्ली : देश में पिछले साल कुल 5,650 किसानों ने खुदकुशी की और महाराष्ट्र इस मामले में सबसे ऊपर रहा। आधिकारिक आंकड़ों से यह खुलासा हुआ। महाराष्ट्र के बाद तेलंगाना और छत्तीसगढ़ से सर्वाधिक किसानों द्वारा खुदकुशी के मामले सामने आए।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की बीते शुक्रवार को जारी 'दुर्घटना एवं खुदकुशी के कारण भारत में 2014 में हुई मौतें' रिपोर्ट के अनुसार खुदकुशी करने वाले 5,650 किसानों में 5,178 पुरुष और 472 महिलाएं शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में सर्वाधिक 2,568 किसानों ने आत्महत्या की, जो किसानों द्वारा पूरे देश में की गई कुल खुदकुशी का 45.5 फीसदी रहा। तेलंगाना (15.9 फीसदी) में 898 किसानों द्वारा जबकि छत्तीसगढ़ (14.6 फीसदी) में 826 किसानों ने खुदकुशी की। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, महिला किसानों द्वारा खुदकुशी के मामले में तेलंगाना (31.1 फीसदी) सबसे ऊपर रहा। किसानों द्वारा खुदकुशी के पीछे दिवालिया होना या कर्ज न चुका पाना तथा पारिवारिक कारण मुख्य रहे। फसल नष्ट होने तथा बीमारी के चलते भी किसानों ने खुदकुशी की।
आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले किसानों में 30-60 आयुवर्ग के किसानों की संख्या सर्वाधिक 65.75 फीसदी रही, जबकि 18 से कम आयु के किसानों द्वारा खुदकुशी के कुल 59 मामले सामने आए। पिछले साल हर घंटे 15 लोगों ने खुदकुशी की, हालांकि 2013 की अपेक्षा इसमें कमी आई। 2013 में जहां 1,34,799 लोगों ने खुदकुशी थी, वहीं 2014 में यह संख्या घटकर 1,31,666 हो गई। इस मामले में भी महाराष्ट्र सबसे ऊपर रहा। महाराष्ट्र में पिछले साल कुल 16,307 लोगों ने खुदकुशी, जबकि तमिलनाडु में 16,122 और पश्चिम बंगाल में 14,310 लोगों ने खुदकुशी की।
शहरों की बात की जाए तो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 177 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। भोपाल में 2013 (384) की अपेक्षा 2014 में 1064 लोगों ने खुदकुशी की। उत्तर प्रदेश के कानपुर में खुदकुशी के मामले में सर्वाधिक 78.7 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। 2013 में 648 लोगों की अपेक्षा कानपुर में 2014 में 138 लोगों ने खुदकुशी की।
उधर, महाराष्ट्र में किसानों के पक्ष में काम करने वाले एक संगठन ने किसानों की आत्महत्या पर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हाल ही रिपोर्ट को झांसा करार दिया है और दावा किया है कि यह जमीनी हकीकत को बयां नहीं करती। विदर्भ जन आंदोलन समिति (वीजेएएस) के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने आरोप लगाया कि एनसीआरबी की रिपोर्ट कुछ नहीं बल्कि झांसा है क्योंकि उसने कम मौतें दर्शाने के लिए आंकड़े (अपनी मर्जी से) गढ़ लिए हैं जबकि जमीनी स्तर पर संकट अधिक है। उन्होंने सवाल किया, क्या राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और बिहार जैसे बड़े राज्यों ने वर्ष 2014 में किसानों की आत्महत्या का कोई रिकार्ड नहीं रखा। (एजेंसी इनपुट के साथ)