Indian Railway: इंडियन रेलवे (Train) को देश की लाइफलाइन कहा जाता है. लाखों यात्रियों को हर दिन भारतीय रेलवे अपने गंतव्य तक पहुंचाती है. प्लेटफॉर्म पर हजारों लोग अपनी ट्रेन का इंतजार करते हैं. मुंबई में तो लोकल ट्रेनें ठसाठस भरी रहती हैं. लेकिन कभी न कभी आपने गौर किया होगा कि रेल की दो पटरियों के बीच थोड़ी खाली जगह छोड़ी जाती है. ऐसा क्यों किया जाता है, चलिए आपको वजह बताते हैं. 


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अकसर लोग ये भी सोचते हैं कि पटरियों के बीच गैप के कारण ट्रेन कहीं दुर्घटनाग्रस्त न हो जाए. लेकिन ऐसा नहीं है. इस गैप के कारण ही ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त नहीं होती. ट्रेन को हादसे से बचाने के लिए ही ट्रेन की पटरियां बिछाते वक्त उनमें गैप छोड़ा जाता है. इसके पीछे एक साइंटिफिक कारण भी है. पटरी लोहे से बनी होती है.


गर्मियों के मौसम में लोहा फैल जाता है. जबकि सर्दियों के मौसम में सिकुड़ता है. इसी कारण दोनों पटरियों के बीच गैप छोड़ा जाता है. अगर ऐसा नहीं किया गया फैलाव की वजह से पटरियां टेढ़ी हो सकती हैं. सिकुड़ना और फैलना लोहे का सामान्य व्यवहार है. गर्मी के मौसम में ट्रेन के वजन के कारण पटरियां न फैलें और फैलने के लिए इनको जगह मिल सके इसलिए गैप देना जरूरी है.


अगर पटरियों को फैलने के लिए जगह नहीं मिले तो उन पर प्रेशर पड़ेगा और वह क्रैक होकर टूट भी सकती हैं. अब भारतीय रेलवे पटरियों के बीच गैप को कम करने पर काम कर रहा है. वेल्डिंग के जरिए इंडियन रेलवे इनको जोड़ रही है. लेकिन मामूली सा गैप रखा जा रहा है, ताकि गर्मी के मौसम में ट्रेन के वजन के कारण पटरियां फैलें तो उनका नकारात्मक असर न पड़े. 


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