नई दिल्ली: एक मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा कि एक पत्नी अपने पति की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए किसी अन्य व्यक्ति को गुप्त फोन कॉल करती है, जो वैवाहिक क्रूरता के बराबर है. हाई कोर्ट ने फैसले में एक जोड़े को तलाक की डिक्री देने का फैसला सुनाया, जिसमें एक फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. जिसने पहले एडल्ट्री और क्रूरता के आधार पर विवाह को भंग करने की पति की अपील को खारिज कर दिया था.


तीन बार अलग हो चुके हैं पति- पत्नी


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लाइन लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी और तीसरे पक्ष के बीच फोन कॉल के सबूत पत्नी की ओर से एडल्ट्री का अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच चल रहे वैवाहिक कलह और इस तथ्य को देखते हुए कि वे तीन बार अलग हो चुके हैं. इसके अलावा कई काउंसलिंग के बाद दोनों फिर से मिल गए, तो पत्नी को अपने व्यवहार के प्रति सतर्क रहना चाहिए था.


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साल 2012 में हुई थी वैवाहिक कलह की शुरुआत


गौरतलब है कि इस मामले में दंपति के बीच वैवाहिक कलह की शुरुआत साल 2012 में हुई, जब पत्नी ने पति और उसके परिवार के सदस्यों पर मारपीट का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. इससे पहले भी पति को शक होता रहा है कि उसकी पत्नी का उसकी शादी से पहले ऑफिस के किसी अन्य पुरुष से संबंध था जो शादी के बाद भी जारी रहा.


कोर्ट ने एडल्ट्री के एंगल को किया खारिज


जैसा कि कोर्ट ने एडल्ट्री के एंगल को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पति ने कभी भी पत्नी और दूसरे व्यक्ति को अपने ऑफिस के अलावा किसी अन्य जगह पर एक साथ नहीं देखा और इसलिए इसके सबूत अधूरे हैं.


पति की चेतावनी से कोई फर्क नहीं पड़ा


कोर्ट में पति ने बयान दिया कि एक बार उसने पत्नी और उस शख्स के बीच अंतरंग बातचीत को सुना और पूछताछ करने पर उसने कहा कि उस शख्स का उसके शरीर और दिमाग पर उससे ज्यादा अधिकार है. पति के अनुसार, वो उसकी चेतावनी के बावजूद दूसरे शख्स के साथ कॉल पर बातचीत करती रहा. ये दर्शाता है कि पत्नी को पति की चेतावनी से कोई फर्क नहीं पड़ा.


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ऐसा करना है वैवाहिक क्रूरता के बराबर


वहीं पत्नी ने कहा कि वो दूसरे शख्स को केवल कुछ दिनों में ही कॉल करती थी. हालांकि सबूत कुछ और ही कह रहे थे. न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ ने अपने फैसले में कहा कि पति की चेतावनी की अवहेलना करते हुए पत्नी द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के साथ बार-बार विवेकपूर्ण फोन कॉल करना, वो भी विषम समय में ये वैवाहिक क्रूरता के बराबर है.


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