(ब्रजेश कुमार/अमित प्रकाश)
मुंबई/नई दिल्ली:
जमीन पर खड़े जेट एयरवेज के विमान फिर से उड़ान भरेंगे, ऐसी उम्मीदें जताई जा रही हैं. लेकिन ये तभी संभव है जब बोली लगाने वाले को National Company Law Tribunal यानी NCLT की मंजूरी मिल जाए. मुरारी लाल जालान की कंपनी जालान कैलरॉक कंसोर्टियम ने जेट एयरवेज को टेकओवर करने के लिए रेजोल्यूशन प्लान CoC यानी Committee Of Creditors (लेनदारों) को सौंपा था. CoC ने इसे मंजूरी भी दे दी. अब ये मामला NCLT के पास है. 


जालान और गुप्ता ब्रदर्स के बीच पारिवारिक और व्यापारिक संबंध


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Zee News ने दस्तावेजों के आधार पर ये खुलासा किया कि मुरारी लाल जालान के पीछे साउथ अफ्रीका के चर्चित गुप्ता ब्रदर्स हैं, जिन पर वहां धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं. गुप्ता ब्रदर्स साउथ अफ्रीका छोड़कर भाग गए हैं और खबर है कि वो इस वक्त उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हैं, जबकि उनका परिवार दुबई में है. Zee News के पास वो दस्तावेज भी हैं जो बताते हैं कि जालान परिवार और गुप्ता परिवार के बीच पारिवारिक और व्यापारिक संबंध हैं.



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Zee News के खुलासे के बाद DGCA ने जेट एयरवेज के मामले में NCLT में हलफनामा दायर किया. इस हलफनामे में कहा गया है कि अगर NCLT की तरफ से जेट एयरवेज को खरीदने के लिए किसी रेजोल्यूशन प्लान को मंजूरी मिल भी जाती है तो उसे तब तक पूरा नहीं माना जाएगा जब तक भारत सरकार की तरफ से उसे सिक्योरिटी क्लियरेंस नहीं मिल जाता.  


अब मुरारी लाल जालान के लिए सिक्योरिटी क्लियरेंस पाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि जालान परिवार का कनेक्शन साउथ अफ्रीका के चर्चित आरोपी गुप्ता ब्रदर्स (अजय, अतुल, राजेश गुप्ता) से है. माना जा रहा है कि मुरारी लाल जालान के सहारे गुप्ता ब्रदर्स जेट एयरवेज को खरीदने में बैकडोर एंट्री करना चाहते हैं.


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DGCA ने बढ़ाई जालान-गुप्ता बदर्स की मुश्किलें


मुरारी लाल जालान और गुप्ता ब्रदर्स ने मिलकर भले ही जेट एयरवेज को खरीदने की कोशिशें तेज कर दी हों, लेकिन विमानन मंत्रालय और डीजीसीए नें हाल ही में मुंबई में NCLT में एक हलफनामा दायर किया है. इसके मुताबिक जेट एयरवेज के स्लॉट, रूटों पर उड़ने के अधिकार और उसकी पुरानी मंजूरियों को रिवाइव कराना आसान नहीं होगा.


जेट एयरवेज की उड़ान के लिए स्लॉट


स्लॉट को आम भाषा में समझें तो ये तय रूट और उड़ान का वो समय है जिसपर एयरलाइन एक जगह से दूसरी जगह उड़ान भरती है. लेकिन विमानन मंत्रालय और DGCA ने साफ कर दिया है कि किसी एयरलाइंस का स्लॉट उसकी निजी संपत्ति नहीं है. साथ ही कंपनी कानून के ट्रिब्यूनल NCLT में दायर हलफनामे में DGCA ने ये गुजारिश भी कि है कि ट्रिब्यूनल DGCA के लिए कोई ऐसा आदेश जारी न करे जिसमें स्लॉट जेट एयरवेज को देने की बाध्यता हो.



विमानन मंत्रालय के मुताबिक मई 2013 में जारी स्लॉट बंटवारे के दिशानिर्देशों के तहत एयरलाइंस को रूट और वक्त दिया जाता है. जिसमें ‘यूज इट ऑर लूज इट’ नियम लागू है. मतलब अगर एयरलाइन स्लॉट का इस्तेमाल नहीं करेगी तो उसका स्लॉट पर अधिकार नहीं रहेगा. 


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NCLT में दायर अपने हलफनामे में जेट एयरवेज के अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के अधिकार को लौटाए जाने का विमामनन मंत्रालय और डीजीसीए ने विरोध किया है और साफ कहा है कि अंतरराष्ट्रीय ट्रैफिक राइट भी किसी एयरलाइन की संपत्ति नहीं है. ऐसे में जेट एयरवेज इसपर अपना कोई मालिकाना हक नहीं जता सकती और न ही इसे अपनी संपत्ति बता सकती है. इसलिए जेट एयरवेज अंतरराष्ट्रीय ट्रैफिक राइट को दिवालिया कानून की प्रक्रिया के तहत नहीं ला सकती है. 



एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट की शर्तें


DGCA ने जेट एयरवेज की सारी पुरानी मंजूरियों को बहाल करने की मांग को भी खारिज कर दिया है. DGCA का कहना है कि उसकी प्राथमिकता हवाई उड़ानों की सुरक्षा है. जो इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन के नियमों, एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 और एयर सेफ्टी रूल्स 1937 के मुताबिक तय किए गए हैं. ऐसे में कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल इसपर कोई बाध्यता वाला निर्देश जारी न करे. हलफनामे में आगे लिखा है कि शेड्यूल एयरट्रांसपोर्ट सर्विस के लिए एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट जरूरी है. जिसे हासिल करने का नियम सरकार ने तय कर रखा है. इस नियम में सबसे अहम बात ये है कि एयरलाइन का मालिकाना हक और नियंत्रण भारतीयों के हाथ में रहे. दूसरी अहम शर्त है कि एयरलाइन के सभी अहम पदों के लोगों के सिक्योरिटी क्लियरेंस को केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी मिल गई हो, ये सिक्योरिटी क्लियरेंस गृह मंत्रालय से इक्ट्ठा की गई जानकारी के आधार पर नागरिक विमानन मंत्रालय (मिनिस्ट्री आफ सिविल एविएशन) देता है. तीसरी शर्त है कि भारत के एविशन सेक्टर के लिए तय विदेशी निवेश के नियमों का पालन जरूर किया जाए, जबकि चौथी शर्त के मुताबिक वित्तीय स्थिति अच्छी होने का प्रमाण देना भी जरूरी होगा. इन चारों में से अगर किसी एक भी शर्त का पालन नहीं किया जाता है तो सरकार उस एयरलाइन को सर्विस शुरू करने की मंजूरी यानी एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट नही देगी. 



डीजीसीए ने एफिडेविट मे आगे लिखा है कि चूंकि जेट एयरवेज इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया में है, जिसमें नई कंपनी के नए निवेशकों और शेयरहोल्डरों के आने की संभावना है. साथ ही नया मैनेजमेंट भी आएगा, तो ऐसे में नए मैनेजमेंट को मालिकाना हक और प्रभावी नियंत्रण दिए जाने से पहले उन्हें सरकार की सारी शर्तों पर खरा उतरना होगा. विदेशी निवेश के नियमों के पालन को भी परखा जाएगा. उसके बाद ही एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट दिया जा सकेगा. यही नहीं इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया जेट एयरवेज को टेकओवर करने वाली नई कंपनी, उसके डायरेक्टर्स, उसके अहम पदों पर बैठे लोगों और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके के उसके लाभार्थियों और मैनेजमेंट में शामिल विदेशी लोगों, सभी के लिए सिक्योरिटी क्लियरेंस लेना जरूरी होगा.



हलफनामे के मुताबिक इसमें से किसी एक भी शर्त का पालन अगर नहीं किया गया तो भले ही रेजोल्यूशन प्लान मंजूर हो गया हो, उस एयरलाइन को सरकार की तरफ से एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट नहीं मिल पाएगा. यानी एयरलाइन की सर्विस शुरू नहीं हो सकेगी. 



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ऐसे में बात फिर वहीं आ जाती है कि क्या साउथ अफ्रीका के गुप्ता ब्रदर्स का नाम जेट एयरवेज के नए खरीदार के साथ जुड़ने पर मुरारी लाल जालान को सरकार से सिक्योरिटी क्लियरेंस मिल पाएगा? क्योंकि हलफनामे में ये साफ है कि प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष किसी भी तरीके से एयरलाइन के पीछे जो भी असली लाभार्थी होगा उसके लिए सिक्योरिटी क्लियरेंस जरूरी होगा. जबकि गुप्ता ब्रदर्स पर अमेरिका के किसी भी व्यक्ति या कंपनी के साथ कारोबार की पाबंदी लगी हुई है. साउथ अफ्रीका में सत्ता को जेब में रखकर काम करने के आरोपों की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन हुआ था जो अभी भी जांच कर रहा है.