क्या एक साथ आएंगी CBI, ED और SFIO जैसी एजेंसियां? चीफ जस्टिस ने कही ये बात
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा है कि देश में पुलिस सुधार की जरूरत है और ऐसे में जरूरत है कि ऐसा संस्थान बनाया जाये जिसके नीचे CBI, ED और SFIO जैसी एजेंसियां काम करें.
नई दिल्ली: देश की पुलिस को लेकर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) ने शुक्रवार को ऐसी बात कही है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो सकते हैं. एनवी रमना ने कहा है कि देश में पुलिस विभाग में काफी सुधार की जरूरत है. इसलिए जरूरत है कि ऐसा संस्थान बनाया जाये जिसके नीचे CBI, ED और SFIO जैसी एजेंसियां काम करें.
जांच भी नहीं होगी प्रभावित
ये सब बातें CBI के 19वें देवेंद्र कोहली लेक्चर के दौरान कही गईं. एनवी रमना (NV Ramana) ने कहा कि जिस तरह से एक ही मामले की अलग-अलग जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं, इससे ना सिर्फ मल्टीपिकेशन हो रहा है बल्कि जांच भी प्रभावित होती है. ऐसे में जरूरत है कि Umbrella Organisation का गठन किया जाये और इस संस्थान को संभालने के लिये अधिकारी का ठीक उसी तरह चुनाव किया जाये जैसे सीबीआई के डायरेक्टर का किया जाता है. जरूरत है तो डिप्टी की भी नियुक्ति की जा सकती है जो अलग-अलग एजेंसियों के माहिर लोग हों.
सवालों से बचा जा सकेगा
इसके आगे वह बोले कि इस संस्थान के बनने से मामले के अनुसार जांच के लिये एक ही एजेंसी का चुनाव किया जा सकेगा जिससे ना सिर्फ जांच में तेजी आयेगी बल्कि न्याय भी जल्दी होगा. साथ ही जिस तरह से आज कल एजेंसी की जांच पर सवाल उठ रहे है उनसे भी बचा जा सकेगा.
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एजेंसियों को है अपग्रेड होने की जरूरत
मुख्य न्यायधीश ने ये भी कहा कि एजेंसी को लगातार अपने आप को नई-नई जानकारी और टेक्नोलॉजी से अपग्रेड करने की जरूरत है और इसके लिये दूसरे देशों की जांच एजेंसियों के साथ एक्सचेंज प्रोगाम भी किये जा सकते हैं. साथ ही ये भी कहा कि जिस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं उसमें फॉरेसिंक एजेंसी को भी खुद को अपग्रेड करने की जरूरत है.
सभी एजेंसियों का मकसद एक
उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्यों की पुलिस पर लगातार सवाल उठते हैं और फिर जांच को राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी सीबीआई को देने की मांग उठती है इसको देखते हुये राज्य सरकारें भी पुलिस को एक Umbrella Organisation के नीचे ला सकती हैं. साथ ही जिस तरह से क्रेन्द्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों में टकराव देखने को मिल रहा है उसे देखते हुये आपस में भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि एजेंसियों का मकसद पीड़ित को न्याय दिलाना है.
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