नई दिल्ली: छत्रसाल स्टेडियम (Chhatrasal stadium) में हुई मारपीट और हत्या के मामले में ओलंपियन सुशील कुमार (Sushil Kumar) की मुश्किलें अब बढ़ती दिख रही हैं. मर्डर केस में गिरफ्तारी के बाद उनकी रेलवे की नौकरी के बाद अब पद्म पुरस्कार पर भी काले बादल मंडराने लगे है.


राष्ट्रपति के पास अधिकार


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अब सवाल यह है कि क्या सुशील कुमार से पद्म अवॉर्ड वापस लिया जा सकता है. पद्म पुरस्कारों की स्कीम में कहा गया है कि राष्ट्रपति किसी शख्स से पुरस्कार वापस ले सकते हैं और उसका नाम रजिस्टर से हटाया जा सकता है. लेकिन राष्ट्रपति के पास फिर से पुरस्कार और सनद वापस देने का भी अधिकार है. सुशील कुमार में खेल के क्षेत्र में योगदान के लिए 2011 में पद्म श्री से नवाजा जा चुका है.


अदालत के फैसले का इंतजार


टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय इस बारे में सही वक्त आने पर फैसला ले सकता है. पूर्व गृह सचिव एन गोपालस्वामी ने कहा कि मंत्रालय इस बारे में स्वत: संज्ञान ले सकता है और अवॉर्ड की समीक्षा कर सकता है. हालांकि मंत्रालय इससे पहले कोर्ट के फैसले का इंतजार जरूर करेगा.


उन्होंने कहा कि मर्डर केस में चार्जशीट दाखिल होने पर भी राष्ट्रपति के पास अवॉर्ड वापस लेने की सिफारिश की जा सकती है. फिर चार्जशीट दाखिल होने के बाद राष्ट्रपति की ओर से अवॉर्ड को रद्द किया जा सकता है. हालांकि अगर सुशील कुमार मामले में बरी हो जाते हैं तो अवॉर्ड को वापस लेने का फैसला पलटा जा सकता है.


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खतरे में रेलवे की नौकरी


मर्डर केस में फंसने के बाद दिल्ली सरकार ने सुशील कुमार की ओर से किया गया नौकरी बढ़ाने का आवेदन खारिज कर दिया है. सरकार की ओर से उसे उत्तर रेलवे विभाग को भेज दिया है जहां वह कार्यरत हैं. सुशील दिल्ली सरकार में 2015 से डेप्यूटेशन पर थे और उनका कार्यकाल 2020 तक बढ़ा दिया गया था लेकिन वह इसे 2021 में भी बढ़वाना चाहते थे.


कैसा रहा रेसलर का करियर?


सुशील कुमार देश के सबसे प्रतिष्ठित रेसलर गिने जाते हैं. सबसे पहले उन्होंने 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीता. यही नहीं 2012 में लंदन में हुए अगले ओलंपिक में सुशील ने सिल्वर मेडल पर कब्जा किया. दो ओलंपिक पदक जीतने वाले वे भारत के पहले खिलाड़ी और रेसलर थे.


इसके बाद सुशील ने एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी अपना दबदबा बनाया. सुशील को राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है.