DNA Analysis: अल जवाहिरी का मारा जाना बड़ी खबर है. लेकिन एक देश के तौर पर, एक सुपरपावर के तौर पर ये अमेरिका के लिए कोई बहुत बड़ी सफलता नहीं है. अमेरिका ने अल कायदा को खत्म करने के लिए अफगानिस्तान में 20 वर्षों तक युद्ध लड़ा और इस युद्ध पर उसने भारतीय रुपयों में 185 लाख करोड़ रुपये खर्च किए. यानी आज आप देखेंगे तो लादेन और अल जवाहिरी को खत्म करने में अमेरिका को दो दशक से ज्यादा का समय लगा और इस पर उसे 185 लाख रुपये खर्च करने पड़े. इसके अलावा इस युद्ध के दौरान अमेरिका के 2 हजार 455 सैनिक मारे गए. अफगानिस्तान के 46 हज़ार नागरिकों की मौत हुई और 22 लाख नागरिकों को अफगानिस्तान छोड़ कर जाना पड़ा.


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क्या ये US की उपलब्धि है?


अब आप खुद सोचिए कि अल जवाहिरी के खात्मे को अमेरिका जितनी बड़ी उपलब्धि बता रहा है, क्या वो उतनी बड़ी उपलब्धि है. ये बात इसलिए भी कही जा रही है क्योंकि अल जवाहिरी के मारे जाने से अल कायदा खत्म नहीं हो गया है. अमेरिका का मकसद शुरुआत से अल कायदा को खत्म करना था और ये संगठन आज भी मौजदू है. वर्ष 2011 में जब ओसामा बिन लादेन मारा गया था, तब भी अमेरिका ने यही कहा था कि उसने इस जंग को जीत लिया है. लेकिन ये बात गलत साबित हुई और अल कायदा इसके बाद और मजबूत होकर उभरा.


जवाहिरी ने ही किया अल कायदा का विस्तार


अल जवाहिरी ने अल कायदा का विस्तार किया और जेहाद की लड़ाई जारी रखी और आज जब अल जवाहिरी मारा गया है तो उसके उत्तराधिकारी अल कायदा को मजबूत करने का काम करेंगे. इसलिए ये कहना कि यहां लड़ाई खत्म हो जाती है, ये प्रासंगिक नहीं होगा. अल जवाहिरी की मौत के बाद ऐसी खबरें हैं कि आतंकी सैफ अल आदेल को अल कायदा की कमान मिल सकती है, जो Egypyt का पूर्व Army Officer है और अल कायदा के संस्थापक सदस्यों में से एक है. अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के अनुसार 1980 के दशक में सैफ अल-आदेल आतंकवादी संगठन मकतब अल-खिदमत में शामिल हुआ था और इसी दौरान उसकी मुलाकात ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी से हुई थी.


ओसामा से कनेक्शन


सैफ अल-आदेल एक जमाने में ओसामा बिन लादेन का सुरक्षा चीफ भी हुआ करता था और वो FBI की Most Wanted List में वर्ष 2001 से है. उसके बारे में जानकारी देने पर FBI द्वारा 10 Million Dollar यानी 80 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया गया है. इसके अलावा अमेरिका की सेनाएं उसे वर्ष 1993 से ढूंढ़ रही है, जब उसने सोमालिया में अमेरिक की सेना और उसके Helicopter पर घात लगा कर हमला किया था. इस हमले में तब अमेरिका के 19 सैनिक मारे गए थे और अल-आदेल की उम्र उस समय 30 साल थी. यानी आज इस आतंकवादी की उम्र लगभग 60 के आसपास हो सकती है. संक्षेप में कहें तो अल कायदा लादेन के समय भी था, अल कायदा अल जवाहिरी के समय भी था और अल कायदा अब भी है. जब अल जवाहिरी मर गया है.


इसलिए अल जवाहिरी को खत्म करने से आतंकवाद खत्म नहीं होगा. इसके लिए पूरे संगठन को नष्ट करना जरूरी है.