नयी दिल्ली: जम्मू कश्मीर में ‘पैलेट गन’ से सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की आंखों में गंभीर चोट लगने के मद्देनजर अब आतंकवाद रोधी किसी कार्रवाई के दौरान या उससे पहले किसी प्रदर्शन पर नये बदलाव के साथ इस हथियार का इस्तेमाल किया जाएगा।


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सीआरपीएफ महानिदेशक के. दुर्गा प्रसाद ने कहा कि अर्धसैनिक बल ने चोट को कम करने के लिए नये बदलाव के साथ पैलेट गन का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। वह कल सेवानिवृत्त हो रहे हैं।


गौरतलब है कि पैलेट गन से छर्रे दागे जाते हैं। नये बदलाव वाले पैलेट गन में एक ‘डिफलेक्टर’ (मार्ग बदलने वाला उपकरण) होगा, जो बंदूक की नली के सिरे पर लगा होगा, ताकि छरें को उपर जाने से रोका जा सके।


बल ने बीएसएफ की एक विशेष कार्यशाला को इन बंदूकों की नली के सिरे पर धातु के बने डिफलेक्टर लगाने का काम सौंपा है ताकि र्छे शरीर पर पेट से उपर के हिस्से पर नहीं लगे।


कश्मीर घाटी में तैनात सीआरपीएफ के जवानों से अब प्रदर्शनकारियों के पैरों को निशाना बना कर र्छे दागने को कहा गया है जबकि निर्धारित कार्यप्रणाली पेट के हिस्से को निशाना बनाने की है।


उन्होंने एक सख्त संदेश देते हुए कहा कि अर्धर्सनिक बल सिर्फ कानून व्यवस्था बहाल करने वाले बल के रूप में काम करने की बजाय अब आतंकवाद रोधी कार्रवाई करने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष कार्रवाई समूह (एसओजी) और सेना के साथ सक्रियता से तालमेल बिठा रहा है। उन्होंने कहा कि हालात उतने संवदेनशील नहीं हैं जितना कि पिछले साल थे..अब वैसा पथराव नहीं हो रहा..सुरक्षा बलों पर पथराव पहले की तरह नहीं हो रहा।


साल भर बल का नेतृत्व कर चुके प्रसाद ने कहा कि आने वाले दिनों में जब हम प्रदर्शनकारियों को काबू करेंगे तो हम कई विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे, उसमें पैलेट गन भी एक है। पीएवीए (मिर्च से भरे गोले) काफी टिकाऊ है और वे कुछ खास स्थिति में अच्छे हैं ..लेकिन हमने यह साफ कर दिया है कि सीआरपीएफ के कर्मी हालात के मुताबिक विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे।


सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने अपने लोगों को अब पैरों पर छर्रे दागने को कहा है..डिफलेक्टर का इस्तेमाल करने से लक्ष्य से उपर निशाना लगने की सिर्फ दो फीसदी संभावना होगी जबकि पहले यह 40 फीसदी की दर थी। उन्होंने कहा कि पैलेट गन में बदलाव करने से चोट को कम किया जा सकता है लेकिन यह बिल्कुल नहीं रोका जा सकता।