चमत्कार! दिमाग और आंख के बीच फंसी थी गोली, डॉक्टरों ने बिना सर्जरी के निकाली
डॉक्टरों ने चौंकाने वाला काम किया है. उन्होंने शख्स के दिमाग और आंख के बिल्कुल बीच में फंसी गोली को बिना किसी सर्जरी के निकाल दिया है. चार इंच की एक गोली को निकालने के लिए चहरे पर एक भी चीरा नहीं लगाया गया है.
मुंबई: डॉक्टरों ने चौंकाने वाला काम किया है. उन्होंने शख्स के दिमाग और आंख के बिल्कुल बीच में फंसी गोली को बिना किसी सर्जरी के निकाल दिया है. चार इंच की एक गोली को निकालने के लिए चहरे पर एक भी चीरा नहीं लगाया गया है. डॉक्टरों ने इस उपचार के बदले कोई पैसे भी नहीं लिए हैं. यह कारनामा मुंबई के JJ अस्पताल के डॉक्टरों ने की है. इस सर्जरी को करने के बाद डॉक्टर भी हैरान हैं. वहीं मरीज पूरी तरह खतरे से बाहर है. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत हैं.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले तनवीर 6 दिसंबर को करीब 70 हजार रुपये लेकर कार से घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में लुटेरों ने ऊनपर कट्टे (देशी पिस्तौल) से फायर कर दिया. गोली तनवीर के आंख के ठीक ऊपर लगी और बांई आंख और दिमाग के बिल्कुल बीचो-बीच फंस गई. तनवीर के घरवालों ने उसे इलाहाबाद के कई अस्पतालों में ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने मरीज की हालत देखकर सर्जरी करने से मना कर दिया. इस दौरान तनवीर की आंख बिल्कुल लाल हो चुकी थी. तनवीर ने बताया कि दर्द के कारण उसका हाल बेहाल हो गया था.
इसके बाद मरीज को मुंबई के JJ अस्पताल ले जाया गया. यहां डॉक्टर श्रीनिवास चव्हाण ने अपने कुछ सहयोगी डॉक्टरों के साथ करीब 3 घंटे तक गोली निकालने की कोशिश करते रहे. उन्होंने बताया कि इस केस में समझ में नहीं आ रहा था कि सर्जरी की जाए या एंडोस्कोपी. सर्जरी करने का खतरा ये था कि नाक की नली या होठों तक आने वाले नसों को नुकसान पहुंच सकता था. इसके साथ ही चेहरे का एक बड़ा हिस्सा काटना पड़ता, जिसे बाद में टांको के जरिए जोड़ा जाता. इस स्थिति में चेहरा बिगड़ने की भी संभावना थी.
इन अलावा जेजे अस्पताल में इस तरह के ऑपरेशन करने के लिए सर्जिकल औजार भी नहीं थे. आखिरकार डॉक्टर श्रीनिवास चव्हाण ने इस केस में एंडोस्कोपी करने का फैसला किया. इसके लिए ऑपरेशन के दौरान जिस तरह के औजार उन्हें चाहिए थे, जिसके बाद उन्होंने खुद अपनी सूझबूझ के साथ औजार तैयार किये. नाक से एंडोस्कोपी के इंस्ट्रुमेन्ट को अंदर डालकर स्क्रीन में देखते हुए दिमाग और आंख के बीच फंसी गोली को निकालने के दौरान वह बार-बार फिसल रही थी. धैर्य और अनुभव के आधार पर आखिरकार डॉक्टर्स को सफलता मिल ही गयी.
एंडोस्कोपी करने वाले डॉक्टर डॉक्टर श्रीनिवास चव्हाण ने बताया कि अब तनवीर बिलकुल ठीक है. उसकी बांई आंख का विजन 10 फीसदी तक वापस आ चुका है, जो भविष्य में 50 फीसदी तक बढ़ सकता है. उसके चेहरे पर एक भी निशान मौजूद नहीं हैं. देसी कट्टे से निकली गोली अगर और ज़्यादा दिन उसके दिमाग मे फंसी रह जाती तो शायद गोली के केमिकल का जहर उसके दिमाग और दूसरी आंख को भी डैमेज कर देता. इस पूरे ऑपेरशन में तनवीर का एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ. इससे पहले साल 2012 में पाकिस्तान में एक शख्स के दिमाग में फंसे एक छर्रे को इसी तरह एंडोस्कोपी से निकाला गया था. जेजे अस्पताल के डीन डॉक्टर सुधीर नानंदकर ने बताया कि ये ऑपरेशन सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की सूझबूझ का उदाहरण पेश करता है.