Measles Vaccination: कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाने के चक्कर में दुनिया इस कदर व्यस्त हुई कि दुनिया भर के बच्चों का वैक्सीनेशन छूट गया. कई देशों के टीकाकरण कार्यक्रम का इंफ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचा कोविड वैक्सीनेशन के टारगेट पूरे करने में लग गया और अब खसरे (Measles)  के खतरे ने एक बार फिर से सिर उठा लिया है. 


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विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकलन के मुताबिक दुनिया के 4 करोड़ बच्चों ने अपनी खसरे की डोज़ मिस कर दी. तकरीबन ढाई करोड़ बच्चों को खसरे के टीके की पहली खुराक ही नहीं मिल पाई जबकि डेढ़ करोड़ बच्चों को दूसरी डोज नहीं मिल सकी.


कई देशों में खसरे का आउटब्रेक
वर्ष 2021 में खसरे के तकरीबन 90 लाख मामले सामने आए थे और 1 लाख 28 हज़ार मौतें दर्ज हुई थीं. 22 देशों में इस बीमारी का आउटब्रेक हुआ था. पहले कोरोनावायरस की वैक्सीनेशन ने खसरे के टीकाकरण को प्रभावित किया और फिर 2022 आते आते दुनिया के कई हिस्सों में खसरे का आउटब्रेक हो गया. कोरोनावायरस को कंट्रोल करने के चक्कर में 18 देशों में 6 करोड़ डोज़ या तो मिस हो गई या देरी से लगाई गई.


वैक्सीनेशन से रुक सकता है खसरा
खसरे के वायरस को बेहद खतरनाक वायरस में माना जाता है. हालांकि अच्छी बात ये है कि वैक्सीनेशन से इस बीमारी को पूरी तरह रोका जा सकता है. लेकिन ये वायरस ना फैले, इसके लिए दुनिया की 95% आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज मिलना जरुरी माना जाता है. लेकिन असल में केवल 81% बच्चों को खसरे की पहली डोज मिली है और केवल 71% बच्चे ऐसे हैं जिन्हें दो डोज मिली है. 2008 के बाद इतना कम वैक्सीनेशन दर्ज हुआ है.


खसरे की बीमारी तेज़ी से एक से दूसरी जगह फैलती है. इसलिए इस पर दुनिया के सभी देशों को एक साथ रफ्तार पकड़कर वैक्सीनेशन बढ़ाने की जरुरत है.


भारत में भी खसरे का खौफ मुंबई में बच्चे की मौत 
महाराष्ट्र और विशेष तौर पर मुंबई में इन दिनों खसरे का खौफ है. मंगलवार को एक आठ साल के बच्चे की मौत इस बीमारी से हो गई. महाराष्ट्र में अब तक 13 मौतें हो चुकी हैं. महाराष्ट्र में बच्चों में खसरा संक्रमण के 200 से अधिक पुष्ट मामले हैं. और 3 हजार से ज्यादा संदिग्ध केस मिले हैं. 


खसरा और रूबेला (Measles and rubella) से बच्चों की मौते और बढ़ते मामलों पर केंद्र ने राज्यों को एडवाइजरी जारी की. महाराष्ट्र के अलावा बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और केरल में भी मामले हैं. महाराष्ट्र में बच्चों की मौत के मामले दर्ज हुए हैं, जो चिंता की बात है. महाराष्ट्र में खसरे का टीकाकरण भी बहुत कम पाया गया है


सरकार ने सावधान किया है कि नवंबर से मार्च के बीच मामले बढ़ सकते हैं. इसलिए जहां बीमारी फैली है, वहां बच्चों में बुखार और रैश यानी लाल निशान होने पर सतर्क हों.


सरकार की एडवाइज़री
-टीकाकरण कार्यक्रम से अलग एक और एडिशनल डोज लगाने की दी सलाह.
-9 महीने से 5 वर्ष के ऐसे बच्चों को टीके लगाए जाएं जो बीमारी वाले एरिया में रह रहे हैं.
-केंद्र ने सलाह दी है कि ऐसे एरिया में जहां 6 महीने के बच्चों में बीमारी फैली है, वहां 6-9 महीने के बच्चों को भी एक एक्सट्रा डोज लगाई जा सकती है.
-अभी खसरे के लिए पहला टीका 9-12 महीने और दूसरा 16-24 महीने पर लगता है.


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