Indian Air Force AN-32 aircraft  :  भारतीय वायुसेना का 2016 में लापता AN-32 विमान का मलबा मिला है. यह परिवहन विमान बंगाल की खाड़ी में करीब 3.4 किलोमीटर की गहराई पर मिला है. एक मिशन के दौरान बंगाल की खाड़ी के ऊपर से यह विमान लापता हो गया था. इस विमान में 29 कर्मी सवार थे. इसे लेकर बड़ा खोज अभियान भी चलाया गया था. बता दें, 22 जुलाई 2016 में यह लापता हुआ था. 


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कैसे मिला लापता An-32 विमान का मलबा


रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हाल ही में राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान के ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV) की तस्वीरों की जांच से पता चला है, कि चेन्नई तट से 310 किमी दूर समुद्र में मिला मलबा AN-32  विमान का ही है.  मंत्रालय कि ओर से एक बयान भी सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि यह तस्वीरें ‘भारतीय वायुसेना के दुर्घटनाग्रस्त AN-32  विमान का मलबा होने की ओर इशारा करती है.’’



 


कब हुआ An-32 लापता 
22 जुलाई 2016 में लापता AN-32 विमान ने चेन्नई के तांबरम से सुबह साढ़े आठ बजे उड़ान भरी थी. यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर की साप्ताहिक यात्रा पर था. एक मिशन के दौरान बंगाल की खाड़ी के ऊपर से यह विमान लापता हो गया था. यह विमान रूस में बना था. विमान में चालक दल के छह सदस्यों सहित कुल 29 लोग सवार थे. इस घटना के कुछ महीने बाद कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी हुई थी. उसने निष्कर्ष दिया था, कि वायुसेना के लापता विमान में सवार सभी लोगों को ‘मृत’ मान लिया जाए. सितंबर 2016 में भारतीय वायुसेना ने तलाश रोक दी थी.



कैसे हुआ लापता 


विमान को पोर्ट ब्लेयर में भारतीय नौसैनिक हवाई स्टेशन INS उत्क्रोश पर उतरना था. उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद विमान का संपर्क टूट गया और रडार से गायब हो गया. उस वक्‍त वह बंगाल की खाड़ी के ऊपर था. इसके गायब होने पर सशस्त्र बलों ने समंदर में भारत का सबसे बड़ा खोज और बचाव अभियान शुरू किया था. लापता AN-32 को खोजने के लिए कई विमान, जहाज, एक पनडुब्बी और यहां तक कि सैटेलाइट्स को भी तैनात किया गया था.


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भी लापता AN-32 का पता लगाने के लिए अपने एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट का उपयोग कर रहा था. दिन बीतते गए और AN-32 का कोई संकेत नहीं मिला. भारतीय वायु सेना ने मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी संपर्क किया था. 


 


 


क्‍यों नहीं म‍िल पा रहा था न‍िशान


खोज के प्रयासों में सबसे ज्‍यादा निराशा करने वाली बात यह थी, कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर गायब हुए AN-32  में कोई अंडरवाटर लोकेटर बीकन स्थापित नहीं था. जब कोई विमान समुद्र में डूब जाता है, तो ये बीकन रेडियो सिग्नल को बाहर करती हैं. फिर सिग्नलों को पनडुब्बियों या जहाजों की मदद से पिक किया जाता है. इससे समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान का पता लगाने में मदद मिलती है.