Yasin Malik: NIA कोर्ट ने कहा- यासीन मलिक के गांधीवादी होने की दलील बेमानी, उसने हथियार छोड़े; हिंसा नहीं
Yasin Malik awarded life imprisonment: NIA ने टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की थी. यासीन मलिक ने UAPA के तहत अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था. अब उसे दो धाराओं में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
Yasin Malik awarded life imprisonment: दिल्ली की NIA कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने बुधवार को सजा देते हुए उसके गांधीवादी होने की दलील को खारिज किया है. 20 पेज के लिखित आदेश में स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने कहा कि यासीन मलिक गांधी की शिक्षाओं पर चलने की दुहाई नहीं दे सकता. गांधीजी के आंदोलन में हिंसा की कोई जगह नहीं थी, जबकि यासीन का राजनीतिक आंदोलन हमेशा हिंसक रहा और उसने कभी घाटी में हिंसक वारदातों की निंदा नहीं की.
यासीन का रास्ता गांधीजी का नहीं
कोर्ट ने फैसले में कहा कि यासीन मलिक खुद को गांधीजी की शिक्षाओं पर चलने वाला बताता है, लेकिन उस पर लगे आरोप दूसरी ही कहानी कहते हैं. गांधीजी ने चौरीचौरा में हुई महज एक हिंसक घटना के चलते पूरा असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था. लेकिन यहां तो हिंसा होती रही. यासीन मलिक ने कभी उसकी निंदा तक नहीं की.
यासीन मलिक को कोई पछतावा नहीं
सजा पर जिरह के दौरान यासीन मलिक ने दलील दी थी कि उसने 1994 में हथियार छोड़ दिये और उसके बाद वह हिंसक गतिविधियों में शामिल नहीं रहा. लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को भी खारिज कर दिया. स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने आदेश में कहा कि यासीन मलिक ने भले ही 1994 में हथियार छोड़ दिये हों लेकिन इससे पहले की गई हिंसा को लेकर से कोई उसे पछतावा नहीं है.
यासीन ने सरकार से विश्वासघात किया
सजा पर जिरह के दौरान यासीन मलिक ने ये भी दलील दी थी कि वो देश के कई प्रधानमंत्रियों से मिला है, जिन्होनें उसे राजनीतिक प्लेटफॉर्म दिया. वह हिंसा में शामिल नहीं था, इसलिए प्रधानमंत्रियों तक ने उसे अपनी बात रखने का मौका दिया. लेकिन कोर्ट ने फैसले में कहा कि सरकार ने यासीन के लिए अच्छी नीयत रखकर उसे सुधरने का मौका दिया लेकिन उसने हिंसा का रास्ता न छोड़कर सरकार के साथ विश्वासघात किया.
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जज ने अपने आदेश में लिखा कि सरकार ने उससे संवाद कायम किया, अपनी बात रखने का प्लेटफॉर्म प्रदान किया. लेकिन फिर भी यासीन मलिक ने हिंसा का रास्ता नहीं छोड़ा. राजनीतिक संघर्ष की आड़ में वह हिंसा का रास्ता अख्तियार करता रहा.
कश्मीर को भारत से अलग करना था मकसद
कोर्ट ने कहा कि जिन आरोपों के तहत यासीन मलिक को दोषी करार दिया गया, वो बेहद गंभीर हैं. उसका और उसके साथियों का मकसद जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करने का था. उसका अपराध इसलिए भी गंभीर हो जाता है कि विदेशी ताकतों की शह पर इसे अंजाम दिया गया और आड़ शान्तिपूर्ण राजनीतिक आंदोलन की ली गई थी.
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