Indian Railways: ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें…’  भारतीय रेल से सफर करने वाला हर यात्री इस घोषणा से परिचित है. अगर कोई ऐसा शख्स है जो अपने जीवन काल में सिर्फ एक बाहर ही रेलवे स्टेशन गया हो तो वो भी इस अनाउंसमेंट को जरूर सुन लेगा. एक तरह से यह अनाउंसमेंट भारतीय रेलवे की पहचान बन गई.


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क्या आपने कभी सोचा है कि ये आवाज किसकी है? और क्या हर स्टेशन पर अलग-अलग आवाजें हैं. आइए आपको बताते हैं इन दोनों सवालों का जवाब: -


रेलवे स्टेशनों पर सुनाई देने वाली यह आवाज सरला चौधरी की है. रेलवे के साथ उनके जुड़ाव की कहानी शुरू होती है 1982 से जब मध्य रेलवे में उद्घोषक के पद के लिए सरला चौधरी सहित सैकड़ों उम्मीदवारों ने आवेदन किया था. हालांकि सफलता सरला चौधरी को मिली और उनका चयन हो गया लेकिन यह एक अस्थायी नौकरी थी


 



हालांकि रेलवे ने जब देखा कि सरला की आवाज लोगों का ध्यान खींचने में प्रभावी है और यात्रियों ने वास्तव में घोषणा पर ध्यान देना शुरू कर दिया, तो 1986 में उन्हें स्थायी कर दिया.


आज भी होता है सरला की आवाज का इस्तेमाल
आपको जानकर हैरानी होगी कि 2015 में अनाउंसमेंट्स को पूरी तरह कंप्यूटर आधारित कर देने के बावजूद  आज भी देशभर के रेलवे स्टेशनों पर उनकी पहले से रिकॉर्ड की गई आवाज का इस्तेमाल किया जाता है. बीच-बीच में नई ट्रेनों के नाम के लिए एक और आवाज जोड़ी जाती है. सरला चौधरी भले ही आज रेलवे में उद्घोषक के पद पर न हों, लेकिन उनकी आवाज आज भी काम कर रही है.


सरला चौधरी को विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर अनाउंसमेंट करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. उन्हें इन घोषणाओं को कई भाषाओं में भी रिकॉर्ड करना होता था. बाद में रेलवे ने घोषणा की जिम्मेदारी ट्रेन प्रबंधन प्रणाली को दे दी.


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