UP By Elections: ढाई घंटे की मीटिंग और बन गया यूपी उपचुनाव में जीत का रोडमैप! योगी-RSS की मीटिंग में क्या-क्या हुआ?
UP ByElections: करीब दो से ढाई घंटे चली इस बैठक में सरकार और संगठन के बीच मनमुटाव को दूर करना बैठक का मुख्य एजेंडा था. बैठक में सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय के साथ ही आने वाले दिनों में होने वाले उपचुनाव को लेकर भी बेहद महत्वपूर्ण चर्चा हुई है.
UP ByPolls: यूपी में उपचुनाव को लेकर बैठकों का दौर जारी है. लखनऊ में इसी बीच संघ, संगठन और सरकार की एक बैठक हुई. कहा जा रहा है कि इस बैठक में हर उस मुद्दे पर चर्चा हुई, जो गिले शिकवे की कहानी लिख रहे थे. हर अफवाह को विराम देते हुए यूपी बीजेपी ने मजबूती के साथ उपचुनाव लड़ने का प्लान तैयार कर लिया है.
क्या यूपी में एक बार फिर बीजेपी पूरी ताकत के साथ वापसी करने वाली है? क्या लखनऊ में संघ और सरकार के बीच हुए मंथन में सब क्लियर हो गया? क्या संघ और सरकार के बीच सारी टेंशन खत्म हो गई? ये वो सवाल हैं जो लखनऊ में हुई संघ, संगठन और योगी सरकार के बीच हुई एक बैठक के बाद निकलकर सामने आ रहे हैं. करीब दो से ढाई घंटे चली इस बैठक में सरकार और संगठन के बीच मनमुटाव को दूर करना बैठक का मुख्य एजेंडा था.
संघ, सरकार और संगठन पर हुई बातचीत
बैठक में सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय के साथ ही आने वाले दिनों में होने वाले उपचुनाव को लेकर भी बेहद महत्वपूर्ण चर्चा हुई है. ये बैठक राजधानी लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री आवास 5 कालिदास मार्ग पर बुधवार को एक अहम बैठक हुई जिसमें आरएसएस, सरकार और संगठन के बीच खुलकर चर्चा हुई. बीजेपी, सरकार और संघ की इस मैराथन बैठक में बीजेपी को हुए अप्रत्याशित नुकसान पर चर्चा की गई.
बैठक में तय किया गया कि उपचुनाव वाले क्षेत्रों में बीजेपी बूथ स्तर पर फोकस करेगी. साथ ही छोटी छोटी बैठकें कर जनता से सीधे जुड़ने की कोशिशें होगी. यानि एक बार फिर जमीन पर संघ, संगठन और सरकार का जोर दिखेगा.
क्या संघ से दूर हो गए सारे मतभेद?
बीजेपी और संघ के बीच मतभेद दूर होते दिखाई दे रहे हैं, इससे बीजेपी को किस तरह का फायदा होगा? क्या बीजेपी एक बार फिर यूपी में कमबैक करने जा रही है? 2027 में बड़ा मार्जिन देखने को मिल सकता है? निश्चित तौर पर योगी सरकार को उपचुनावों में इसका फायदा होगा. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी के बीच हुई इस बैठक में उप चुनाव की तैयारियों और रणनीति पर भी चर्चा हुई है. इस बैठक में विपक्ष के आरक्षण और संविधान पर फैलाए जा रहे नैरेटिव को खत्म करने के लिए सच्चाई रखने के निर्देश दिए गए.
पुराने कार्यकर्ताओं को तरजीह देने पर जोर
निकायों और बार्डों में खाली पड़े पदों पर पुराने कार्यकर्ताओं को तरजीह देने पर जोर दिया गया. बैठक में ये भी माना गया कि जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी से पार्टी को नुकसान हुआ. नौकरशाही के मनमाने व्यवहार को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई.वरिष्ठ नेताओं को ये जिम्मेदारी दी गई कि कहीं पर भी कोई मतभेद है तो उसे आमने-सामने बिठाकर उसका समाधान निकालें.
बीजेपी और संघ के बीच दूरी की अफवाहों को हवा तब मिली थी, जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने खुले मंच से सरकार और संगठन के बीच कौन बड़ा है, कौन छोटा, इस बात का जिक्र कर दिया था. बीते कुछ वक्त से चली आ रही दूरियों को अब अंत होता दिखाई दे रहा है.केशव प्रसाद भी सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगे हैं, तो वहीं संघ भी सरकार के साथ आ गया है.
विपक्ष पर हमलावर हैं सीएम योगी
यानि उपचुनावों से पहले ही बीजेपी में सबकुछ ठीक होता दिखाई दे रहा है. बीजेपी दोनों फ्रंट पर खुद को मजबूत कर रही है, एक तरफ संघ के साथ सारे गिले शिकवे दूर किए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ, योगी आदित्यनाथ पूरी ताकत के साथ विपक्ष पर हमलावर हैं, सपा का मॉडल जनता को समझा रहे हैं.
यूपी में मिली अप्रत्याशित कम सीटों पर मंथन हो चुका है, संघ, संगठन और सरकार सब एक मंच पर आ चुके हैं और सीएम योगी विपक्ष पर पूरी तरह से हमलावर हैं.
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