Criminals Encounters in UP: जब से योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाली है, तब से बदमाशों में एनकाउंटर का खौफ पैदा हो गया है. मुख्यमंत्री का पद संभाले योगी आदित्यनाथ को 6 साल हो चुके हैं. 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद इतिहास रचते हुए वह दूसरी बार सीएम बने. लेकिन अपराधियों का काउंटडाउन चालू है. आइए आपको बताते हैं कि पिछले 6 साल में कितने अपराधियों को यूपी पुलिस ने मौत के घाट उतारा है.  


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इतने बदमाश हुए ढेर


गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद और उसके साथी गुलाम को यूपी एसटीएफ ने झांसी में गुरुवार (13 अप्रैल 2023) को एनकाउंटर में ढेर कर दिया. योगी राज में पिछले 6 साल के दौरान अलग-अलग एनकाउंटर्स में 183 अपराधी मारे गए हैं. एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार के मुताबिक, '20 मार्च, 2017 से राज्य में पुलिस एनकाउंटर्स में 183 अपराधी मारे गए हैं.' आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 20 मार्च 2017 से राज्य में 10,900 से ज्यादा पुलिस एनकाउंटर्स हुए हैं, जिनमें 23,300 से ज्यादा क्रिमिनल्स को गिरफ्तार किया गया है, 5,046 अपराधी घायल हुए हैं और 183 अपराधी मारे जा चुके हैं. जबकि 1,443 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.


पुलिसकर्मी भी हुए शहीद


यूपी पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 20 मार्च 2017 से राज्य में हुए एनकाउंटर्स में अब तक 13 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं. इनमें एक डीएसपी समेत वे आठ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जो जुलाई 2020 में कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में घात लगाकर बैठे गैंगस्टर विकास दुबे के साथियों की गोलीबारी में मारे गए थे.


वहीं, एमपी के उज्जैन से यूपी वापस लाने के दौरान दुबे ने भागने की कोशिश की थी और एनकाउंटर में मारा गया था. पुलिस ने बताया था कि वापसी में गाड़ी पलटने के बाद दुबे ने एक पुलिसवाले की बंदूक छीनकर भागने की कोशिश की थी. 


विपक्ष बोला- फर्जी हैं कई एनकाउंटर्स


वहीं, सरकार के आलोचकों और विपक्षी दलों का आरोप है कि इनमें से कई मुठभेड़ फर्जी हैं और उनके सही तथ्यों का पता लगाने के लिए हाई लेवल जांच होनी चाहिए. हालांकि यूपी सरकार और पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है. गुरुवार को झांसी में हुई मुठभेड़ में माफिया अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने सवाल उठाए हैं. उमेश पाल हत्याकांड में असद और गुलाम नामजद आरोपी थे. 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा गार्ड की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.


(एजेंसी-पीटीआई)


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