और अब वो खबर, जिसके बारे में कहा जा रहा है... कि देश एक और ''श्वेत क्रांति'' की ओर बढ़ रहा है ... और अब हमारे देश में गाय राजनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक पशु बन जाएगी .इसलिए आज हमने तय किया है कि आपको गाय के राजनीतिशास्त्र के साथ अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र का महत्व भी समझाएंगे. आपके लिए गाय का सौ फीसदी शुद्ध और पवित्र DNA टेस्ट करेंगे... जो ये साबित करेगा कि गाय भारत के लिए फायदेमंद भी है. और देश के लोगों के लिए वरदान भी. देश के कई राजनीतिक दल गाय को सिर्फ सिय़ासत का जरिय़ा मानते हैं. और गाय के नाम पर वोट बैंक मज़बूत करते हैं. लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि भारत में गौ क्रांति से देश की आर्थिक तरक्की हो सकती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मथुरा में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी राजनीति करनेवाले पार्टियों को आईना दिखाया है. उन्होंने कहा कि देश में कुछ लोगों को 'गाय' और 'ओम' के नाम पर Current लग जाता है. गाय भले ही देश में राजनीति का मोहरा बन गई हैं . लेकिन गाय का दूध, गोबर और गौमूत्र समाज के काम आता है .गाय आर्थिक और सामाजिक तौर पर देश के लिए कामधेनु जैसी है .


और आज प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में भी देश के लिए यही संदेश था . समाज सुधारक ...स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते थे कि एक गाय अपने जीवन में 4 लाख से ज्यादा लोगों के लिए एक वक्त का भोजन जुटाती है. ऐसे में गाय के महत्व को समझाने के लिए सबसे पहले आपको उसके आर्थिक पक्ष को समझना होगा. आप इसे गाय का अर्थशास्त्र या फिर Cownomics भी कह सकते हैं .


2012 में किए गए Live Stock Census के मुताबिक भारत में कृषि के लिए इस्तेमाल होने वाले जानवरों की संख्या 51 करोड़ है. इनमें से 11 करोड़ गाय हैं . भारत दूध का उत्पादन करने वाला दुनिया का नंबर 1 देश है. यहां हर दिन करीब 18 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है. ये आंकड़ा दुनिया भर के कुल उत्पादन का 20 प्रतिशत है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में दूध उद्योग 6 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है .


और कुल GDP में इसका योगदान 4 प्रतिशत है. रोजगार को लेकर भी दूध उत्पाद के क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं. फिलहाल देश भर में करीब 25 करोड़ लोगों की आमदनी का जरिया दूध और डेयरी है. अगले 10 वर्षों तक इस क्षेत्र में हर साल 2 करोड़ से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिलेंगे .


गाय का दूध ही नहीं बल्कि उसका गोबर और गौमूत्र भी आर्थिक तरक्की के दरवाज़े खोल सकता है . गायों से हर साल 10 करोड़ टन गोबर हासिल होता है. जिसका इस्तेमाल ईंधन के तौर पर किया जाता है . इसकी कीमत 5 हज़ार करोड़ रुपये आंकी गई है. ईंधन के तौर पर इसके इस्तेमाल से हर साल 5 करोड़ टन लकड़ी की भी बचत होती है. रासायनिक खाद के मुकाबले गोबर से बनी प्राकृतिक खाद खेतों के लिए भी बेहतर है. गोबर से बनी से भूमि की नमी पचास फीसदी तक बढ़ जाती है. और फसल भी अच्छी होती है. वैज्ञानिक रिसर्च में ये साबित हुआ है कि गाय के दूध का इस्तेमाल कई रोगों को रोकने और उसके उपचार में भी होता है.


गाय के दूध में Protein..carbohydrates..minerals और Vitamin D होता है. ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है . और लोगों को मानसिक तौर पर मजबूत करता है. ये भी माना जाता है कि यज्ञ और हवन के दौरान गाय के दूध से बने घी की आहुति दी जाती है. इससे हवा में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है. गौमूत्र में मौजूद तत्वों का सेवन टी.बी जैसी गंभीर बीमारियों में फायदेमंद होता है..


पेट संबंधी बीमारियों में भी आयुर्वेद..गौमूत्र के सेवन की सलाह देता है...अब बात गाय के समाजशास्त्र की करते हैं . ऋगवेद में गाय को देवी की संज्ञा दी गई है . वैदिक शास्त्रों में किसी भी जानवर के मुकाबले गाय का जिक्र सबसे ज्यादा बार आता है .गाय से प्राप्त होने वाले दूध, घी, दही, गौमूत्र और गोबर को आयुर्वेद में पंचगव्य कहा जाता है .


पंचगव्य का इस्तेमाल हमलोग पूजा पाठ में करते हैं .यही वजह है कि गाय देश के लिए आर्थिक और सामाजिक बदलाव का जरिया बन सकती है. देश में गौ क्रांति से आर्थिक क्रांति आ सकती है.  मथुरा से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक और बड़े अभियान की शुरुआत की.


उन्होंने Single Use Plastic के खिलाफ 'स्वच्छता ही सेवा' कार्यक्रम को शुरू किया . प्रधानमंत्री ने इस दौरान कचरा उठाने वाली महिलाओं से मुलाकात की . उन्होंने Waste Plastic के Disposal की प्रक्रिया को भी समझा . प्रधानमंत्री ने जिस Single Use Plastic के खिलाफ अभियान शुरू किया है, उससे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है.