ZEE जानकारी: क्या वैचारिक पत्थरबाजी कर रही हैं अरुंधति रॉय?
पहले आपको अरुंधति रॉय का ये विवादित बयान सुनना चाहिए और उसके बाद हम..इस बयान के ज़रिए लोगों को गुमराह करने की साजिश का विश्लेषण करेंगे .
प्रदर्शन के नाम पर देश में हिंसा फैलाने की साजिश में दो तरह के लोग शामिल हैं. पहले. वो लोग..जो हाथ में लाठी, पत्थर और पेट्रोल बम लेकर सड़कों पर उतरे, बसों और ट्रेनों में आग लगाई, पुलिस पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके. और दूसरे. वो लोग हैं जिन्होंने हिंसा फैलाने के लिए हथियारों का नहीं विचारों का सहारा लिया. ये वो लोग हैं जो सड़कों पर आकर नहीं बल्कि सोशल मीडिया या किसी और मंच से वैचारिक हिंसा फैलाने का काम करते हैं. आप इसे वैचारिक पत्थरबाज़ी भी कह सकते हैं . इन्हीं में से एक हैं लेखिका अरुंधति रॉय. पहले आपको अरुंधति रॉय का ये विवादित बयान सुनना चाहिए और उसके बाद हम..इस बयान के ज़रिए लोगों को गुमराह करने की साजिश का विश्लेषण करेंगे .
अरुंधति रॉय ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून और NRC के विरोध में आयोजित रैली में हिस्सा लिया. इस दौरान...प्रदर्शन में शामिल लोगों को उन्होंने कहा कि जब अधिकारी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए आपसे जानकारी लेने के लिए आपके घर आएं तो आप उन्हें अपना नाम और पता गलत बता दीजिए .
अरुंधति रॉय ने ये भी कहा कि अधिकारी को गलत नाम बताने के लिए.कोई भी पांच नाम तय किए जा सकते हैं. अरुंधति रॉय ने प्रदर्शनकारियों को सलाह दी कि वो अपना नाम रंगा बिल्ला बता दें या 7 रेस कोर्स रोड का एड्रेस बता दें . नागरिकता और जनसंख्या रजिस्टर के नाम पर अरुंधति रॉय लोगों को गुमराह कर रही हैं.
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अरुंधति रॉय के बयान का जवाब दिया है . उन्होंने कहा कि देश में अरुंधति रॉय जैसी बुद्धिजीवियों का भी रजिस्टर बनाना चाहिए . आज हम अरुंधति रॉय से कुछ सवाल पूछना चाहते हैं. जब अरुंधति रॉय विदेश यात्रा पर जाने के लिए Visa लेने जाती हैं तो क्या संबंधित अधिकारी को अपना नाम रंगा बिल्ला बताती हैं ?
जब अरुंधति रॉय वैचारिक हिंसा फैलाने किसी विश्वविद्यालय में जाती हैं तो क्या वो अपना नाम रंगा बिल्ला बताती हैं ? और अपने घर का एड्रेस 7 रेसकॉर्स बताती हैं . जब अरुंधति रॉय कोई पुरस्कार लेने के लिए जाती हैं तो क्या वो अपना नाम रंगा बिल्ला बताती हैं.
अरुंधति रॉय को वर्ष 1997 में Booker Prize से सम्मानित किया गया था. ये अवॉर्ड ब्रिटेन में साल के सर्वश्रेष्ठ English Novel के लिए दिया जाता है . वर्ष 2004 में उन्हें Sydney Peace Prize दिया गया था . लेकिन जिस तरह अरुंधति रॉय देश से जुड़े एक अहम मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रही हैं..उनके बीच अफ़वाह फैला रही हैं..इसे देखकर ऐसे Awards और उन्हें देने वाली संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल उठता है.