कहते हैं कि शब्दों में बहुत ताकत होती है लेकिन, ये आप पर निर्भर करता है कि आप इस ताकत का इस्तेमाल अच्छे के लिए करते हैं या बुरे के लिए. झूठ का निर्माण शब्दों से ही होता है और अफ़वाह भी शब्दों से ही तैयार होती है. नए नागरिकता कानून को लेकर, इस समय झूठ और अफ़वाह की वजह से देश के कई इलाकों में जो आग फैली हुई है, उसे बुझाने के लिए भी हम शब्दों का ही सहारा लेंगे. आज हम DNA की शुरुआत उन 54 शब्दों से करेंगे, जो इस देश के सबसे ताकतवर शब्द हैं और जिन्हें मिलाकर इस देश की एकता का सबसे बड़ा गीत तैयार होता है. हम भारत के राष्ट्रगान की बात कर रहे हैं, जिसमें कुल 54 शब्द हैं.


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तस्वीरों में आप जिस पुलिस अधिकारी को देख रहे हैं, उनका नाम चेतन सिंह राठौर है. वो बैंगलुरु Central के Deputy Commisioner Of Police हैं. अब हम आपको पूरा वीडियो दिखाएंगे जिसमें पुलिस अधिकारी पहले लोगों से शांति की अपील करते हैं. उसके बाद वो राष्ट्रगान गाते हैं और उनके साथ सारे लोग राष्ट्रगान गाने लगते हैं. इस वीडियो को देखने के बाद पूरी कहानी आपको समझ में आ जाएगी. आपको बस एक बात का ख्याल रखना है. इस दौरान राष्ट्रगान की मर्यादा बनाए रखनी है. आप राष्ट्रगान को पूरे सम्मान के साथ सुनें. पूरे परिवार के साथ सुनें और आपका मन करे तो इसे गा भी सकते हैं. इस वीडियो के बाद हम विश्लेषण को आगे बढ़ाएंगे. 


राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड लगते हैं और 52 सेकेंड के इस गीत ने हर संकट में भारत को जोड़ने का काम किया है. हम सबने अपने जीवन में कई मौकों पर राष्ट्रगान गाया और सुना होगा, लेकिन इसका ऐसा प्रयोग बहुत कम देखा होगा, जैसा बैंगलुरु के इस पुलिस अधिकारी ने किया. कल जब नागरिकता कानून के विरोध में बैंगलुरु के टाउन हॉल पर प्रदर्शन हो रहा था, तब वहां की सुरक्षा व्यवस्था इस पुलिस अधिकारी के हाथ में थी. पुलिस के बार-बार समझाने के बाद भी जब प्रदर्शनकारी मौके पर बैठे रहे और उस जगह को खाली करने से इनकार कर दिया, तब इस पुलिस अफसर ने प्रदर्शनकारियों से, उनके 52 सेकेंड मांगे, राष्ट्रगान को गाना शुरू किया. इसके बाद वहां मौजूद सभी लोग राष्ट्रगान गाने के लिए खड़े हुए और थोड़ी ही देर में उस जगह को खाली कर दिया. 


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और राष्ट्रगान के बाद अब आप राष्ट्रीय ध्वज की भी तस्वीरें देख लीजिए. दोनों तस्वीरों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि राष्ट्रगान का प्रयोग देश को जोड़ने के लिए किया गया, लेकिन तिरंगे का इस्तेमाल यहां देश को तोड़ने के लिए किया जा रहा है. नए नागरिकता कानून के विरोध में आज दिल्ली में प्रदर्शन हुए तो कई लोगों के हाथ में तिरंगा भी दिखाई दिया. ये इस भीड़ का सबसे बड़ा विरोधाभास था क्योंकि हाथ में तिरंगा लेकर हर कोई राष्ट्रवादी नहीं बन जाता. हमारे झंडे का सफेद रंग सच्चाई, शांति और पवित्रता का प्रतीक है लेकिन, इस प्रदर्शन में जिस तरीके से सत्य की जगह असत्य के प्रयोग किए जा रहे हैं, कहा जा सकता है कि ये तिरंगे का अपमान है क्योंकि इस भीड़ में ना तो सच्चाई दिख रही है, ना शांति और ना ही पवित्रता.