आपने नोट किया होगा कि अगर Computer के Software को समय-समय पर Update नहीं किया जाए तो आपका Computer System ना सिर्फ धीमा हो जाता है बल्कि नया Software ना होने की वजह से कई बार Computer Hang होने लगता है। इसलिए समय-समय पर Software को Update करना ज़रूरी होता है। ये बात भारतीय सेना पर भी लागू होती है। भारतीय सेना को भी अपने हथियार और उपकरण Update करने की ज़रूरत है.. लंबे समय से ये काम अटका हुआ था.. लेकिन अब ये काम शुरु हो चुका है। आज हमारे पास आपके लिए, भारतीय सेना से जुड़ी हुई एक ऐसी ख़बर है, जिसे देखकर आपको थोड़ी राहत ज़रुर मिलेगी। क्योंकि 20 वर्षों के बाद, भारतीय सेना के सिर का बोझ कम होने वाला है।


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- रक्षा मंत्रालय ने 170 करोड़ रुपये में सैनिकों के लिए क़रीब डेढ़ लाख Helmets का Contract किया है।


- ये Modern Combat Helmet.... युद्ध, घुसपैठ और आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए खासतौर पर तैयार किए गए हैं।


- ये Helmet ऐसे हैं, जो काफी नज़दीक से Fire की गई.. 9MM की गोली को झेलने में सक्षम है।


- भारतीय सेना को मिलने वाला नया Helmet, जवानों के सिर, माथे, कान और गर्दन की सुरक्षा करेगा, इसके अलावा ये Helmet... Bomb और ग्रेनेड के Shrapnels भी झेल सकता है।


- सेना की Infantry के जवान और राष्ट्रीय राइफ़ल्स के जवान, अभी तक ‘पटका’ का इस्तेमाल करते थे। 


- जो भारत में बनते हैं, इसमें एक लोहे की Grip पर सिर्फ कपड़ा लिपटा हुआ होता है। ध्यान देने वाली बात ये है कि, ये 'पटका' सिर्फ माथे को सुरक्षा प्रदान करता है।


- इस पटके से ना तो सिर की सुरक्षा होती है.. और ना ही कान और गर्दन की.. ये 'पटका' लोहे का होने की वजह से काफी भारी होता है। इसका वज़न क़रीब ढाई से तीन किलोग्राम होता है। जवानों को लंबे समय तक 'पटका' लगाए रखने में भी बहुत परेशानी होती थी।


- आपको शायद इस बात की जानकारी नहीं होगी कि वर्ष 1999 से 2006 के बीच शहीद हुए सैनिकों में से 23 फीसदी से ज़्यादा सैनिकों की मृत्यु सिर पर लगी चोट की वज़ह से हुई जबकि कारगिल युद्ध में शहीद हुए कुल सैनिकों में से 26 फ़ीसदी से ज़्यादा सैनिक... सिर में गोली लगने की वजह से मारे गए थे।


- अब जो नए Helmets भारतीय सेना को मिलेंगे, वो Non-Metallic होने की वजह से हल्के होंगे..और उनका वज़न सिर्फ एक किलो 300 ग्राम के आसपास होगा।


- इस नए Helmet में Modern Communication Device के अलावा Night Vision Device भी लगाए जा सकते हैं।


युद्ध की स्थिति में अक्सर एक बात कही जाती है, कि युद्ध के मैदान में जंग...कंबल ओढ़ कर नहीं जीती जा सकती....DNA में हमने समय-समय पर भारतीय सेना की ग़रीबी का DNA टेस्ट भी किया है....फिर चाहे वर्ष 2015 में पंजाब के गुरदासपुर में हुआ आतंकवादी हमला हो, या फिर वर्ष 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुआ आतंकवादी हमला। हमने पूरे देश को बताया, कि कैसे अत्याधुनिक हथियार हेल्मेट्स और बुलेटप्रूफ जैकेट्स ना होने के बावजूद सिर्फ अपने भरोसे के दम पर..भारत की सेना आतंकवादियों का सामना करती है। 


आमतौर पर ये समझा जाता है कि सैनिकों के पास Licence to Kill होता है.. लेकिन असलियत में आज से पहले तक उनके पास सिर्फ Licence To Die होता था... हालांकि, देर आए, दुरूस्त आए.... ये पूरे देश के लिए एक अच्छी ख़बर है, कि भारतीय सेना की Helmet वाली समस्या का समाधान हो गया है। 


ये अच्छी बात है कि दो दशक बाद ही सही, भारतीय सेना के सिर का बोझ कम करने की दिशा में एक ज़रुरी कदम उठाया गया है। लेकिन ठीक इसी तरह कई और बातें हैं, जिनपर ध्यान दिए जाने की ज़रुरत है। हमारे पास सेना के संसाधनों की कमी से जुड़े कुछ आंकड़े है.. 


- संसद की Standing Committee On Defence की वर्ष 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना के पास 2 लाख 17 हज़ार 388 Boots की कमी है। 


- सेना के पास 1 लाख 86 हज़ार 138 बुलेटप्रूफ जैकेट्स की कमी है...13 लाख से ज़्यादा कैनवस Shoes की कमी है।


- 4 लाख 47 हज़ार Mask की कमी है...सेना में 95 हज़ार 978 दरियों की कमी है...और 1 लाख 26 हज़ार 270 मच्छरदानियों की कमी है...ये वो मूलभूत ज़रुरतें हैं, जिन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। ताकि सेना के मनोबल पर किसी भी तरह का नकारात्मक असर ना पड़े।