कितनी हैरानी की बात है कि भारत और पाकिस्तान का इतिहास एक है. दोनों मुल्कों को आज़ाद हुए 72 वर्ष हो गए हैं. दोनों देशों की परंपरा एक जैसी है. लेकिन दोनों देशों में कितना बड़ा अंतर है. भारत आज चांद की ओर बढ़ रहा है जबकि पाकिस्तान पाताल की ओर जा रहा है. पाकिस्तान के सिर्फ झंडे में चांद की तस्वीर है जबकि भारत का झंडा चांद पर बुलंद होने वाला है.


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भारत का चंद्रयान 2 इस वक्त पृथ्वी की कक्षा के चक्कर लगा रहा है. लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान, डोनल्ड ट्रंप के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं. अमेरिका में इमरान ख़ान का आदर सत्कार तो दूर की बात है उनका ठीक से स्वागत तक नहीं हुआ. किसी भी देश का प्रधानमंत्री उस देश की पहचान होता है. उसके स्वागत सत्कार से ये तय होता है कि दुनिया में उस देश का कद और पहचान क्या है. अमेरिका में इमरान ख़ान के इस अपमान ने ये बता दिया है कि कूटनीति की दुनिया में पाकिस्तान सभी देशों के लिए पराया हो चुका है.


इमरान ख़ान और डोनल्ड ट्रंप के बीच इस वक्त White House में मुलाकात चल रही है. और इमरान के चेहरे की शिकन साफ बताती है कि अमेरिका ने इमरान को तोहफे देने के लिए नहीं बल्कि नसीहत देने के लिए वॉशिंगटन बुलाया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अमेरिका की तीन दिनों की यात्रा पर हैं. इमरान शनिवार को अमेरिका पहुंचे थे लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की दुनिया में अपनी हैसियत का अंदाज़ा हो गया. इमरान ख़ान का स्वागत करने के लिए अमेरिकी सरकारी का कोई बड़ा अधिकारी या मंत्री एयरपोर्ट नहीं पहुंचा. इमरान ख़ान को अमेरिकी सरकार की Acting Chief of Protocol Mary-Kate Fisher ने एयरपोर्ट पर Recieve किया.


इमरान ख़ान pakistan international airlines के सरकारी विमान से नहीं बल्कि Qatar Airways के एक कमर्शियल विमान से...अमेरिका के Dulles airport एयरपोर्ट पर उतरे थे. इमरान ख़ान का स्वागत करने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पहले से वहां मौजूद थे. एयरपोर्ट से टर्मिनल तक जाने के लिए भी इमरान ख़ान को Airport Bus की सवारी करनी पड़ी. इसके बाद इमरान ख़ान Metro द्वारा अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के घर पहुंचें. 


 



इमरान ख़ान अपनी इस यात्रा के दौरान पाकिस्तानी राजदूत असद मजीद ख़ान के सरकारी आवास पर ही रहेंगे. पाकिस्तान की सरकार और वहां का मीडिया डोनल्ड ट्रंप और इमरान ख़ान की मुलाकात को लेकर बेहद उत्साहित है. इमरान ख़ान की अंतर्राष्ट्रीय बेइज्जती को वहां का मीडिया सादगी का नाम देकर छिपाने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान की सरकार और मीडिया का दावा है कि इमरान ख़ान ये सब पैसे बचाने के लिए कर रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान आर्थिक तौर पर बदहाल हो चुका है. 


लेकिन ये पूरा सच नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने अमेरिका के विदेश मंत्रालय को 1 करोड़ 72 लाख रुपये का Offer दिया था. इस Offer के मुताबिक अमेरिका के विदेश मंत्रालय को इमरान ख़ान का औपचारिक स्वागत करना था. लेकिन अमेरिका की सरकार ने इससे साफ इनकार कर दिया.


भारत में Setting शब्द का इस्तेमाल कई बार किया जाता है. आम बोलचाल की भाषा में इसे जुगाड़ भी कहते हैं. जुगाड़ या Setting के दम पर अक्सर लोग छोटे मोटे काम पूरे करा लेते हैं. लेकिन पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो कूटनीति की गंभीर दुनिया में भी जुगाड़ से काम चलाता है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने के लिए इमरान ख़ान ने भी जुगाड़ का सहारा लिया है. पाकिस्तान के अखबार The Express Tribune के मुताबिक इमरान ख़ान और डोनाल्ड ट्रंप की इस मुलाकात के पीछे सऊदी अरब का बहुत बड़ा रोल है.


अखबार के मुताबिक पाकिस्तान की सरकार ने सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से ये मीटिंग Fix कराने का आग्रह किया था. डोनाल्ड ट्रंप के दामाद Jared Kushner और सऊदी अरब के राजकुमार अच्छे दोस्त हैं. कहा जा रहा है कि मोहम्मद बिन सलमान ने Kushner के साथ अपनी दोस्ती का फायदा उठाया और White House को इस मुलाकात मना लिया. अखबार को एक सूत्र ने नाम ना छापने की शर्त पर ये भी बताया है कि ट्रंप प्रशासन को इस मुलाकात के लिए राज़ी करना बहुत मुश्किल था, क्योंकि अमेरिका पाकिस्तान से नाराज़ है. इसलिए इमरान ख़ान ने सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से कई बार मुलाकात की और उन्हें बीच बचाव करने के लिए मनाया. यानी काफी एड़ियां रगड़ने के बाद ट्रंप और इमरान के बीच ये मुलाकात संभव हो पाई है.


इमरान ख़ान जुगाड़ लगाकर अमेरिका पहुंचे तो उनके साथ साथ पाकिस्तान के Cheif Of Army Staff जनरल कमर जावेद बाजवा और ISI चीफ फैज़ हमीद भी अमेरिका पहुंच गए. अब आप सोच रहे होंगे कि एक देश के प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान सेना और खुफिया एजेंसी के प्रमुख वहां क्या कर रहे हैं. तो आपको बता दें कि पाकिस्तान ज़रा दूजी किस्म का देश है. वहां देश के पास अपनी सेना नहीं है बल्कि सेना के पास खुद का अपना देश है, जिसे दुनिया पाकिस्तान कहती है. इमरान ख़ान कोई भी काम सेना की इजाजत के बगैर नहीं करते, इसलिए इतने अहम दौरे पर आर्मी चीफ और ISI प्रमुख का उनके साथ जाना हैरानी की बात नहीं है. 


इमरान ख़ान पाकिस्तानी सेना के हाथ की कठपुतली हैं. ये बात अमेरिका भी जानता है. व्हाइट हाउस में डोनल्ड ट्रंप और इमरान ख़ान की मुलाकात के दौरान पाकिस्तान के आर्मी चीफ भी मौजूद रहे. यानी ट्रंप को पाकिस्तान को जो भी संदेश देना था वो सीधे बाजवा को दिया गया और इमरान सिर्फ वहां बैठकर इन निर्देशों को चुपचाप सुनते रहे.


इस बैठक में पाकिस्तान के आर्मी चीफ और ISI प्रमुख की मौजूदगी ये भी बताती है कि अमेरिका का इस मुलाकात को लेकर एजेंडा क्या है. अमेरिका इस साल सितंबर तक अफगानिस्तान से अपनी सेनाओं को वापस बुलाना चाहता है. ये बात डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी एजेंडे में भी शामिल है. अमेरिका चाहता है कि ISI की मदद से तालिबान को अफगानिस्तान की सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार किया जाए. दुनिया भर के आतंकवादी संगठन पाकिस्तान की सेना और ISI की बातें ध्यान से सुनते हैं और अमेरिका भी ये बात अच्छी तरह जानता है. 


अमेरिका में अगले साल चुनाव होने हैं और डोनाल्ड ट्रंप इस वक्त Deal Mode में हैं. चुनावों को देखते हुए ट्रंप उत्तर कोरिया से लेकर तालिबान तक के साथ, Deal करना चाहते हैं. इसलिए अमेरिका इमरान ख़ान से ज्यादा अहमियत पाकिस्तान की सेना और ISI को दे रहा है. पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री जब भी अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात करता हैं तो वहां का मीडिया खुशी के मारे झूमने लगता है. हर बार इन Meetings के बाद कहा जाता है कि मुलाकात शानदार रही. और अमेरिका ने पाकिस्तान की सभी बातें मान ली है. 


हमें पूरा यकीन है कि ट्रंप और इमरान ख़ान की बातचीत के बाद भी ऐसे ही दावे किए जाएंगे. लेकिन सच ये है कि अमेरिका भी पाकिस्तान का असली चरित्र पहचानने लगा है. इसलिए ट्रंप को धोखा देना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा. अपने इस दौरे पर इमरान ख़ान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी नकल करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इमरान ख़ान ये भूल जाते हैं कि कूटनीति की दुनिया में नरेंद्र मोदी की हैसियत किसी कामयाब कंपनी के CEO की तरह है तो इमरान ख़ान अभी SalesMan बनने की ट्रेनिंग भी पूरी नहीं कर पाए हैं.